(ब्यूरो कार्यालय)
अरी (साई)। जलसंसाधन विभाग की नहरों में मरम्मत के नाम पर औपचारिकता निभाई जा रही है। बरघाट उपसंभाग के सुकला टेंक की निवारी व गोकलपुर माइनर नहरों की मरम्मत का ठेका क्षेत्र के संकल्प कटरे को तीन लाख रुपये में दिया गया है। लेकिन नहर मरम्मत के बजाए ठेकेदार द्वारा जेसीबी मशीन लगाकर नहर में ऊगी खरपतवार को हटाने का काम किया जा रहा है।
नहर की कमजोर व क्षतिग्रस्त पार को मजबूत करने की बजाए ठेकेदार नहर के मध्य भाग में जेसीबी मशीन लगाकर घास व मिट्टी उखाड़ रहा है। इससे ना तो नहरों में आवश्यक सुधार होगा ना ही पानी की रफ्तार बढ़ेगी। हालाकि जलसंसाधन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जर्जर नहरों को केनाल का आकार दिया जा रहा है। नहर की क्षतिग्रस्त पार की मरम्मत मिट्टी डालकर करवाई जाएगी।
अनदेखी से दुर्दशा में पहुंची नहरें-जलउपभोक्ता संस्था व जलसंसाधन विभाग की अनदेखी के कारण अरी जलाशय की कई किमी लंबी नहरें दुर्दशा का शिकार हो गई हैं। अरी, निवारी, नयेगांव जल उपभोक्ता संस्था को 40 से 50 हजार की राशि साल में दो बार नहरों की देखरेख व सफाई के लिए मिलती है। यह राशि सबइंजीनियर व समिति के अध्यक्ष द्वारा बेसरम व पलास की झाड़ियों की सफाई के नाम पर खर्च कर दी जाती है। तीन चार मजदूरों से एक सप्ताह काम करवाकर समिति पूरी राशि खर्च होना बता देता है। इस कारण सालों पुरानी नहरों की हालत जर्जर हो गई है। कई स्थानों से टूटी कच्ची नहरों की मरम्मत नहीं कराने के कारण पानी छोड़े जाने पर खेतों व सड़क में पानी व्यर्थ बह जाता है। ग्रामीणों का आरोप है कि ठेकेदार द्वारा जलसंसाधन विभाग के इंजीनियर लक्ष्मण श्रीवास्तव व कर्मचारी होमनसिंह बिसेन के साथ मिलकर मनमाने तरीके से नहर मरम्मत का कार्य किया जा रहा है। टूटी नहरों को सुधारने की बजाए ठेकेदार सफाई की औपचारिकता निभा रहा है। बारिश शुरु होते ही काम बंद हो जाएगा और किसानों को इसका फायदा नहीं मिलेगा।
बगैर अनुमति जगह जगह नहर खोदकर लगाए जा रहे कुलाबे- अरी के सुकला टेंक की निवारी,गोकलपुर माइनर नहर 12-12 किमी लंबी है। इन नहरों से लगे खेतों में बगैर विभागीय अनुमति लिए जगह जगह खुदाई कर कुलाबे लगा दिए गए हैं। नहर देखरेख में लगे कर्मचारी किसानों से सांठगांठ कर जलसंसाधन विभाग के नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं।

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