नारी शासन से पूछ रही . . .

नारी शासन से पूछ रही,

बुंदेली धरा बिकल क्यों है।

जब उपज बढ़ा दी सत्ता ने,

तो कृषक पर कर्जा क्यों है।।

 

क्या खुश रह रहा किसान यहां,

इस लिए खुदकुशी करता है।

नहीं जाता दिन ऐसा कोई,

जिस दिन किसान नहीं मरता है।।

मै तो विधवा हो जाती हूँ,

तुम खुश हो लो सत्ता पा के।

यदि शर्म बची हो थोड़ी सी,

आंसू तुम पौंछते घर आ के।।

शिक्षित बेटे घर-घर बैठे,

जो हुए पलायन नहीं लौटे।

रोते पापा दादा कहते,

काश! बुरे ये दिन फिरते।।

बी के खरे

अध्यक्ष -बुंदेलखंड विकास दल

(साई फीचर्स)