भ्रष्टाचार में अधिकारी भी साथ दे रहे कांग्रेस का पालिका में! : पार्षद राजू यादव

मुख्य नगर पालिका के द्वारा जिला कलेक्टर को भी गलत जवाब देने से नहीं दिख रहा परहेज!

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। प्रदेश में 20 सालों से भाजपा सत्ता में है। सिवनी में 33 साल से भाजपा के विधायक हैं। सांसद भी लगभग 20 सालों से हैं, पर इसके बाद भी कांग्रेस शासित नगर पालिका परिषद पर अंकुश लगाने का काम सरकार के द्वारा अब तक नहीं किया जा सका है। नगर पालिका में कांग्रेस जब विपक्ष में रहती है और जिन प्रश्नों को वह उठाती है, सत्ता में आने के बाद उन प्रश्नों पर मौन ही धारित कर लेती है।

भारतीय जनता पार्टी के विवेकानंद वार्ड के पार्षद राजू यादव ने विज्ञप्ति कारी कर कहा है कि जिला मुख्यालय की नगर पालिका परिषद में कांग्रेसी परिषद बैठने के बाद से भ्रष्टाचार का साम्राज्य आ गया है परिषद के कर्मचारी और अधिकारी भी उसी भ्रष्टाचार की भाषा के आदी हो गये है और वे कांग्रेसी परिषद के इतने अधिक दबाव में काम कर रहे है कि जिम्मेदारी से जबाव नहीं देते विरोधी दल के पार्षदों को तो जबाव देने से वे परहेज ही करते है परंतु जिले के कलेक्टर जो आईएएस अधिकारी और जिला दंडाधिकारी है उन्हें भी गुमराह करने वाला जबाव देकर तीरंदाज बन रहे है।

उन्होंने कहा कि नगर पालिका परिषद में जिस तरह से भ्रष्टाचार को कांग्रेसी परिषद बढ़ावा देकर लूट रही है वह परिषद को दिवालिया बनाने की ओर बढते कदमों की आहट है। परिषद में हो रहे भ्रष्ट कारनामों की जाँच उच्च जाँच एजेंसी से कराकर दोषियों के विरूद्ध तत्काल कार्यवाही सुनिश्चित की जाना चाहिये।

श्री यादव ने प्रेस को जारी विज्ञप्ति में बताया है कि गत 05 सितंबर को भाजपा पार्षद दल के नेता ज्ञानचंद सनोडिया ने नगर पालिका परिषद द्वारा विद्युत सामग्री क्रय किये जाने में भारी अनियमित्ताओं का आरोप लगाते हुये भुगतान पर रोक लगाये जाने की मांग जिला कलेक्टर से की थी। जिला कलेक्टर कार्यालय ने श्री सनोडिया के पत्र का जबाव देने के लिये नगर परिषद को लिखा जिसमें नगर पालिका परिषद द्वारा जबाव दिया गया कि सिवनी नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष द्वारा 25 जुलाई को एक लिखित आवेदन देकर स्वाधीनता दिवस पर नगर के डिवाईडर पर लगे हुये 250 बिजली के पोलों पर तिरंगा रोल लाईट लगाने की मांग की गयी थी और जिसकी अनुमनित लागत दस लाख रूपये की प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृति का प्रस्ताव परिषद की प्रेसीडेंट कौंसिल में रखा गया। पी आई सी में प्रस्ताव क्रमांक 55 दिनांक 01 अगस्त 2023 को 8 लाख 75 हजार (आठ लाख पचहत्तर हजार) रूपये सामग्री क्रय करने की प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृति पी आई सी द्वारा प्रदान की गयी एवं सामग्री जेम प्लस बिड के माध्यम से क्रय किये जाने की स्वीकृति प्राप्त हुई। परिषद ने 04 अगस्त को आँन लाइन निविदा आमंत्रित की। आमंत्रित निविदा में दो फर्माे ने भाग लिया। निविद खुलने की तिथि 25 अगस्त निर्धारित थी जिसे 28 अगस्त को निविदा खोली गयी तो उसमें एक फर्म के कुछ दस्तावेज कम थे जिसकी पूर्ति के लिये दोनो फर्माे को दो दिन का समय दिया गया।

विज्ञप्ति में कहा गया है कि यहाँ बता दे कि निविदा 25 अगस्त को आमंत्रित की गयी और 28 अगस्त को खोली गयी परंतु परिषद के विद्युत शाखा प्रभारी मुकेश चौहान द्वारा परिषद में विपक्षी दल के नेता ज्ञानचंद सनोडिया को 04 सितंबर को बताया गया कि अभी निविदा खुलना शेष है इस प्रकार का जबाव दिया गया और जिला कलेक्टर को दिये गये जबाव में उल्लेख किया गया है कि निविदा 28 सितंबर को खोली गयी है। वहीं नगर के पोलो में तिरंगा लाईट के लिये आठ लाख पचहत्तर हजार रूपये की राशि स्वीकृत हुई है जबकि जिला कलेक्टर को दिये जबाव में बताया गया है कि पोलो में लगी लाईट ठेकेदार ने ट्राईल के रूप में लगायी है जिसका कोई भुगतान नहीं हुआ है परंतु यह लाईट लगाने वाला ठेकेदार कौन है यह परिषद के जिम्मेदार अधिकारी नहीं बता पा रहे है।

पार्षद राजेश यादव का कहना है कि परिषद द्वारा जिला कलेक्टर के माध्यम से परिषद में नेता प्रतिपक्ष को जो जबाव दिया गया है वह गुमराह करने वाला है विद्युत सामग्री क्रय करने वाली निविदा में कौन सी सामग्री क्रय की जाना है यह भी स्पष्ट नहीं किया गया है और पोलो में तिरंगा लाईट क्रय करने के लिये स्वीकृत राशि का क्या किया जा रहा है यह भी स्पष्ट नहीं किया जा रहा है।

श्री यादव ने कहा है कि नगर पालिका परिषद जिस तरह से गोलमोल जबाव देकर गुमराह कर रही है उससे स्पष्ट हो रहा है कि परिषद में मनमाना भ्रष्टाचार हो रहा है और व्यापक अनियमित्ताएँ बरती जा रही है। श्री यादव ने कहा कि डिवाईडर के 250 पोलो में जो तिरंगा लाईट लगायी गयी है उसकी अधिकतम कीमत 1500 पंद्रह सौ रूपये प्रति पोल भी मानी जाये तो अधिकतम राशि तीन लाख पचहत्तर हजार रूपये होती है परंतु कांग्रेसी परिषद इस लाईट के लिये आठ लाख पचहत्तर हजार रूपये स्वीकृत कर किस तरह से परिषद की राशि पर डाका डाल रहे है इसे स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है।