जन्म -15 दिसम्बर 1929 निधन – 06 जुलाई 2021
“कुछ लोग जहाँ में ऐसे हैं केवल इतिहास ही पढ़ते हैं।
बिरले जन ऐसे होते हैं, जो इतिहास नया नित गढ़ते हैं“
जानकी प्रसाद पाठक एक कर्Ÿाव्य परायण निष्ठावान शिक्षक ही नहीं अपितु शालेय समस्याओं की गहरी पकड़ एवं उन्हें सुलझाने की अद्वितीय क्षमता रखने वाले जिला शिक्षा अधिकारी भी रहे। आपने सफल जिला शिक्षा अधिकारी के पद में रहकर अपने आधीनस्थ समस्त शिक्षकों की समस्याओं का यथाशीघ्र निराकरण कर उनका समाधान किया। आपके व्यक्तित्व में कुशल मार्गदर्शक के विशिष्ट गुण भी दृष्टिगोचर होते हैं। अपने चिर परिचितों, मित्रों, साथी शिक्षकों एवं नवागंतुक प्राचार्यों को सदैव निःस्वार्थ भाव से कुशल मार्गदर्शन कर समसामयिक समस्याओं का समाधान किया। आपके इस विशिष्ट गुण ने सहज ही आत्मीयजनों को अपनी ओर आकर्षित किया।
आप बहुमुखी प्रतिभा के धनी कुशल अधिकारी रहे हैं। आपने शैक्षणिक, सामाजिक, क्रीड़ा जगत एवं विविध संगठनों में अपना सुरूचिपूर्ण महत्वपूर्ण योगदान दिया। आप विवेक सम्मान न्यास सिवनी के संस्थापक प्रमुख न्यासी रहे। न्यास की स्थापना सन् 1999 में हुई थी तब से लेकर जीवन पर्यन्त आपने अपने उत्तरदायित्व का निष्ठापूर्वक लगन के साथ निर्वहन किया। विवेक सम्मान न्यास बोर्ड परीक्षा 10वीं एवं 12वीं में प्रथम द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले जिले की प्रावीण्य सूची में अंकित छात्र-छात्राओं को प्रतिवर्ष नगद राशि प्रतीक चिन्ह एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित करता है। यह प्रतिभावान छात्रों के लिए एक अनूठा मंच रहा है। यह मंच आज सिवनी नगर में लगभग 22 वर्षों से सक्रिय है।
क्रीड़ा जगत में आप जिला हॉकी एसोसिऐशन के 1968 से 1988 तक सचिव एवं अध्यक्ष पद को सुशोभित किया है। मध्यप्रदेश हॉकी संघ के 3 बार सदस्य रहे। 1965 में आप स्टेट एवं नेशनल एम्पायर बने। मध्यप्रदेश शिक्षा परिषद के सम्माननीय सदस्य रहते हुए आपने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। सन् 1975 से 1978 तक सरस्वती शिशु मंदिर के व्यवस्थापक रहे।
1976 से 1979 तक मध्यप्रदेश शिक्षक संघ के सचिव, हाउसिंग बोर्ड सोसायटी के उपाध्यक्ष एवं सिवनी जिला शिक्षक कल्याण सहकारी समिति मर्यादित के अध्यक्ष रहे एवं मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मण्डल बोर्ड के अजीवन सदस्य रहे हैं। आप राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के समर्पित सदस्य रहे हैं।
03 अक्टूबर 1988 से मध्यप्रदेश हॉकी संघ के उपाध्यक्ष के पद में आपने जिले को गौरव दिलाया। आपकी सादगी, मृदुभाषिता, शिष्ट विनोद प्रियता प्रत्युत्पन्न मति आपके व्यक्तित्व में चार चांद लगाते रहे हैं। आपने हजारों छात्रों को नगर में अध्यापन कराके उच्च पदों पर पहुंचाया। आपने प्रतिभावान छात्रों के जीवन में प्रेरणा जगाकर सदैव संघर्षरत रहकर अपने लक्ष्य प्राप्त करने की शिक्षा दी। आप सभी के मार्गदर्शक एवं सुख-दुख के साथी रहे।
सबसे महत्वपूर्ण योगदान सिवनी नगर को आपने दिया वह है एक अविस्मरणीय सिवनी का इतिहास – ”सिवनी कल आज और कल“ यह एक ऐसी ऐतिहासिक किताब है जिसमें सिवनी की प्राचीन वर्तमान एवं आने वाले कल की झलक मिलती है।
इसके साथ ही सिवनी के लिए एक सिवनी गान सुरेन्द्र सिसोदिया अनुज के द्वारा बनवाया व सिवनी के गायक पं. किशोर मिश्रा के स्वर से सुसज्जित किया गया है। आज वो हमारे बीच नहीं है उनकी मधुर स्मृतियाँ सदैव हमें प्रेरणा देती रहेंगी।
शिक्षा – सन् 1951 में नगरपालिका हाईस्कूल से मैट्रिक। एम.ए. भूगोल बी.टी. इसी विद्यालय में सहायक शिक्षक पद पर पदस्थ।
1957 में उच्च श्रेणी शिक्षक मार्च 1971 में व्याख्याता। 27 सितम्बर 1988 को प्राचार्य पद पर पदोन्नत सन् 29 अगस्त 1990 जिला शिक्षा अधिकारी पद पर सिवनी में सेवायें। सन् 31 मार्च 1992 को सेवानिवृत्त हुए।
(साई फीचर्स)

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