हाईकोर्ट ने कहा, डॉक्टर, पुलिसकर्मियों को हुआ संक्रमण तो सिस्टम हो जाएगा ध्वस्त

(ब्‍यूरो कार्यालय)

जबलपुर (साई)।  मध्य प्रदेश हाइकोर्ट ने कोविड –19 संक्रमण के इलाज में लगे डॉक्टर्स, चिकित्साकर्मियों व लॉकडाउन के दौरान व्यवस्था बनाए रखने वाले पुलिसकर्मियों की सराहना की है।

बुधवार को चीफ जस्टिस एके मित्तल व जस्टिस वीके शुक्ला की डिवीजन बेंच ने कहा कि ये लोग मरीजों की मदद के दौरान फिजिकल डिस्टेंसिंग और सुरक्षा के अन्य मापदंडों का प्रयोग करते हुए काम करें। कोर्ट ने कहा कि लॉकडाउन में ढील देने की दशा में नियमों, मापदंडों का सख्ती से पालन कराया जाए। बेंच कोरोना से संबंधित आधा दर्जन मामलों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई कर रही थी।

जिला बार एसोशिएशन जबलपुर के पुस्तकालय सचिव अधिवक्ता अमित कुमार साहू सहित अन्य याचिकायें कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए सरकार के अपर्याप्त कदम व प्रयास के खिलाफ दायर की थीं। वहीं सूरज, नितिन, हर्षवर्धन शर्मा सहित पूर्व मंत्री तरुण भनोत ने भी कोरोना संक्रमण को लेकर याचिकायें दायर की। इन सभी याचिकाओं की सुनवाई एक साथ हुई। 28 अप्रैल को दिए गए आदेश के परिपालन में राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव ने स्टेटस रिपोर्ट व जवाब पेश किया। उन्होंने कोर्ट को बताया कि कोविड –19 संक्रमण की रोकथाम के लिए जारी गाइडलाइन का पूर्णतः पालन किया जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि अखबार, मीडिया के माध्यम से पुलिस को सड़क पर बैठ कर खाना खाते देखा सुना, यह वाकई संवेदना का विषय है। कोर्ट ने सरकार से कहा कि कितने लोग कोरोना संक्रमित हो रहे हैं, उसकी भी रिपोर्ट पेश की जाए। कोर्ट ने 5 मई तक प्रगति प्रतिवेदन पेश करने को कहा।

यह कहा कोर्ट ने

महाधिवक्ता बताएं कि ट्रकों और अन्य सार्वजनिक परिवहन के जरिए आवागमन रोकना सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए गए। वैधानिक तरीके से यात्रा की अनुमति केवल वाहन चालक व उसमें जानेवालों का कोविड-19 टेस्ट कराने के बाद ही दी जाए। कुछ ग्रीन जोन ऑरेंज जोन में और कुछ ऑरेंज जोन रेड में तब्दील होने की जानकारी मिली है। जल्द से जल्द इन्हें पूर्ववत अवस्था मे लाया जाए।

मंत्री थे तो क्या किया

पूर्व मंत्री तरुण भनोत की याचिका में कहा गया कि पुलिस, प्रशासन व चिकित्सा कर्मियों, अधिकारियों व संक्रमितों के सीधे संपर्क में आनेवाले अन्य को पर्याप्त पीपीई किट्स उपलब्ध कराई जाएं। पूर्व महाधिवक्ता शशांक शेखर ने आग्रह किया कि जिन जिलों में संक्रमण नहीं है, उनकी सीमाएं सील कर संक्रमित जिलों से आवागमन रोका जाए। इस पर कोर्ट ने मौखिक सवाल किया कि याचिकाकर्ता स्वयं स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं, उन्होंने कोविड –19 संक्रमण रोकने के लिए क्या किया बताएं।

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