शिवमहापुराण के अनुसार कर्म का शुद्ध अर्थ आराधना है : सद्गुरूनाथ महाराज

सद्गुरूनाथ महाराज के मुखारविन्द से निकली शिव भक्ति की अमृत जलधारा,

(ब्यूरो कार्यालय)

जयपुर (साई)। जयपुर। श्रावणी शिव महापुराण कथा के दौरान जिस प्रकार जयपुर के लोगों ने अपने भक्ति भाव का परिचय दिया वो अद्भुत है। कथा स्थल के आसपास भक्ति की ऐसी जलधारा प्रवाहित हो रही है। जैसे हर कोई व्यक्ति शिव की आराधना में अपने आप को सराबोर करना चाह रहा हो। सद्गुरूनाथ महाराज के शिव महापुराण कथा की चर्चा आज देश के हर गलियारे में होती है। इनके श्रीमुख से शिवमहापुराण की आध्यात्मिक बातें जब निकलती है तो लोग टकटकी लगाकर सुनते रहते हैं। बहुत सी ऐसी बातें गुरूवर बताते है जो भगवान शिव के बारे में लोगों ने आज तक नहीं सुनी होती है।

सद्गुरूनाथ महाराज ने शिवमहापुराण कथा के दौरान कहा कि आप भक्ति करोसत्कर्म करो लेकिन छल, प्रपंच, अभिमान से दूर रहो। जिसके मन में हो छल, उसको क्या करेगा एक लोटा जल। हजारों प्रकार के छल-ईर्ष्या, द्वेष लेकर अगर आप बैठे हैं तो पहले भगवान की भक्ति में जुड़ने के लिए उसे साफ कीजिए क्योंकि स्वच्छ आत्मा में ही भगवान का वास होता है।

शिवमहापुराण के विषय में सद्गुरूनाथ महाराज ने कहा कि ये एक कल्प वृक्ष के समान है। सही मन और श्रद्धा से आप जो कुछ भी मांग लेंगे उसे देवाधिदेव महादेव जरूर देंगे। इसमें किंचित मात्र भी संदेह नहीं है। कितनी भी बड़ी संकट आए आप भोलेनाथ की शरण में अगर जाते हैं तो भगवान शिव आपको कभी निराश नहीं करेंगे।

कथा के दौरान उन्होंने बताया कि लोभ ही पाप का कारण है, मनुष्य को हमेशा संतोषी होना चाहिए। लोग के बहुत से दुष्परिणाम होते हैं। जीवन में पहले लोभ आता है तभी आपसे कोई गलती होती है। लोभ किसी भी प्रकार के हो सकते हैं। शिव के चिंतन करने से आपकी सारी परेशानियों चुटकियों में दूर जाएगी।

कथा के दौरान गुरूदेव ने बताया कि धनवानों के नए रिश्तेदार पैदा हो जाते हैं ये लोग अक्सर बोलेते है जो गलत बात है। धनवानों के अपने रिश्तेदार भी छूट जाते हैं। धनवानों को दुनिया में सबसे ज्यादा बातें सुनने को मिलती है। धनवान होना समान्य बात नहीं है, धनवान होना बड़े त्याग की बात है। धनवान भी बेहद दुखी होते हैं 24 घंटे बेचारे काम करते रहते हैं। मजदूर सिर्फ 8 घंटे काम करता है। व्यापारी 24 घंटे काम और सोते वक्त भी काम के सिलसिले में फोन पर लगा रहता है।