कैसे बचेगी निजता? मोबाईल की जासूसी बन सकती है सरकार के लिए सबसे बड़ा सरदर्द!

लिमटी की लालटेन 632

लीजिए, अब मंहगे मोबाईल नहीं रहे सुरक्षित तो सस्ते मोबाईल की कौन कहे!

(लिमटी खरे)

साधारण मोबाईल सदा से ही हेकर्स के लिए आसान शिकार (साफ्ट टारगेट) हुआ करते थे। अब मंहगे और दुनिया के सबसे सुरक्षित समझे जाने वाले मोबाईल और कंप्यूटर के उत्पादक की पेशानी पर जासूसी साफ्टवेयर के माध्यम से सेंधमारी का खतरा मण्डराना अपने आप में बहुत ही आश्चर्य की बात मानी जा सकती है। तू डाल डाल मैं पात पात की तर्ज पर मोबाईल में तांकझांक करने वाले भी पूरी तरह मुस्तैद ही नजर आते हैं।

दुनिया भर में सबसे सुरक्षित तरह के मोबाईल और कंप्यूटर बनाने वाली कंपनी एप्पलके द्वारा अपने उपभोक्ताओं को संदेश भेजकर सावधान किया है कि पेगासस नामक जासूसी करने वाले साफ्टवेयर के माध्यम से उनके मोबाईल या कंप्यूटर में सेंध लगाई जा सकती है इसलिए सावधान रहें। एप्पल जैसी कंपनी पर किसी बहुत बलशाली मर्सीनरी स्पाईवेयर का खतरा अगर मण्डरा रहा है तो यह वास्तव में चिंताजनक ही माना जा सकता है। कंपनी ने दुनिया भर में भारत सहित 92 देशों को खतरे के संबंध में आगाह किया है। इससे किस तरह का नुकसान या कितना नुकसान हो सकता है इस बारे में कंपनी ने किसी तरह के आंकड़े तो जारी नहीं किए हैं, पर अगर कंपनी चिंता में है तो यह बात हल्के में नहीं ली जा सकती है।

पिछले साल अर्थात लगभग छः माह पहले भी एप्पल कंपनी ने इस तरह की चेतावनी जारी की थी। इस चेतावनी के बाद सियासी बियावान में बहुत ही जमकर उठापटक मची रही। कहा जाता है कि केंद्र सरकार के दबाव में आकर एप्पल कंपनी ने इस तरह की चेतावनी की सांद्रता को बहुत ही कम अर्थात डाल्यूट कर दिया था। वर्तमान में एप्पल के द्वारा जारी की गई चेतावनी को एप्पल ब्रांड पर हमले के बजाए मोबाईल पर हुए हमले के रूप में लिया जाना चाहिए। जाहिर है इससे मोबाईल या कंप्यूटर उपकरणों की विश्वसनीयता और गुणवत्ता पर प्रश्न चिन्ह लगने आरंभ हो जाएंगे।

सबसे बड़ा सवाल यही है कि एप्पल कंपनी को इस तरह की चेतावनी जारी करने की जरूरत क्यों महसूस हुई! यह समझा जा सकता है कि कंपनी के हाथ कुछ तथ्य लगे ही होंगे जिसके चलते उसने इस तरह की चेतावनी को जारी किया। कंपनी ने उन लोगों के नाम या मोबाईल नंबर सार्वजनिक नहीं किए हैं, जिनके मोबाईल या कंप्यूटर से इस मर्सीनरी स्पाईवेयर ने सेंधमारी करते हुए तथ्यों को उड़ाया है। देखा जाए तो एप्पल कंपनी का समूची विश्वसनीयता इसी बात पर है कि उसके मोबाईल या कंप्यूटर में किसी तरह की सेंधमारी नहीं हो सकती है, पर इस तरह की कवायद से कंपनी की साख पर अगर तेजी से प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगे तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

