मारे दादा गूंगे थे. . .

एक टोपी बेचने वाला दोपहर तक टोपिया बेचने के बाद थकान के मारे एक पेड़ के नीचे जाके लेट गया,

इतने में दो- तीन बंदर आये और उसकी टोपी उठा के ले गए,

टोपी वाले को अपने दादा जी की एक कहानी याद आ गयी तो उसने अपनी एक टोपी उठा कर जमीन पैर फेंक दी

तभी पेड़ से एक बन्दर नीचे उतर के आया और टोपी वाले की एक और टोपी फटाक से उठा के ले गया और पेड़ पर चढके टोपी वाले को जीब चिडाते हुए बोल, अबे साले तू क्या सोचता हे सिर्फ तेरे ही दादा ने तुझे कहानी सुनाई थी और हमारे दादा गूंगे थे. . .

(साई फीचर्स)