देश में अगर निशुल्क कुछ देना है तो सिर्फ शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं ही होना चाहिए पूरी तरह निशुल्क . . .

लिमटी की लालटेन 634

सब कुछ निशुल्क पर मौन है, भाजपा में मोदी की गारंटी बनाम कांग्रेस का न्याय पत्र . . .

(लिमटी खरे)

अठ्ठारहवीं लोकसभा के लिए मतदान में अब ज्यादा समय शेष नहीं रह गया है। पहले चरण में 19 अप्रैल, दूसरे चरण में 26, फिर 07 मई, 13 मई, 20 मई, 25 मई और सातवें व अंतिम चरण के लिए 01 जून को मतदान होगा। मतों की गिनती 04 जून को की जाएगी। मतदाताओं को लुभाने के लिए सभी सियासी दलों ने अपने अपने घोषणा पत्रों को जारी किया है।

भाजपा ने खुद के लिए 370 सीटें तो गठबंधन सहित 400 पार का नारा दिया है, वहीं विपक्ष में बैठी कांग्रेस अपने प्रयासों से भाजपा को चुनौति देती नजर आ रही है। भाजपा का घोषणा पत्र अंबेडकर जयंति 14 अप्रैल को जारी किया गया है। इसे मोदी की गारंटी कहा गया है। वहीं कांग्रेस का घोषणा पत्र 05 अप्रैल को जारी हुआ कांग्रेस के द्वारा इसे न्याय पत्र नाम दिया गया है।

मोदी की गारंटी शीर्षक से इस बार जारी हुए घोषणा पत्र में कहा गया है कि 80 करोड़ परिवारों को आने वाले 05 सालों तक मुफ्त राशन की व्यवस्था जारी रहेगी। इसके अलावा 70 साल से अधिक आयु के सभी बुजुर्गों को आयुष्मान योजना के दायरे में लाने, गरीबों को घर, वन नेशन वन इलेक्शन, पाईप लाईन के जरिए घर घर रसाई गैस ले जाने, देशहित में समान नागरिक संहिता लागू करने की संभावनाएं तलाशने, पूरे देश में वंदे भारत रेलगाड़ी का विस्तार, सभी को स्वास्थ्य बीमा देना, 03 करोड़ ग्रामीण महिलाओं को लखपति दीदी बनाना, मुद्रा योजना के तहत समय पर लोन चुकाने वालों की क्रेडिट लिमिट 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख करने सहित अनेक लुभावनी गारंटी दी गई हैं।

वहीं कांग्रेस के द्वारा जारी न्याय पत्र नामक शीर्षक से जारी घोषणा पत्र में न्यूनतम राष्ट्रीय वेतन 400 रूपए प्रतिदिन करने के साथ ही 30 लाख रिक्त पदों पर भर्ती, स्वास्थ्य के लिए राजस्थान माडल को लागू करते हुए 25 लाख रूपए तक का कैशलेश बीमा, किसानों के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार एमएसपी की कानूनी गारंटी देने, व्यक्तिगत कानूनों में सुधार को प्रोत्साहित करने, राष्ट्रव्यापी सामाजिक, आर्थिक सर्वे और जाति जनगणना करवाने, एससी, एसटी, ओबीसी के लिए आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत को बढ़ाने के लिए संविधान संशोधन पारित करने, परीक्षाओं और सरकारी पदों के लिए आवेदन शुल्क समाप्त करने, 15 मार्च 2024 तक के सभी एजूकेशन लोन माफ करने, 2025 में महिलाओं के लिए केंद्र की नौकरियों में 50 फीसदी आरक्षण सहित अनेक लुभावनी बातें घोषणा पत्र में कही हैं।

कांग्रेस हो या भाजपा अथवा अन्य कोई राजनैतिक दल, सभी के द्वारा मतदाताओं को लुभाने के लिए तरह तरह के वायदे, गारंटी आदि दी जा रही हैं। कोई भी सियासी दल इस बात पर चर्चा करने या इसे अपने घोषणा पत्र में शामिल करने का साहस नहीं कर पा रहा है कि आखिर देश की जनता को आत्मनिर्भर बनाने के लिए रोजगार के साधन बढ़ाने के बजाए सब कुछ निशुल्क क्यों दिया जा रहा है।

यक्ष प्रश्न यही है कि एक युवा को अगर अनाज सहित सब कुछ निशुल्क मिलेगा तो वह कमाने के लिए प्रेरित कैसे होगा! देश में अगर कुछ निशुल्क करना ही है तो बस दो चीजों को ही निशुल्क करना चाहिए। पहली है शिक्षा और दूसरा है स्वास्थ्य। शिक्षा के लिए सरकारी स्कूल ही देश में अस्तित्व में रहें। निजि शिक्षण संस्थाओं को सरकार में मर्ज किया जाकर शिक्षा को सरकारी स्तर पर ही दिए जाने का प्रावधान किया जाना चाहिए। गरीब का बच्चा हो या अमीर का, नौकरशाह का बच्चा हो या भृत्य का, सभी एक ही शाला में शिक्षा ग्रहण करें, इसके लिए न्यूनतम राशि हर साल हर व्यक्ति से अनिवार्य तौर पर वसूल की जाने का प्रावधान होना चाहिए। इसके साथ ही निजि कोचिंग संस्थानों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। इसके साथ ही पढ़ाई, पाठ्यक्रम आदि को लेकर प्रयोग करना बंद होना चाहिए। बच्चों को शुरूआती दौर से ही मूल्य आधारित शिक्षा एवं व्यवहारिक शिक्षा दिए जाने की महती जरूरत है। अगर ऐसा होता है तो आने वाले एक दशक में ही देश की तस्वीर पूरी तरह बदली नजर आ सकती है।

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इसी तरह स्वास्थ्य का मामला है। कैशलैस बीमा करवाने या उसका प्रलोभन देने की आवश्यकता ही क्या है। देश के हर नागरिक से सौ या डेढ़ सौ रूपए सालाना टोकन राशि अनिवार्य तौर पर ली जाए, इसका डाटा कंप्यूटर में डाल दिया जाए। जब भी कोई मरीज इलाज के लिए आए वह अपना आधार कार्ड अथवा अन्य दस्तावेज प्रस्तुत करे, जिसके नंबर से उसकी पूरी जानकारी निकलकर सामने आ जाए और उसका ईलाज आरंभ करवा दिया जाए। सारे ईलाज सरकारी अस्पताल में ही किए जाएं। बीमार होने पर सरकारी अस्पताल में ईलाज के साथ ही साथ दवाएं भी निशुल्क ही प्रदान की जाए। इस तरह निजि अस्पताल और मेडिकल स्टोर्स का अस्तित्व अपने आप ही समाप्त हो जाएगा।

देश में अगर सुशासन लाना है तो लोगों को पढ़ा लिखा बनाना और स्वस्थ्य रखना पहली प्राथमिकता होना चाहिए, न कि सब कुछ निशुल्क प्रदाय करना। वर्तमान समय में प्रशिक्षित शिक्षकों, उचित माहौल और अन्य सुविधाओं के अभाव में अनेक प्रतिभाएं शैशव काल में ही दम तोड़ दिया करती हैं। इन सारी बातों पर देश के हुक्मरानों सहित, नीति निर्धारकों, आम जनता (मास) को संचालित करने वाले विशिष्ट लोगों (क्लास) को विचार करना चाहिए, शायद तभी हमारे देश के विश्वगुरू बनने के मार्ग प्रशस्त हो सकेंगे . . .

(लेखक समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के संपादक हैं.)

(साई फीचर्स)