काव्य गोष्ठी संपन्न

खामोश लब रहे तो आंखों से बोलते हैं

हम राज ए दिल अपना आंखों से खोलते हैं

सुभद्रा कुमारी चौहान जी की याद करना हम सभी का दायित्व है : जगदीश तपिश

सुभद्रा कुमारी चौहान स्मृति समारोह 15 फरवरी को मनाया जाएगा : मोहन सिंह चंदेल

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। सुभद्रा कुमारी चौहान स्मृति मंच के तत्वाधान में आज एक कवि गोष्ठी एवं साहित्यकारों की बैठक होटल नटराज में संपन्न हुई।

गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार श्री जगदीश तपिश जी ने की। इस अवसर पर अपनी बात रखते हुए श्री तपिश ने कहा कि सुभद्रा जी की याद को बनाए रखना हम सभी भारत वासियों का कर्तव्य है। उन्होंने सुभद्रा कुमारी चौहान स्मृति मंच के सभी साथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया कि वे अपने इस दायित्व का निर्वाह कर रहे हैं।

कार्यक्रम के प्रारंभ में मंच के अध्यक्ष श्री मोहन सिंह चंदेल ने विगत कार्यक्रमों का ब्यौरा दिया एवं आगामी 15 फरवरी को सुभद्रा स्मारक स्थल कलबोड़ी में सुभद्रा स्मृति समारोह पूरे सम्मान के साथ मनाए जाने की जानकारी दी एवं समस्त साहित्यकार बांधो व साहित्य प्रेमियों से इस अवसर पर उपस्थित का अनुरोध किया। इसके उपरांत काव्य गोष्ठी प्रारंभ हुई जिसमें समस्त उपस्थित कवि गणों ने अपनी-अपनी रचनाओं का पाठ किया। व श्रोताओं ने भी पूरी तल्लीनता के साथ  काव्य गोष्ठी का आनंद लिया।

काव्य गोष्ठी का संचालन शहर के युवा शायर श्री सिराज कुरैशी ने किया एवं आभार प्रदर्शन मंच के सचिव सुरेंद्र सिसोदिया अनुज ने किया।

सर्वप्रथम युवा शायर शाहनवाज कुरैशी ने पढ़ा

खामोश लब रहे तो आंखों से बोलते हैं

हम राज ए दिल अपना आंखों से खोलते हैं

छीद्धि लाल श्रीवास चिंतक ने पड़ा

निशुल्क निस्वार्थ जन सेवा चमकता है सूरज चांद की तरह

समाज परिवार मित्रों के साथ जीने में सहायक होती है सांसों की तरह।

श्री पूनाराम कुल्हाडे पूनम

जीवन में मैं जीने का संदेश सुनाता हूं

अपनों से अपनों की एक राह दिखाता हूं।

वरिष्ठ साहित्यकार श्री रमेश श्रीवास्तव चातक

घर में नहीं जो कांत तो कैसा बसंत है

घर में अगर हो कांत तो समझो बसंत है।

श्रीमती अंबिका शर्मा ने पढ़ा

बह रही है बसंती हवाएं प्रिये

मन मधुप सा मेरा गुनगुनाने लगा।

युवा शायर मिनहाज कुरैशी ने पढ़ा

सितमगरों की सितम रानियां को भूल गए

कि हम बुजुर्गों की कुर्बानियों को भूल गए।

शहर के वरिष्ठ शायर श्री सूफी रियाज निदा ने पढ़ा

उनसे अब वास्ता नहीं कोई

मुस्तकिल राब्ता नहीं कोई

जो दिखाएं ना आपका चेहरा ऐसा तो आईना नहीं कोई।

ओज के कवि श्री सुरेंद्र सिसोदिया अनुज ने पढ़ा

रहे मुल्क में गैर मुल्क की गाते हैं जो होंगे भारतवासी पर वो यार नहीं है।

सगा भाई भी हो मेरा गर राष्ट्र विरोधी हमको ऐसे भाई से कोई प्यार नहीं है।

अमरवाड़ा से पधारे कवि विनोद सनोदिया अनजान ने पढ़ा

सभी भाषा के सुंदर रूप का प्रतिमान है हिंदी

मनूज व्यवहार में निहित रसों की खान है हिंदी।

बरघाट से पधारे कवि राजेंद्र कुमार तिवारी प्रेम पुजारी

बोए पेड़ बबूल के कहां मिलेंगे आम

चलते-चलते हो गई अब जीवन की शाम।

वरिष्ठ साहित्यकार डॉ रामकुमार चतुर्वेदी

शब्दों की है भूल भुलैया भावों का है मंथन

गीत तराने गाने निकले करा रहे हैं नर्तन।

मेहता घंसौर से पधारे कवि साहब लाल दसरिये सरल ने पढ़ा

हवा में यूं उड़ा देगा कोई गिल्ली समझता है

डरने पर डरे कोई हमें बिल्ली समझता है।

श्री अशफाक खान जबल

अगर रास ना आए तो बेगानी है मोहब्बत

इस जिंदगी की अस्त में  खुनामी है मोहब्बत।

श्री घूर सिंह चिरोंजे सारंग श्री सौरभ आजाद श्री वीरेन्द्र कुमार डहेरिया श्री जेपी राजोरिया एवं श्री असलम बाबा ने भी अपनी रचनाओं का पाठ किया।

इस अवसर पर श्री गणेश गुप्ता नटराज श्री गोपाल प्रसाद सनोदिया श्री रमेश प्रसाद सनोदिया श्री विनोद यादव श्री हुकुमचंद सनोदिया श्री चेतन गांधी श्री पंकज मिश्रा श्री अर्पण संध्या श्री तरेश अग्रवाल श्री अखिलेश यादव एडवोकेट एवं श्री मोनू यादव एडवोकेट सहित बड़ी मात्रा में श्रोतागण उपस्थित रहे।