अतिक्रमण पर बस नहीं चलता नेताओं का शायद इसलिए निशाना बनाया जाता है बस स्टैण्ड को!
(लिमटी खरे)
सिवनी शहर में एक बार फिर बस स्टैण्ड के स्थान परिवर्तन का जिन्न बाहर आया है। यह तीसरी बार होगा जब बस स्टैण्ड को हटाने की कवायद आरंभ हुई हो। सबसे पहले पुखराज मारू जब सिवनी के जिलाधिकारी हुआ करते थे, उस समय प्राईवेट बस स्टैण्ड को बरघाट नाका ले जाने की असफल कवायद हुई थी। उसके बाद दूसरी मर्तबा भरत यादव जब जिलाधिकारी थे तब उनके कार्यकाल में भी इस तरह की कार्यवाही को अंजाम दिया जा रहा था। अब सोशल मीडिया पर बस स्टैण्ड को हटाने की बात जमकर चल रही है।
आज युवा पीढ़ी को सबसे पहले यह बताना लाजिमी होगा कि आखिर सिवनी के बस स्टैण्ड का इतिहास है क्या! दरअसल मध्य प्रदेश राज्य सड़क परिवहन जब अस्तित्व में हुआ करता था उस दौर में साठ के दशक के आरंभ में सिवनी में यात्री बस नजीर होटल की तरफ मुंह करके सड़क के किनारे ही खड़ी हुआ करती थीं। इसके बाद बस स्टैण्ड के भवन का निर्माण हुआ और राज्य परिवहन की यात्री बस अंदर खड़ी होने लगी।
उस दौरान सोहाने पेट्रोल पंप के बाजू से भैरोगंज जाने वाले रास्ते पर प्राईवेट बस खड़ी हुआ करती थीं। यहां एक साथ तीन यात्री बस खड़ी हुआ करती थीं। पहली बस छूटते ही दूसरी बस उसका स्थान ले लेती और एक बस और आकर पीछे खड़ी हो जाया करती थी। सत्तर के दशक में जब जिला अस्पताल बस स्टैण्ड के बाजू से बारापत्थर लाया गया उसके बाद बस स्टैण्ड के क्षेत्रफल का विस्तार किया जाकर पुराने अस्पताल के कुछ हिस्से को उसमें शामिल किया गया था। ये बस मुगवानी, कटंगी, मण्डला आदि मार्ग पर संचालित होती थीं।
अस्सी के दशक के आरंभ तक सिवनी से स्टेट कैरिज की यात्री बस ही आया जाया करती थीं। उस दौर में टूरिस्ट बस के नाम पर पहली यात्री बस तारा ट्रेवल्स की आरंभ हुई थी जो नागपुर से इलहाबाद चला करती थी। इसके बाद प्रयाग ट्रेवल्स की एक बस परासिया से इलहाबाद चलना आरंभ हुई।
इसी के साथ ही प्राईवेट बसेज को सोहाने पेट्रोल पंप के बाजू में उस समय की राज होटल के बाजू वाले हिस्से से हटाकर वर्तमान लक्ष्मी नारायण मंदिर और बस स्टैण्ड के बीच वाले हिस्से में खड़ा करवाना आरंभ कर दिया गया था। बताते हैं कि कालांतर में 1993 में पुखराज मारू जब सिवनी के जिला कलेक्टर हुआ करते थे, तब उनके आदेश से रात को 02 बजे पूरे शहर की बिजली गोल की जाकर प्राईवेट बस स्टैण्ड में खड़ी यात्री बसों को बरघाट नाके में वर्तमान पानी की टंकी के सामने वाले हिस्से में ले जाकर खड़ा कर दिया जाकर वहां प्राईवेट बस स्टैण्ड बनाने की कोशिश आरंभ हुई, किन्तु नागरिकों के विरोध के कारण वह योजना परवान नहीं चढ़ पाई और बस स्टैण्ड को वापस पुराने स्थान पर लाना पड़ा।
मोहम्मद सुलेमान जब कलेक्टर थे उस दौर में प्राईवेट बस स्टैण्ड का निर्माण मध्य प्रदेश गृह निर्माण मण्डल के द्वारा कराया गया था। प्राईवेट बस स्टैण्ड का निर्माण इसलिए कराया गया था ताकि स्टेट कैरिज न कि टूरिस्ट या नेशनल परमिट वाली यात्री बस वहां खड़ी हो सकें।
आज जिला प्रशासन के द्वारा अगर परिवहन विभाग से उन यात्री बस की सूची ले ली जाए और सरकारी एवं निजी यात्री बस स्टैण्ड पर बस नंबर के साथ उसे चस्पा आरंभ और गंतव्य के शहरों के साथ चस्पा कर दिया जाए तो शहर के अंदर अवैध रूप से चलने वाली यात्री बसों पर ठीक उसी तरह लगाम लगाई जा सकती है जिस तरह पूर्व में तत्कालीन जिलाधिकारी मनोहर दुबे एवं तत्कालीन पुलिस अधीक्षक रमन सिंह सिकरवार के समय लगाई गई थी। उस दौर में अवैध यात्री बस सीधे बायपास से ही होकर गुजरा करती थीं, जो आज सीना ठोंककर शहर के अंदर से गुजकर सवारी भर और उतार रहीं हैं . . .
(क्रमशः जारी)
(लेखक समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के संपादक हैं.)

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