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यक्ष प्रश्न तो यही खड़ा हुआ है कि जब एप्पल जैसे बड़े और सुरक्षित ब्रांड पर इस तरह का जासूसी हमला हो सकता है तो आम एंड्रायड फोन के क्या हाल हो रहे होंगे। आम एंड्रायड फोन चलाने वाले लोगों की जानकारी किस स्तर पर कहां कहां साझा हो रही होगी इस बारे में निश्चित तौर पर कुछ भी कहना उचित नहीं होगा। वैसे एप्पल कंपनी के अंदरखाने से छन छन कर जो खबरें बाहर आ रहीं हैं उन पर अगर यकीन किया जाए तो एप्पल के प्रोडक्ट में सेंधमारी करना किसी आम सायबर एक्सपर्ट के बूते की बात नहीं है, क्योंकि जिस भी साफ्टवेयर के जरिए इस तरह की सेंधमारी हो रही है उसे खरीदने और उसके संधारण में ही लाखों डालर खर्च करना पड़ता है।

आम लोगों को शायद इस तरह की खबरों से ज्यादा असर न पड़े या उनका इससे कोई सरोकार ही न हो, क्योंकि आम आदमी की यही सोच होती है कि उसके मोबाईल से इस तरह के जासूस आखिर किस तरह की सूचनाएं निकाल लेंगे! और निकाल भी ली तो उनकी सेहत पर किसी तरह का असर शायद ही पड़े। इससे उलट एप्पल कंपनी के मोबाईल या कंप्यूटर बहुत मंहगे होते हैं और ये आम आदमी की पहुंच से बाहर ही होते हैं। जाहिर है एप्पल जैसी कंपनी के प्रोडक्ट अमूमन व्यवस्था अथवा समाज या सरकार के नीति निर्धारक लोग ही कर पाते हैं। इस तरह के लोगों से जानकारियां जुटाकर उसका दुरूपयोग होने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है।

लगभग तीन साल पहले पेगासस के प्रयोग की बात देश में सामने आने पर खासा वाद विवाद हुआ था। देश की शीर्ष अदालत में भी अनेक याचिकाएं दायर हुई थीं। बात में यह बात सामने आई कि यह साफ्टवेयर इजराईल की सरकार बेचती है और इजराईल की सरकार ने दो टूक कहा था कि वह इस तरह के साफ्टवेयर को किसी कंपनी या किसी व्यक्ति को नहीं वरन सरकारों को बेचा करती है। इजराईल की सरकार का यह कहना ही इस पूरे मामले की गंभीरता का आधार माना जा सकता है।

सायबर एक्सपर्टस का मानना है कि इस तरह के साफ्टवेयर दरअसल एक तरह के अदृश्य भेदिए की भूमिका में होते हैं, जो मोबाईल या कंप्यूटर के मालिक की नजरों में आए बिना ही उनके मोबाईल या कंप्यूटर पर पूरी नजर रखते हैं। यह निश्चित तौर पर व्यक्ति की निजता पर सीधा सीधा हमला माना जा सकता है। किसी भी प्रोडक्ट के लिए कंपनी को चाहिए कि वह उसके प्रोडक्ट के उपयोगकर्ता की सुरक्षा को सर्वोपरि रखे। आने वाले समय में वे ही कंपनियां बाजार पर राज कर पाने में सफल होंगी जो अपने उपभोक्ताओं के हितों के संवर्धन के लिए सब कुछ करने को तैयार हों।

वैश्विक स्तर पर इससे निपटने के लिए 92 देशों की सरकारें क्या कर रही हैं यह बात तो वे ही जानें, पर भारत सरकार को इस मामले को पूरी गंभीरता के साथ लेकर मोबाईल धारकों की सुरक्षा के लिए अनेक परतों में सुरक्षा कवच तैयार करने के लिए मोबाईल या कंप्यूटर उत्पादक कंपनियों, मोबाईल सेवा प्रदाता कंपनियों आदि को पाबंद करना चाहिए, ताकि मोबाईल या कंप्यूटर उपभोक्ताओं की निजता के हनन को पूरी तरह रोका जा सके . . .

(लेखक समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के संपादक हैं.)

(साई फीचर्स)