डोल रही धरा सिवनी में, आखिर कब मिलेगी इस कंपन से मुक्ति!

पानी तो दशकों से बह रहा सिवनी में, बरसात भी हर साल होती, पर पांच सालों से तेजी से क्यों कांपती नजर आ रही है सिवनी की धरा!
(लिमटी खरे)


चार पांच सालों से सिवनी में अचानक ही भूगर्भीय हलचलें महसूस की जा रही हैं। बारिश के मौसम और बारिश के उपरांत अमूमन इस तरह के कंपन महसूस हो रहे हैं। लोग सकते में हैं। यह पूरा का पूरा मामला केंद्र सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीन आता है एवं यह सबसे ज्यादा बालाघाट संसदीय क्षेत्र के सिवनी जिले के हिस्से में महसूस हो रहा है, इस लिहाज से बालाघाट के सांसद डॉ. ढाल सिंह बिसेन को चाहिए कि वे पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधिकारियों को बुलवाएं और वस्तुस्थिति की जानकारी लेकर उन्हीं अधिकारियों की पत्रकार वार्ता कराकर स्थिति स्पष्ट करें ताकि लोगों को वास्तविक स्थिति का पता चल सके।

भूकंप की आधिकारिक जानकारी के लिए यहां क्लिक कीजिए . . .

https://riseq.seismo.gov.in/riseq/earthquake

मजे की बात तो यह है कि 1997 में जब जबलपुर में जबर्दस्त भूकंप आया था तब सिवनी में हल्के झटके ही महसूस हुए थे। उसके बाद सिवनी में भूगर्भीय हलचलें महसूस नहीं हो पाईं। इसके बाद 2020 में 22 नवंबर की रात जबर्दस्त झटके महसूस हुए थे। उस दौरान लोगों में दहशत का माहौल था। 22 नवंबर की रात 01 बजकर 45 मिनिट से सुबह 08 बजे के बीच आधा दर्जन से ज्यादा बार धरा डोली थी।


पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि इसी दौरान सिवनी में हुई भूगर्भीय हलचलों को सोशल मीडिया में वायरल होने पर सिवनी में पोर्टेबल सिस्मोमीटर की स्थापना की जाकर कुछ माहों में ही इन्हें निकाल दिया गया था। इसके बाद स्थायी सिस्मोमीटर की संस्थापना जबलपुर और छिंदवाड़ा में की गई थी।
इसके बाद 2021 में सितंबर माह के दूसरे पखवाड़े में सिवनी में धरा डोलती नजर आई। इस बार झटके बहुत ज्यादा तेज नहीं थे, पर धरा डोलने से लोगों का भयभीत होना स्वाभाविक ही था। सूत्रों का कहना था कि 15 सितंबर से 21 सितंबर के बीच हुई भूगर्भीय हलचलों को सिवनी के अस्थायी सिस्मोमीटर में दर्ज नहीं किया गया था।
सूत्रों ने यह बात भी उस वक्त कही थी कि चूंकि इस तरह के झटके क्रशर्स के लिए गिट्टी निकालते वक्त निर्धारित गहराई से ज्यादा गहराई में ब्लास्ट किए जाकर चट्टाने ढीली करने से भी आ सकते थे, इसलिए इसके लिए माईनिंग सेफ्टी विभाग ही इसका सटीक आंकलन कर सकता था। विडम्बना ही कही जाएगी कि इस संदर्भ में जिले के दोनों सांसदों और चारों विधायकों ने भी किसी तरह की कवायद करने की जहमत नहीं उठाई।


इधर जियोलाजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के भोपाल कार्यालय के सूत्रों ने 2021 में ही समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया था कि सिवनी शहर की महज दस किलोमीटर की परिधि में तीन बहुत ही विशालकाय क्रशर्स की संस्थापना की जानकारी प्राप्त हुई है। इन तीनों क्रशर्स के संचालन के लिए बड़ी तादाद में पत्थरों की आवश्यकता होगी और हो सकता है कि धरती के अंदर से चट्टानों को निकालने के पहले विस्फोटकों के जरिए चट्टानो की पकड़ को ढीला करने का प्रयास किया जा रहा हो।
इसके अलावा उस दौरान पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय भोपाल के प्रभारी वेद प्रकाश ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा था कि 15 सितंबर से 21 सितंबर के बीच किसी भी भूगर्भीय हलचल को कैद नहीं किया गया है। लोकल लेवल पर अगर पत्थर आदि निकालने के लिए शक्तिशाली विस्फोटक का प्रयोग किया गया हो तो इस बारे में खनिज विभाग ही बेहतर बता सकता है।
2023 में भी 01 एवं 02 अक्टूबर को आधा दर्जन बार भूगर्भीय हलचलें महसूस की गई हैं। इस बारे में नेशनल सेंटर ऑफ सिस्मोलॉजी की वेब साईट पर भी इस अवधि में आधा दर्जन बार धरा डोलने का उल्लेख है।
बालाघाट के सांसद डॉ. ढाल सिंह बिसेन के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि बालाघाट के सांसद डॉ. ढाल सिंह बिसेन के द्वारा अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए 08 नवंबर 2021 को एक पत्र केंद्रीय विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह को लिखा था।


सूत्रों का कहना था कि 2021 में लिखे इस पत्र में सांसद डॉ. बिसेन ने कहा था कि उनके संसदीय क्षेत्र के जिला मुख्यालय सिवनी में पिछले दो सालों से लगातार 03 से 04 तीव्रता वाले भूकंप के झटके आ रहे हैं, जिससे अनेक मकानों में दरार आ गई हैं। भूकंप के झटके दिन में 15 से 20 बार आते हैं। इसके कारणों का सही पता न चल पाने एवं तीव्रता लगातार बढ़ने के कारण जनता में भय एवं असुरक्षा का माहौल बन गया है।
सूत्रों ने कहा कि इसके अलावा उनके द्वारा सिवनी में लगाए गए सिस्मोमीटर्स को निकाल लिए जाने की बात का उल्लेख करते हुए सिवनी में हो रही भूगर्भीय हलचलों का सही आंकलन लगाने एवं कारणों का पता लगाने के लिए उच्च गुणवत्ता एवं आधुनिक तकनीक के उपकरण सिवनी में स्थायी तौर पर लगाने की पैरवी भी की थी।
सूत्रों ने यह भी कहा कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के द्वारा सांसद डॉ. ढाल बिसेन के द्वारा जिस तरह रेलवे में कथित तौर पर गुणवत्ता विहीन काम कराने वाले डिप्टी चीफ इंजीनियर मनीष लावणकर के खिलाफ कार्यवाही की अनुशंसा करते हुए 2020 में पत्र लिखा था एवं उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई, संभवतः उसी तर्ज पर इस पत्र पर भी अब तक कोई कार्यवाही शायद नहीं हो पाई है।
अगर ये झटके पानी के धरती के अंदर समाने के कारण आ रहे हैं तो सवाल यही उठता है कि आखिर पानी का रिसाव धरती के अंदर हो कहां से रहा है! इस बारे में माईनिंग सेफ्टी, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, जिला प्रशासन आदि सभी विभागों के बीच सामंजस्य बनाकर अगर जांच कराई जाए तो ही इसके असली कारणों तक शायद पहुंचा जा सकता है, एवं इन सभी को एक सूत्र में पिरोने का काम शायद बालाघाट के सांसद डॉ. ढाल सिंह बिसेन ही बेहतर तरीके से कर सकते हैं . . .