11 साल पहले ही अस्तित्व में आ जाना चाहिये था लेवल थ्री का ट्रामा सेंटर
(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)। उत्तर दक्षिण फोरलेन गलियारे में सिवनी बायपास पर बनने वाला ट्रामा केयर सेंटर का निर्माण न तो यहाँ सड़क निर्माण कराने वाली सदभाव कंस्ट्रॅक्शन कंपनी ने बनाया है, न ही एनएचएआई के अधिकारियों ने ही इसकी सुध ली है और न ही सड़क की लड़ाई लगातार सालों तक लड़ने वाले गैर राजनैतिक संगठन जनमंच ने ही इसके लिये आवाज बुलंद की, और तो और 2010 से अब तक सांसद रहे नुमाईंदों ने भी इस मामले में कोई पहल नहीं की है।
एनएचएआई के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि सिवनी से खवासा तक सड़क निर्माण का ठेका सदभाव को दिया गया था। सदभाव को इस सड़क के साथ ही साथ सिवनी के बायपास (नगझर से छिंदवाड़ा रोड होकर नागपुर रोड़ को जोड़ने वाले) पर ट्रामा केयर यूनिट का निर्माण कराया जाना चाहिये था।
सूत्रों ने बताया कि बायपास पर इस सड़क के निर्माण के साथ ही ट्रामा केयर सेंटर का निर्माण कम से कम दो हजार स्क्वेयर फीट में करवाया जाता तो इसमें चिकित्सक कक्ष, पेरामेडीकल स्टाफ कक्ष, सर्जिकल ऑपरेशन थियेटर, मरीजों के लिये वार्ड के साथ ही साथ इस ट्रामा केयर सेंटर में सड़क से सीधे एप्रोच सड़क का निर्माण कराया जाना चाहिये था। सूत्रों का कहना है कि अगर ऐसा करवाया जाता तो निश्चित तौर पर यह पचास लाख रुपए तक की लागत (2010 के पहले) का होता।
सूत्रों का कहना है कि इसके अलावा यहाँ सर्जिकल इक्विपमेंट आदि की व्यवस्था भी करवायी जानी थी। इस ट्रामा केयर सेंटर का निर्माण कराया जाकर इसे एनएचएआई को सौंप दिया जाता जिसके उपरांत एनएचएआई इसका संचालन और संधारण स्वयं करती। विडंबना ही कही जायेगी कि सड़क आरंभ हो गयी है। इस सड़क पर बकायदा टोल भी वसूला जा रहा है पर यहाँ अब तक ट्रामा केयर सेंटर का निर्माण नहीं करवाया जा सका है।
सूत्रों का कहना है कि इस मामले में एनएचएआई के अधिकारी ही पूरी तरह दोषी नजर आ रहे हैं, क्योंकि उनके द्वारा अभी तक इस मामले में स्वसंज्ञान अथवा निविदा की शर्तों या एनएचएआई की गाईड लाईन्स का ध्यान नहीं रखा गया है। सूत्रों ने कहा कि हो सकता है कि एनएचएआई के अधिकारी इस मामले में सीधे-सीधे सदभाव को लाभ पहुँचाना चाह रहे हों।
इधर, स्वास्थ्य विभाग के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि इसके उपरांत केंद्रीय इमदाद (एनएचएआई की मद से नहीं) एक ट्रामा केयर यूनिट का भवन लगभग सात साल पहले जिला अस्पताल में बनाया है, जिसका उपयोग भी अब तक आरंभ नहीं करवाया जा सका है।
सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को यह भी बताया कि एनएचएआई के नियमों के अनुसार कोई भी पब्लिक सुविधाओं या जरूरत की चीजों को (जिन्हें 2004 में शामिल किया गया था) को किसी भी कीमत पर न तो कम किया जा सकता है और न ही डिलीट किया जा सकता है। इसके अलावा हर तीन साल में जरूरत के हिसाब से इसे अपडेट अथवा अपग्रेड किया जाना था, किन्तु आज भी सिवनी में सब कुछ जस का तस ही प्रतीत हो रहा है। न तो सांसदों न ही विधायकों ने इस मामले में सुध लेना ही मुनासिब समझा है।

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