(अरुण दीक्षित)
अपने विवादित बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाले दिग्विजय सिंह एक बार फिर चर्चा में हैं। लेकिन इस बार चर्चा की बजह कोई विवादित मुद्दा नही है। न ही उन्होंने ऐसा कोई बयान दिया है जिससे कांग्रेस कटघरे में खड़ी हो। बल्कि इस बार दिग्विजय भाजपा की पिच पर बैटिंग करते नजर आ रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि इन दिनों पूरे देश में भाजपा शासित राज्यों में मुख्यमंत्री बदले जाने की अटकलें चल रही हैं। उत्तराखंड के बाद कर्नाटक में बदलाव की संभावना प्रबल है। हरियाणा और त्रिपुरा में भी मुख्यमंत्री बदले जाने के कयास लगाये जा रहे हैं। हालांकि ऐसी चर्चा कुछ समय पहले उत्तरप्रदेश को लेकर भी चली थी लेकिन योगी आदित्यनाथ सब पर भारी पड़ गए। आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा नेतृत्व उत्तराखंड जैसा कोई कदम उत्तरप्रदेश में नही उठा पाया।
जहां तक मध्यप्रदेश का सवाल है,पिछले कुछ दिनों से शिवराज के भविष्य को लेकर अटकलें चल रही हैं। कुछ दिन पहले प्रदेश के कई बड़े भाजपा नेता सक्रिय हुए थे। बाद में उन्होंने एक स्वर में कहा कि शिवराज ही हमारे नेता हैं। वही मुख्यमंत्री रहेंगे। हालांकि यह वे खुद भी जानते थे कि न तो उनकी बजह से राज्य में भाजपा सरकार बनी है और न ही वे शिवराज को हटवा सकते हैं।
लेकिन भाजपा की अंदरूनी उठक पटक बंद होने के बाद कांग्रेस के बड़े नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने एक नई बहस शुरू कर दी है। दिग्विजय ने कल ट्वीट करके कहा-आजकल भाजपामोदीशाह अपने मुख्यमंत्रियों को बदल रहे हैं। मध्यप्रदेश में भी कुछ हमारे भाजपा के अपने आप को योग्य समझने वाले नेताओं की उम्मीदें बढ़ गयी हैं। कितने और कौन कौन मध्यप्रदेश भाजपा में उम्मीदवार हैं कोई हमें बता सकता है?नही बताओगे तो मैं कल सूची दे दूंगा।
उसके बाद आज दिग्विजय ने दूसरा ट्वीट किया। उंन्होने लिखा-अब मध्यप्रदेश भाजपा में मुख्यमंत्री के लिए केवल दो ही उम्मीदवार दौड़ में रह गए हैं।
मोदी जी के उम्मीदवार प्रह्लाद पटेल.. संघ के उम्मीदवार वी डी शर्मा।
बाकी उम्मीदवारों के प्रति मेरी सहानुभूति है।
मामू का जाना तय!
दिग्विजय के इन ट्वीट्स ने राजनीतिक हलकों में चर्चा का नया मुद्दा दे दिया है। दिग्विजय को करीब से जानने वाले लोग मान रहे हैं कि वे कुछ भी बिना प्रयोजन नही करते हैं। यह ट्वीट करके उन्होंने किस पर निशाना साधा है यह तो वही जानें लेकिन इतना तय है कि जो नाम उन्होंने लिए हैं उनसे उनका हमेशा छत्तीस का आंकड़ा रहा है। एक राय यह है कि दिग्विजय ने यह नाम उछाल कर एक तीर से दो शिकार किये हैं। इन दोनों को आगे करके किसी तीसरे की मदद की है। साथ ही शिवराज पर मानसिक दवाब भी बनाया है। यह भी सम्भव है कि क्रिकेट के शौकीन दिग्विजय सिंह ने गुगली फेंकी हो। चौतरफा निशाने पर रहने वाले 74 साल के दिग्विजय कुछ भी कर सकते हैं। उन्हें किसी की परवाह नही रहती है।
फिलहाल उनके ट्वीट चर्चा में हैं। उधर भाजपा ने उन्हें गम्भीरता से लेने से ही इनकार कर दिया है। भाजपा का मानना है कि चर्चा में रहने के लिए दिग्विजय कुछ भी कर सकते हैं।
(साई फीचर्स)

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