जानिए मंगला गौरी वृत की कथा, विधि और सावधानियां . . .

सुहागन स्त्रियों के लिए पर्व है मंगला गौरी व्रत
मंगला गौरी व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, विशेषकर सुहागिन महिलाओं के लिए। यह व्रत मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से सुहागिन महिलाओं का सुख और समृद्धि बढ़ती है और उनके वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है।
सावन का महीना शिव भक्तों के लिए बेहद खास माना जाता है। इस माह में विधिपूर्वक भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। सावन में पड़ने वाले सभी मंगलवार पर मंगला गौरी व्रत करने का विधान है। सनातन धर्म में मंगला गौरी व्रत को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पर्व मां गौरी को समर्पित है। मंगला गौरी व्रत के दिन विवाहित महिलाएं वैवाहिक जीवन को खुशहाल बनाए रखने के लिए मां गौरी की पूजा-अर्चना करती हैं।
पंचांग के अनुसार, चौथा मंगला गौरी व्रत 13 अगस्त को किया जाएगा। सावन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर चौथा मंगला गौरी व्रत पड़ रहा। इस दिन ब्रम्हा मुहूर्त सुबह 04 बजकर 23 मिनट से लेकर 05 बजकर 06 मिनट तक रहेगा। वहीं,अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 59 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 52 मिनट तक है।
अनेक वृतांतों में इस मंगला गौरी व्रत के अनेक महत्व बताए गए हैं। इसमें प्रमुख रूप से पति की लंबी उम्र माना गया है। कहा जाता है कि यह व्रत पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए किया जाता है। इसके अलावा सुख-समृद्धि के लिए भी इसे रखा जाता है। माना जाता है कि इस व्रत को करने से घर में सुख समृद्धि आती है। वहीं, सौभाग्य के लिए भी महिलाओं के द्वारा इसे किया जाता है। सुहागिन महिलाएं अपने सौभाग्य की रक्षा के लिए यह व्रत करती हैं। इसके साथ ही संतान प्राप्ति की कामना से भी यह व्रत किया जाता है।
आईए जानते हैं मंगला गौरी व्रत की कथा के बारे में, मंगला गौरी व्रत की कथा बहुत ही रोचक है। कथा के अनुसार, एक बार की बात है, एक सुहागिन महिला थी जो अपने पति की लंबी उम्र के लिए बहुत चिंतित थी। उसने मां पार्वती की तपस्या की और उनसे अपने पति की रक्षा करने की प्रार्थना की। मां पार्वती प्रसन्न हुईं और उन्होंने महिला को मंगला गौरी व्रत करने का आशीर्वाद दिया। महिला ने नियमित रूप से यह व्रत करना शुरू किया और उसके पति की उम्र लंबी और स्वस्थ रही।
एक समय की बात है एक शहर में धर्मपाल नाम का एक व्यापारी रहता था। उसकी पत्नी बहुत खूबसूरत थी और उसके पास काफी संपत्ति थी लेकिन, उनके कोई संतान नहीं होने के कारण वे काफी दुखी रहा करते थे। भगवान की कृपा से उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई लेकिन, वह अल्पायु था। उनके पुत्र को श्राप मिला था कि 6 वर्ष की आयु में सांप के काटने से उसकी मौत हो जाएगी।
संयोग से उसकी शादी 16 वर्ष से पहले ही एक युवती से हुई जिसका माता मंगला गौरी व्रत किया करती थी। 16 वर्ष की उम्र में सांप के काटने से उसकी मौत हो जाएगी। संयोग से उसकी शादी 16 वर्ष से पहले ही एक युवती से हुई जिसकी माता मंगला गौरी व्रत किया करती थी। परिणामस्वरुप उसने अपनी पुत्री के लिए एक ऐसे सुखी जीवन का आशीर्वाद प्राप्त किया था। जिसके कारण वह कभी भी विधवा नहीं हो सकती थी।
इस कारण धर्मपाल के पुत्र की आयु 100 साल की हुई। सभी नवविवाहित महिलाएं इस पूजा को करती है और मंगला गौरी व्रत का पालन करती हैं और अपने लिए लंबे सुखी और स्थायी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं। उनकी मनोकामना पूरी होती है। जो महिलाएं उपवास नहीं कर सकती वह मां मंगला गौरी की पूजा कर सकती है।
आईए अब आपको बताते हैं मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि के बारे में, मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि इस प्रकार है, प्रातःकाल उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर मां पार्वती और भगवान शिव की मूर्ति स्थापित करें। मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराएं और चंदन, कुमकुम और फूल चढ़ाएं। दीपक जलाएं और धूप बत्ती करें। मां पार्वती के मंत्रों का जाप करें। व्रत की कथा सुनें उसके उपरांत भोग लगाएं और अंत में आरती करें और प्रसाद ग्रहण करें।
व्रत के दौरान क्या करें और क्या न करें को लेकर बहुत संशय बरकरार ही रहता है। जानकार विद्वानों का मत है कि व्रत के दिन शुद्ध और सात्विक भोजन करें। लाल रंग के वस्त्र पहनें। मां पार्वती की मूर्ति के सामने दीपक जलाएं। मन में पति की लंबी उम्र की कामना करें। व्रत के दौरान झूठ बोलने से बचें। किसी का अपमान न करें। गुस्सा न करें।
मंगला गौरी व्रत में खानपान के नियम का पालन करना बेहद जरुरी होता है। ऐसा माना जाता है कि नियम का पालन न करने से साधक शुभ फल की प्राप्ति से वंचित रहता है। मंगला गौरी व्रत के दौरान फल, दूध, दही साबूदाने की खीर और साबूदाने की खिचड़ी का सेवन किया जा सकता है।
व्रत का महत्व और समाज में इसकी भूमिका के बारे में कहा गया है कि मंगला गौरी व्रत भारतीय समाज में महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है। यह व्रत महिलाओं को एक साथ लाता है और उनके बीच मजबूत बंधन बनाता है। यह व्रत महिलाओं को धार्मिक और सामाजिक मूल्यों से जोड़ता है।
आधुनिक समय में मंगला गौरी व्रत का बड़ा ही महत्व है। आज के समय में भी मंगला गौरी व्रत का बहुत महत्व है। हालांकि, बदलते समय के साथ इस व्रत में कुछ बदलाव भी आए हैं। आजकल महिलाएं इस व्रत को अपने घरों में ही मनाती हैं और वे सोशल मीडिया के माध्यम से भी एक-दूसरे के साथ जुड़कर इस व्रत को मनाती हैं।
इस माह में अगर आप देवाधिदेव महादेव ब्रम्हाण्ड के राजा भगवान शिव की अराधना करते हैं तो भोलेनाथ बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। अगर आप भोलेनाथ के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में हर हर महादेव लिखना न भूलिए।
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(साई फीचर्स)