(अनिल शर्मा , सिवनी)
अहित आत्मा का हो
ऐसा न किया जाये कोई काम
अहित समाज का हो
ऐसा न लिखा जाये कोई पैगाम
दिशा दो
खीच कर हवा में लकीर
चाहे लग जाये दुनिया की जंजीर
बनो सहारा किसी का
दो आसरा सभी को
साथ जायेगा बस
यही कुछ थोड़ा
मत भागो माया के पीछे
हाथ न लगेगा कुछ भी
अहित आत्मा का हो
ऐसा न किया जाये कोई काम
अहित समाज का हो
ऐसा न लिखा जाये कोई पैगाम