भवन चकाचक, अन्य व्यवस्थाएं पूरी तरह उतर चुकीं पटरी से!
(सादिक खान)
सिवनी (साई)। इंदिरा गांधी जिला अस्पताल का भवन सुंदर तो बना दिया गया है, पर यहाँ मच्छर, मक्खी, कॉकरोच, छिपकली, चूहे आदि की भारी तादाद मरीज़ों और उनके परिजनों को परेशान करती नज़र आती है।
भले ही प्रियदर्शनी इंदिरा गांधी जिला चिकित्सालय में सफाई और सुरक्षा के नाम पर प्रत्येक माह लाखों रूपयों की होली खेली जा रही हो पर जमीनी हालात देखकर यही प्रतीत होता है कि अस्पताल की सफाई और सुरक्षा के काम को न तो ठेकेदार कंपनी के द्वारा उचित तरीके से निष्पादित किया जा रहा है और न ही अस्पताल प्रशासन के द्वारा इसका समय – समय पर सर्वेक्षण ही किया जा रहा है।
सूत्रों ने बताया कि नियमों के अनुसार कंपनी के द्वारा अस्पताल के प्रत्येक वार्ड की सफाई दिन में चार बार की जानी चाहिये, किन्तु एक बार भी अस्पताल की सफाई करीने से न किये जाने के कारण अस्पताल में चहुंओर गंदगी पसरी हुई है।
सूत्रों ने कहा कि अस्पताल के अंदर सूअर, आवारा कुत्तों और आवारा मवेशियों की फौज का डेरा चौबीसों घण्टे देखा जा सकता है। जिला चिकित्सालय में अस्पताल प्रशासन के द्वारा करायी जाने वाली साफ – सफाई के अलावा नगर पालिका परिषद के द्वारा भी अस्पताल के अंदर दवाओं और रसायनों का छिड़काव कागज़ों पर अवश्य किया जाता है।
इसी तरह सूत्रों ने बताया कि जब भी किसी मरीज़ के द्वारा मच्छरों से होने वाली परेशानी का हवाला पेरा मेडिकल स्टॉफ को दिया जाता है तब कर्मचारियों के द्वारा अपने स्तर पर ही मच्छरदानी और मच्छर मारने वाली अगरबत्तियों को लाने की बात कहकर अपनी जवाबदेही पूरी कर ली जाती है।
सूत्रों ने आगे बताया कि अस्पताल के कमोबेश प्रत्येक वार्ड में मरीज़ों के पलंग, उनके सामान रखने की आलमारियों के अलावा पेरामेडिकल स्टॉफ के बैठने के स्थान और उनकी आलमारियों में भी भारी तादाद में मच्छर, मक्खी और कॉकरोच धूमते दिख जाते हैं। रात में जब वार्ड सुनसान हो जाते हैं तब कॉकरोच निकलकर मरीज़ों को परेशान करते नज़र आते हैं।
सूत्रों ने यह भी कहा कि अब गर्मी का मौसम असर दिखाने लगा है, इसके बाद भी अस्पताल प्रशासन के द्वारा अब तक कूलर, पंखों आदि को ठीक कराने का काम आरंभ नहीं कराया गया है। हालात देखकर यही प्रतीत हो रहा है कि इस वर्ष भी अन्य वर्षों की तरह मरीज़ों के परिजनों को मरीज़ों को गर्मी से बचाने के लिये अपने घरों से कूलर या पंखों की व्यवस्था करना पड़ सकता है।

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