13 सितंबर को सीएमएचओ कार्यालय के निलंबित लिपिक ने अब तक नहीं सौंपा अपना कार्यभार!, सीएमएचओ के नवरत्नों में शामिल हैं निलंबित लिपिक, नहीं दी सीएस कार्यलय में आमद!
(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)। प्रभारी मंत्री ओम प्रकाश सखलेचा के द्वारा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के एक लिपिक को 13 सितंबर को निलंबित किए जाने के बाद लिपिक के द्वारा 17 अक्टूबर तक न तो अपना कार्यभार दूसरे लिपिक को सौंपा है न ही सीएमएचओ कार्यालय में अपनी कुर्सी पर बैठना ही बंद किया है। कहा जा रहा है कि निलंबित लिपिक दरअसल प्रभारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राजेश श्रीवास्तव के नवरत्नों में शामिल हैं।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि जिले के प्रभारी मंत्री को सीएमएचओ कार्यालय की स्थापना शाखा में पदस्थ लिपिक अजय कटरे के खिलाफ गंभीर शिकायतें मिलीं थीं। जिले के प्रभारी मंत्री ओम प्रकाश सखलेचा के कार्यालय से भी स्थापना शाखा देख रहे लिपिक अजय कटरे के खिलाफ शिकायत भेजी जाकर कड़ी अनुशासनात्मक कार्यवाही की अनुशंसा की गई थी। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया की साई न्यूज का वीडियो भी प्रभारी मंत्री के संज्ञान में लाया गया था। इसके उपरांत प्रभारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राजेश श्रीवास्तव के द्वारा स्थापना शाखा के लिपिक अजय कटरे को 13 सितंबर को निलंबित कर दिया गया था।
सूत्रों ने बताया कि अजय कटरे के स्थान पर स्थापना शाखा का प्रभार वीरेंद्र सिंह ठाकुर नामक लिपिक को दिए जाने के आदेश होने के दस दिनों बाद भी अब तक सीएमएचओ कार्यालय की स्थापना शाखा का प्रभार अजय कटरे के द्वारा वीरेंद्र सिंह ठाकुर को प्रदाय नहीं किया गया, जिसके बाद आजिज आकर वीरेंद्र ठाकुर के द्वारा स्थापना तीन शाखा का काम करने में असमर्थतता जाहिर कर दी। इतना ही नहीं अजय कटरे रोज सुबह नौ बजे ही कार्यालय पहुंच जाते हैं और अन्य दिनों की तरह ही वे काम करते नजर आते हैं।
22 सितंबर को दिया हिमांशु चौकसे को प्रभार
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को यह भी बताया कि वीरेंद्र सिंह ठाकुर को प्रभार न सौंपे जाने पर वीरेंद्र सिंह ठाकुर के द्वारा आदेश जारी होने के दस दिन बाद अनिच्छा जाहिर की गई थी। इस बारे में पतासाजी करने के बजाए प्रभारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राजेश श्रीवास्तव के द्वारा अजय कटरे का प्रभार वीरेंद्र सिंह ठाकुर के बजाए हिमांशु चौकसे को देने के आदेश जारी कर दिए गए।
सिर्फ चाबी सौंपी, नहीं दिया पूरा प्रभार!
सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि प्रभारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राजेश श्रीवास्तव के द्वारा अजय कटरे से प्रभार लेकर दूसरे किसी अन्य लिपिक को प्रभार सौंपने में कुछ परेशानी महसूस की जा रही है। सूत्रों ने कहा कि वरना पहले 13 सितंबर को फिर 22 सितंबर को हुए आदेश के बाद अब तक अजय कटरे से प्रभार नहीं ले पाने का दूसरा कारण क्या हो सकता है! सूत्रों की मानें तो अजय कटरे के द्वारा हिमांशु चौकसे को महज एक चाबी सौंपी गई है। निलंबित लिपिक अजय कटरे को निलंबन अवधि में सिविल सर्जन कार्यालय में पदस्थ किया गया है, किन्तु निलंबित लिपिक आज तक सीएस कार्यालय में जाकर अपनी उपस्थिति नहीं दे पाए हैं। उच्चाधिकारी अगर चाहें तो इसकी तसदीक सीएमएचओ कार्यालय एवं सिविल सर्जन कार्यालय के सीसीटीवी फुटेज देखकर कर सकते हैं।
इतने दिन में तो प्रमुख सचिव का हो जाता प्रभार
सूत्रों ने यह भी कहा कि प्रभारी सीएमएचओ के द्वारा बार बार एक ही गाना गाया जा रहा है कि सैकड़ों नर्सिंग का डाटा अजय कटरे के पास है इसलिए प्रभार देने में थोड़ा समय लग रहा है, जबकि पूरे प्रदेश पर नियंत्रण करने वाले प्रमुख सचिव का प्रभार भी महज चंद घंटों में ही हो जाता है, पर सीएमएचओ कार्यालय में प्रभार लेने (वह भी निलंबित लिपिक से) अधिकारियों की पेशानी पर पसीने की बूंदे आती दिख रहीं हैं।
स्टोर का प्रभार लेने की जुगत में दूसरे लिपिक!
सूत्रों ने आगे बताया कि मूल रूप से गोपालगंज के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ लिपिक राम मोहन श्रीवास्तव जो कि जिला अस्पताल के भण्डार में पदस्थ हैं वे भी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के भण्डार में पदस्थापना की जुगत लगाते दिख रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि संलग्नीकरण के आदेशों पर अगर प्रभारी सीएमएचओ गौर फरमाएं तो दूध का दूध पानी का पानी हो सकता है।
पंडित जी के जरिए लग रही एप्रोच
इधर, सीएमएचओ के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को यह भी बताया कि उमरिया से आए कोई त्रिपाठी जी को साधकर सीएमएचओ कार्यालय में मनपसंद पदस्थापना करवाने की जुगत में अनेक लिपिक दिख रहे हैं। वीरेंद्र त्रिपाठी नामक व्यक्ति हाल ही में उमरिया से सिवनी प्रवास पर आए थे।
होटल के बिल के भुगतान की चर्चाएं!
वही, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में चल रही चर्चाओं पर अगर यकीन किया जाए तो स्वास्थ्य विभाग के एक आला अधिकारी लंबे समय से एक होटल को ही अपना निवास बनाए हुए हैं। अब उक्त अधिकारी इस जुगत में हैं कि उनके होटल के भारी भरकम देयक को विभाग के जरिए कैसे कराया जाए!

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