आखिर क्यों पूजा जाता है सनातन धर्म में नाग को!

नागपंचमी पर क्यों नहीं चढ़ाया जाता तवा, किन राशियों को होने वाला है फायदा!
सनातन धर्मियों के त्यौहारों में नाग पंचमी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन माह की शुक्ल पक्ष के पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता या सर्प की पूजा की जाती है और उन्हें दूध से स्नान कराया जाता है। लेकिन कहीं-कहीं दूध पिलाने की परम्परा भी है। कहा जाता है कि नाग को दूध नहीं पिलाना चाहिए, उन्हें दूध पिलाने से पाचन नहीं हो पाने या प्रत्यूर्जता से उनकी मृत्यु हो जाती है। शास्त्रों में नागों को दूध पिलाने को नहीं बल्कि दूध से स्नान कराने को कहा गया है। इस दिन नवनाग की पूजा की जाती है।
नागपंचमी पर पर वाराणसी अर्थात काशी में नाग कुआँ नामक स्थान पर बहुत बड़ा मेला लगता है। किंवदन्ति है कि इस स्थान पर तक्षक गरूड़ जी के भय से बालक रूप में काशी संस्कृत की शिक्षा लेने हेतु आये, परन्तु गूरू पत्नी के सखियों से तक्षक रुपी बालक के बारे में बतलाने के कारण गरूड़ जी को इसकी जानकारी हो गयी, और उन्होंने तक्षक पर हमला कर दिया, परन्तु अपने गुरू जी के प्रभाव से गरूड़ जी ने तक्षक नाग को अभय दान कर दिया, उसी समय से यहाँ नाग पंचमी के दिन से यहाँ नाग पूजा की जाती है।
इसके साथ ही यह मान्यता है, कि जो भी नाग पंचमी के दिन यहाँ पूजा अर्चना कर नाग कुआँ का दर्शन करता है, उसकी जन्मकुन्डली के सर्प दोष का निवारण हो जाता है। नागपंचमी के ही दिन अनेकों गांव व कस्बों में कुश्ती का आयोजन होता है जिसमें आसपास के पहलवान भाग लेते हैं। गाय, बैल आदि पशुओं को इस दिन नदी, तालाब में ले जाकर नहलाया जाता है।
हिन्दू संस्कृति ने पशु-पक्षी, वृक्ष-वनस्पति सबके साथ आत्मीय संबंध जोड़ने का प्रयत्न किया है। हिन्दू धर्म में गाय की पूजा होती है। अनेक सनातनी बहनें कोकिला व्रत करती हैं। कोयल के दर्शन हो अथवा उसका स्वर कान पर पड़े तब ही भोजन लेना, ऐसा यह व्रत है। हमारे यहाँ वृषभोत्सव के दिन बैल का पूजन किया जाता है। वट सावित्री जैसे व्रत में बरगद की पूजा होती है, परन्तु नाग पंचमी जैसे दिन नाग का पूजन जब हम करते हैं, तब तो सनातन संस्कृति की विशिष्टता पराकाष्टा पर पहुंच जाती है।
माना जाता है कि गाय, बैल, कोयल इत्यादि का पूजन करके उनके साथ सनातन धर्म का अनुसरण करने वाले आत्मीयता साधने का प्रयत्न करते हैं, क्योंकि वे उपयोगी हैं। लेकिन नाग उनके किस उपयोग में आता है, इससे उलट अगर नाग किसी को काट ले तो जान पर बन आती है। सभी उससे डरते हैं। नाग के इस डर से नागपूजा शुरू हुई होगी, ऐसा कई लोग मानते हैं, परन्तु यह मान्यता सनातन संस्कृति से सुसंगत नहीं लगती। नाग को देव के रूप में स्वीकार करने में आर्यों के हृदय की विशालता का दर्शन होता है। कृण्वन्तो विश्वमार्यर्म इस गर्जना के साथ आगे बढ़ते हुए आर्यों को भिन्न-भिन्न उपासना करते हुए अनेक समूहों के संपर्क में आना पड़ा। वेदों के प्रभावी विचार उनके पास पहुँचाने के लिए आर्यों को अत्यधिक परिश्रम करना पड़ा।
विभिन्न समूहों को उपासना विधि में रहे फर्क के कारण होने वाले विवाद को यदि निकाल दिया जाए तो मानव मात्र वेदों के तेजस्वी और भव्य विचारों को स्वीकार करेगा, इस पर आर्यों की अखण्ड श्रद्धा थी। इसको सफल बनाने के लिए आर्यों ने अलग-अलग पुंजों में चलती विभिन्न देवताओं की पूजा को स्वीकार किया और अलग-अलग पुंजों को उन्होंने आत्मसात करके अपने में मिला लिया। इन विभिन्न पूजाओं को स्वीकार करने के कारण ही हमें नागपूजा प्राप्त हुई होगी, ऐसा लगता है।
