नहाने के गलत तरीके से बन रहे लकवा व ब्रेन हेमरेज के मरीज

सर्दियों में बदल लीजिए नहाने का तरीका वरना . . .

सर्दी को वैसे तो हेल्दी सीजन माना गया है, पर बढ़ती आयु को भी लोगों को ध्यान में रखना चाहिए। जिनकी उम्र 40 साल से ज्यादा है उन्हें ठण्ड में सुबह जल्दी स्नान करने से बचना चाहिए इसके साथ ही सीधे सिर के ऊपर पानी डालने के बजाए हाथ पैर में पानी डालकर ही सर पर पानी डालना चाहिए।

अक्सर आपने देखा होगा कि सर्दियों में ब्रेन स्ट्रोक के मामले काफी बढ़ जाते हैं। ज्यादातर ब्रेन स्ट्रोक के मामले मामले नहाते समय सामने आते हैं। इन्हें बाथरूम स्ट्रोक भी कहा जाता है। दरअसल कुछ लोगों की आदत होती है कि वे सर्दियों में भी ठंडे पानी से नहाते हैं और नहाते समय सबसे पहले सिर से पानी डालते हैं। सिर पर सीधे ठंडा पानी डालने से मस्तिष्क की महीन नलिकाएं सिकुड़ जाती हैं। ऐसे में सिर की ठंडक को सामान्य करने के लिए दिमाग में तापमान को नियंत्रित करने वाला एड्रेनलिन हार्माेन तेजी से रिलीज होने लगता है। इसके कारण ब्लड प्रेशर बढ़ता है। दिमाग में रक्तसंचार तेज होने से ब्रेन स्ट्रोक आता है।

चिकित्सकों का मानना है कि बाथरूम स्ट्रोक वैसे तो किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है, लेकिन 60 पार लोगों में इसकी आशंका अधिक होती है। इसका कारण है कि बढ़ती उम्र के साथ उनकी दिमागी कोशिकाएं कमजोर हो जाती हैं। ब्लड प्रेशर बढ़ने से धमनियों में अचानक खून का थक्का जम जाता है। इसे ही ब्रेन स्ट्रोक कहा जाता है। कई बार दिमाग में रक्त संचार तेज होने से नस फट भी जाती है, जिसे ब्रेन हेमरेज कहा जाता है। ब्रेन स्ट्रोक एमरजेंसी की स्थिति होती है। इसमें मरीज को फौरन अस्पताल पहुंचाना चाहिए।

न्यूरो सर्जन्स के अनुसार ब्रेन हेमरेज भी ब्रेन स्ट्रोक का ही हिस्सा है। ब्रेन स्ट्रोक के अंतर्गत क्लॉटिंग और हेमरेज दोनों आते हैं। स्ट्रोक के 80 फीसदी मामले क्लॉटिंग के होते हैं, जबकि 20 फीसदी हेमरेज के। हेमरेज बेहद गंभीर स्थिति है, कई बार इसके मरीज कोमा में चले जाते हैं।

न्यूरो सर्जन्स का मानना है कि ब्रेन स्ट्रोक की स्थिति में पैरालिसिस के लक्षण सामने आते हैं। इसका कारण है कि ब्रेन के दो हिस्से हैं। एंटीरियर और पोस्टीरियर, इन्हें सामान्य भाषा में अगला और पिछला हिस्सा कहते हैं। अगले हिस्से के दो भाग हैं, दायां और बायां। दोनों हिस्से शरीर के अपोजिट हिस्से को नियंत्रित करते हैं। यानी ब्रेन के दाएं हिस्से से शरीर का बायां हिस्सा और बाएं हिस्से से शरीर का दायां हिस्सा नियंत्रित होता है।

न्यूरो सर्जन्स के अनुसार यदि एंटीरियर के दाएं हिस्से में समस्या होगी तो शरीर के बाएं हिस्से में पैरालिसिस पड़ेगा। यदि एंटीरियर के बाएं हिस्से में समस्या होगी तो शरीर के दाएं हिस्से में लकवा होगा। वहीं पोस्टीरियर यानी ब्रेन का पिछला हिस्सा स्पीच, आंख के अलावा शरीर को बैलेंस रखने का काम करता है। इस हिस्से की किसी भी नस में समस्या आने पर मुंह टेढ़ा होना, आवाज लड़खड़ाना और आंखों में समस्या आती है।

यदि आप अपने आसपास किसी भी शख्स में पैरालिसिस के लक्षण जैसे शरीर के एक हिस्से में कमजोरी, हाथ पैरों में सुन्नपन, आवाज लड़खड़ाना, बात समझने में परेशानी, मुंह, आंख आदि में टेढ़ापन आदि देखें तो समझ जाइए कि ये ब्रेन स्ट्रोक की समस्या है और बगैर देर किए उसे अस्पताल ले जाएं।

ब्रेन स्ट्रोक में मरीज को जितनी जल्दी इलाज मिलेगा, उतनी जल्दी और अच्छी उसकी रिकवरी होगी। स्ट्रोक की कुछ दवाएं ऐसी हैं जो शुरू के चार घंटे के अंदर ही असर करती हैं। ऐसे में बिल्कुल लापरवाही न करें और मरीज को जल्द से जल्द इलाज दिलाएं। यदि मरीज बेहोश हो गया हो तो उसे कुछ भी खिलाने की कोशिश न करें।

स्ट्रोक के ये भी हैं कारण

मोटापा, हृदय रोग, डायबिटीज, हाई बीपी, कोलेस्ट्रॉल आदि।

पैरालिसिस से निपटने के लिए फिजियोथैरेपी कराएं

न्यूरो सर्जन्स के मुताबिक पैरालिसिस के लिए मालिश आदि के चक्कर में न पड़ें, मरीज का सही से इलाज कराएं ताकि उसके ब्रेन की रिकवरी हो सके। डॉक्टर द्वारा निर्देशित दवाएं दें। दवाओं के साथ साथ किसी फिजियोथैरेपिस्ट की मदद से एक्सरसाइज करवाएं।

सर्दियों में नहाने का तरीका बदलें

बाथरूम स्ट्रोक से बचने के लिए आपको सर्दियों में नहाने के तरीके को बदलना होगा। नहाते समय गुनगुने पानी का प्रयोग करें ताकि दिमाग को शरीर का तापमान संतुलित करने के लिए एड्रेनलिन हार्माेन अधिक रिलीज न करना पड़े। सीधे सिर पर पानी डालने के बजाए नहाने की शुरुआत पैरों से करें। इसके बाद घुटने, जांघ, पेट, की सफाई करते हुए शरीर पर पानी डालें। सबसे आखिरी में सिर पर पानी डालें।

(साई फीचर्स)