देखा जाए तो भारत देश कृषि प्रधान देश हैं सांप खेतों का रक्षण करता है, इसलिए उसे क्षेत्रपाल कहते हैं। जीव जंतु, चूहे आदि जो फसल को नुकसान करने वाले तत्व हैं, उनका नाश करके सांप खेतों को हरा भरा रखता है। साँप समाज को कई मूक संदेश भी देता है। साँप के गुण देखने की हमारे पास गुणग्राही और शुभग्राही दृष्टि होनी चाहिए। भगवान दत्तात्रय की ऐसी शुभ दृष्टि थी, इसलिए ही उन्हें प्रत्येक वस्तु से कुछ न कुछ सीख मिली।
साँप सामान्यतया किसी को अकारण नहीं काटता। उसे परेशान करने वाले को या छेड़ने वालों को ही वह डसता है। साँप भी प्रभु का सर्जन है, वह यदि नुकसान किए बिना सरलता से जाता हो, या निरुपद्रवी बनकर जीता हो तो उसे मारने का हमें कोई अधिकार नहीं है। जब हम उसके प्राण लेने का प्रयत्न करते हैं, तब अपने प्राण बचाने के लिए या अपना जीवन टिकाने के लिए यदि वह हमें डँस दे तो उसे दुष्ट कैसे कहा जा सकता है? हमारे प्राण लेने वालों के प्राण लेने का प्रयत्न क्या हम नहीं करते? साँप को सुगंध बहुत ही भाती है। चंपा के पौधे को लिपटकर वह रहता है या तो चंदन के वृक्ष पर वह निवास करता है। केवड़े के वन में भी वह फिरता रहता है। उसे सुगंध प्रिय लगती है, इसलिए भारतीय संस्कृति को वह प्रिय है। प्रत्येक मानव को जीवन में सद्गुणों की सुगंध आती है, सुविचारों की सुवास आती है, वह सुवास हमें प्रिय होनी चाहिए।
हम जानते हैं कि साँप बिना कारण किसी को नहीं काटता। वर्षों परिश्रम संचित शक्ति यानी जहर वह किसी को यों ही काटकर व्यर्थ खो देना नहीं चाहता। हम भी जीवन में कुछ तप करेंगे तो उससे हमें भी शक्ति पैदा होगी। यह शक्ति किसी पर गुस्सा करने में, निर्बलों को हैरान करने में या अशक्तों को दुःख देने में व्यर्थ न कर उस शक्ति को हमारा विकास करने में, दूसरे असमर्थों को समर्थ बनाने में, निर्बलों को सबल बनाने में खर्च करें, यही अपेक्षित है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा-अर्चना से साधक के जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। साथ ही इस दिन खेतों में फसलों की रक्षा के लिए भी नाग देवता की पूजा की जाती है। नाग पंचमी के दिन नाग देव की आराधना से भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
आईए जानते हैं कि नागपंचमी के दिन क्यों नहीं बनती घरों में रोटी . . ., नाग पंचमी के दिन लोहे से बनी चीजों का इस्तेमाल करना वर्जित माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रोटी बनाने के लिए जिस तवे का इस्तेमाल किया जाता है उसे नाग के फन से जोड़कर देखा जाता है। ऐसे में नाग पंचमी पर चूल्हे पर तवा रखने से नाग देवता नाराज हो सकते हैं। साथ ही तवे को राहु के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है और नाग पंचमी पर इसके इस्तेमाल से कुंडली में राहु ग्रह का प्रभाव बढ़ सकता है। ऐसे में नाग पंचमी पर तवे पर रोटी बनाने से व्यक्ति को जीवन में कई तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है।
आईए अब जानते हैं सर्पमणि के बारे में,
इस तरह की मान्यता भी है कि कुछ दैवीय साँपों के मस्तिष्क पर मणि होती है। मणि अमूल्य होती है। हमें भी जीवन में अमूल्य वस्तुओं को बातों को मस्तिष्क पर चढ़ाना चाहिए। समाज के मुकुटमणि जैसे महापुरुषों का स्थान हमारे मस्तिष्क पर होना चाहिए। हमें प्रेम से उनकी पालकी उठानी चाहिए और उनके विचारों के अनुसार हमारे जीवन का निर्माण करने का अहर्निश प्रयत्न करना चाहिए। सर्व विद्याओं में मणिरूप जो अध्यात्म विद्या है, उसके लिए हमारे जीवन में अनोखा आकर्षण होना चाहिए। आत्मविकास में सहायक न हो, उस ज्ञान को ज्ञान कैसे कहा जा सकता है?
साँप बिल में रहता है और अधिकांशतः एकान्त का सेवन करता है। इसलिए मुमुक्षु को जनसमूह को टालना चाहिए। इस बारे में साँप का उदाहरण दिया जाता है। देव-दानवों द्वारा किए गए समुद्र मंथन में साधन रूप बनकर वासुकी नाग ने दुर्जनों के लिए भी प्रभु कार्य में निमित्त बनने का मार्ग खुला कर दिया है। दुर्जन मानव भी यदि सच्चे मार्ग पर आए तो वह सांस्कृतिक कार्य में अपना बहुत बड़ा योग दे सकता है और दुर्बलता सतत खटकती रहने पर ऐसे मानव को अपने किए हुए सत्कार्य के लिए ज्यादा घमंड भी निर्माण नहीं होगा।
दुर्जन भी यदि भगवद् कार्य में जुड़ जाए तो प्रभु भी उसको स्वीकार करते हैं, इस बात का समर्थन शिव ने साँप को अपने गले में रखकर और विष्णु ने शेष शयन करके किया है। समग्र सृष्टि के हित के लिए बरसते बरसात के कारण निर्वासित हुआ साँप जब हमारे घर में अतिथि बनकर आता है तब उसे आश्रय देकर कृतज्ञ बुद्धि से उसका पूजन करना हमारा कर्त्तव्य हो जाता है। इस तरह नाग पंचमी का उत्सव श्रावण महीने में ही रखकर हमारे ऋषियों ने बहुत ही औचित्य दिखाया है।
हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। शास्त्रों में पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता माने गए हैं। नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा और व्रत रखने से काल सर्प दोष से मुक्ति मिलती है और भय दूर होता है। इस वर्ष नाग पंचमी के दिन कई तरह के दुर्लभ योग बन रहे हैं।
जानकार विद्वानों के अनुसार इस बार नाग पंचमी पर 5 तरह के दुर्लभ संयोग बनने जा रहे हैं। नाग पंचमी के दिन सुख वैभव प्रदान करने वाले ग्रह शुक्र ग्रह और बुधदेव मिलकर लक्ष्मी नारायण योग बनाएंगे। इसके अलावा नाग पंचमी पर शनिदेव अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में रहते हुए शश राजयोग का निर्माण करेंगे। चंद्रदेव कन्या राशि में होंगे और राहु के साथ समसप्तक योग का निर्माण करेंगे। ग्रहों के अलावा नागपचंमी पर शुभ और सिद्ध योग भी बनेगा। नागपंचमी पर एक साथ कई तरह के योग बनने के कारण इसका प्रभाव सभी राशियों के जातकों पर पड़ेगा। जिसमें से कुछ राशि के लोगों के लिए नाग पंचमी का त्योहार बहुत ही शुभ और तरक्की दिलाने वाला होगा। आइए जानते हैं किन-किन राशि वालों को इस बार नागपंचमी रहने वाली है भाग्यशाली,
मेष राशि के जातकों के लिए नाग पंचमी के दिन 5 तरह के राजयोग का बनना बहुत ही शुभ फलदायी साबित हो सकता है। भाग्य का अच्छा साभ आपको मिलेगा। आपकी आय में जबरदस्त इजाफा देखने को मिल सकता है। बिगड़े काम जल्द ही पूरे होंगे। नौकरी पेशा जातकों को कोई नई जिम्मेदारी मिल सकती है। भाग्य का अच्छा साथ आपको मिल सकता है। नई योजनाओं में आपको अच्छी सफलता और अनुभव का लाभ आपको मिलेगा। सभी तरह की इच्छाएं पूरी होंगी और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होगी।
मेष राशि के अलावा वृषभ राशि के जातकों को भी नाग पंचमी पर बने पांच राजयोग का फायदा मिलेगा। आपकी आय में अच्छा इजाफा देखने को मिल सकता है। धन लाभ के बेहतरीन मौके आपको मिलेंगे। नौकरीपेशा जातकों को नई नौकरी में अच्छे प्रस्ताव आपके सामने मिल सकते हैं। आपकी पारिवारिक जीवन पहले से बेहतर रहेगा। आपको भाग्य का अच्छा साथ मिलेगा जिससे रुके हुए काम जल्द से जल्द पूरे होंगे। छात्रों को शिक्षा के क्षेत्र में कुछ शुभ समाचार की प्राप्ति हो सकती है।
सिंह राशि के जातकों के लिए नाग पंचमी पर बना दुर्लभ और शुभ योग बहुत ही फलदायी साबित हो सकता है। आपकी लोकप्रियता में अच्छा खासा इजाफा देखने को मिल सकता है। नौकरीपेशा जातकों को मेहनत का फल मिलेगा और आय में दोगुने से ज्यादा वृद्धि देखने को मिल सकती है। जो जातक किसी व्यापार से संबंधित हैं उनको कोई अच्छी डील हासिल हो सकती है जो आने वाले दिनों में बहुत ही लाभ दिलाएगा।
अगर आप नागदेवता की कृपा चाहते हों तो तो कमेंट बाक्स में जय नागदेवता लिखना न भूलिए। यहां बताए गए उपाय, लाभ, सलाह और कथन आदि सिर्फ मान्यता और जानकारियों पर आधारित हैं। यहां यह बताना जरूरी है कि किसी भी मान्यता या जानकारी की समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के द्वारा पुष्टि नहीं की जाती है। यहां दी गई जानकारी में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, मान्यताओं, धर्मग्रंथों, दंतकथाओं, किंवदंतियों आदि से संग्रहित की गई हैं। आपसे अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया पूरी तरह से अंधविश्वास के खिलाफ है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।
(साई फीचर्स)