शिव महिम्न स्त्रोत का पाठ अथवा श्रवण करने से होते हैं भोलेनाथ प्रसन्न
श्रावण का महीना भगवान भोलेनाथ का प्रिय माह माना जाता है। इस माहीने में अगर आप देवाधिदेव महादेव ब्रम्हाण्ड के राजा भगवान शिव की अराधना करते हैं तो भोलेनाथ बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। अगर आप भोलेनाथ के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में हर हर महादेव जरूर लिखिए।
हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा के लिए कई प्रकार की विधि, उपाय और मंत्र आदि बताए गये हैं। इनमें शिव महिम्न स्त्रोत के पाठ का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है। भगवान शिव की महिमा का गान करने वाला यह स्त्रोत अत्यंत ही मनोहर है, जिसे श्रद्धा और विश्वास के साथ पाठ करने पर साधक की सभी मनोकामनाएं पलक झपकते पूरी हो जाती हैं। भगवान शिव के अनन्य भक्त गंधर्वराज पुष्पदंत द्वारा रचित यह स्त्रोत देवों के देव महादेव को बहुत ज्यादा प्रिय है। यही कारण है कि भोले के भक्त उनसे मनचाहा वरदान पाने के लिए इस श्रावण के महीने में विशेष रूप से पाठ करते हैं। आइए शिव महिम्न स्त्रोत के बारे में विस्तार से जानते हैं।
सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार भगवान शिव की पूजा का पुण्यफल दिलाने वाले शिवमहिम्न स्त्रोत उनके दिव्य स्वरूप का अलौकिक वर्णन किया गया है। मान्यता है कि अपने स्वरूप के बारे में पूछे जाने पर स्वयं शिव ने अपने पावन स्वरूप का वर्णन इसी स्त्रोत के माध्यम से किया है। जिसका आशय है कि इस जगत में जो कुछ भी है वह सब कुछ शिवमय है। जल, थल, नभ आदि सभी के स्वामी भगवान शिव है। शिव ही सत्य है। भगवान शिव की महिमा का गान करते हुए इस पावन स्त्रोत में बताया गया है कि भगवान शिव देवों के देव हैं जिनके इशारे मात्र से क्या आम आदमी और क्या देवतागण सभी सुख, संपदा और ऐश्वर्य का भोग करते हैं।
आईए अब बताते हैं शिव महिम्न स्त्रोत का धार्मिक महत्व, शिव महिम्न स्त्रोत के अनुसार भगवान भोलेनाथ की भक्ति में अनंत आनंद समाया हुआ है, जिसे पाने के बाद शिवभक्त को कोई और कामना नहीं रह जाती है क्योंकि सच्ची श्रद्धा और विश्वास के साथ शिव महिम्न स्त्रोत का पाठ करने वाले व्यक्ति पर हर समय शिव कृपा बरसती है और उसे जीवन का कोई भी भय, रोग या शोक नहीं सताता है। मान्यता है किशिव महिम्न स्त्रोत का पाठ करने पर तमाम तरह के दान, तप और तीर्थाटन से ज्यादा पुण्यफल प्राप्त होता है। इसे पढ़ने वाला शिव भक्त सभी सुखों को भोगता हुआ अंत में शिवलोक को प्राप्त होता है।
जानिए शिव महिम्न स्त्रोत का पाठ कब करें, सनातन परंपरा के अनुसार लोक कल्याण के देवता माने जाने वाले भगवान शिव की साधना और उनके मंत्रों का जाप आप किसी भी दिन और किसी भी समय कर सकते हैं लेकिन यदि इसका पाठ शाम के समय पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ किया जाए तो विशेष पुण्यफल की प्राप्ति होती है। सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार श्रावण महीना में प्रतिदिन अथवा सोमवार या फिर शिवरात्रि के दिन शिवमहिम्न स्त्रोत का पाठ करने पर महादेव शीघ्र ही प्रसन्न होकर साधक को मनचाहा वरदान देते हैं।
कहा जाता है कि श्रावण महीने में देवाधिदेव महादेव भोलेनाथ शंकर की सादगी का वर्णन करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। शिव के इस महिम्न स्त्रोतम में शिव के दिव्य स्वरूप एवं उनकी सादगी का वर्णन है। इस महिम्न स्त्रोत के पीछे अनूठी और सुंदर कथा प्रचलित है।
इस कथा के अनुसार एक समय में चित्ररथ नाम का राजा था। वो परम शिव भक्त था। उसने एक अद्भुत सुंदर बाग का निर्माण करवाया। जिसमें विभिन्न प्रकार के पुष्प लगे थे। प्रत्येक दिन राजा उन पुष्पों से शिव जी की पूजा करते थे। पुष्पदंत नामक गन्धर्व उस राजा के उद्यान की तरफ से जा रहे थे। उद्यान की सुंदरता ने उसे आकृर्षित कर लिया। मोहित पुष्पदंत ने बाग के पुष्पों को चुरा लिया। अगले दिन चित्ररथ को पूजा हेतु पुष्प प्राप्त नहीं हुए। बाग के सौंदर्य से मुग्ध पुष्पदंत प्रत्येक दिन पुष्प की चोरी करने लगा। इस रहस्य को सुलझाने के राजा के प्रत्येक प्रयास विफल रहे। पुष्पदंत अपनी दिव्य शक्तियों के कारण अदृश्य बना रहे। राजा चित्ररथ ने एक अनोखा समाधान निकाला। उन्होंने शिव को अर्पित पुष्प एवं विल्व पत्र बाग में बिछा दिया। राजा के उपाय से अनजान पुष्पदंत ने उन पुष्पों को अपने पैरो से कुचल दिया। इससे पुष्पदंत की दिव्य शक्तिओं का क्षय हो गया। पुष्पदंत स्वयं भी शिव भक्त था। अपनी गलती का बोध होने पर उसने इस परम स्त्रोत के रचना की जिससे प्रसन्न हो महादेव ने उसकी भूल को क्षमा कर पुष्पदंत के दिव्य स्वरूप को पुनः प्रदान किया।
माना जाता है कि शिव महिम्न स्त्रोत भगवान शिव की महिमा का वर्णन करने वाला एक अद्वितीय स्त्रोत है। इसे गंधर्वराज पुष्पदंत ने रचा था। यह स्त्रोत भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है और इसे पढ़ने से भक्तों को आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। इस स्त्रोत में कुल 43 छंद हैं, जो भगवान शिव की महिमा, उनकी कृपा और उनके दिव्य स्वरूप का वर्णन करते हैं।
इस बारे में साधक को यह कहकर कि हे महादेव! आपकी महिमा का वर्णन करना अत्यंत कठिन है। बड़े-बड़े विद्वान और योगीजन भी आपकी महिमा को पूर्णतया नहीं जान पाए हैं। फिर भी, मैं अपनी मति अनुसार आपकी स्तुति करने का प्रयास कर रहा हूँ। कृपया मेरे हृदय के भाव को देखें और मेरी स्तुति को स्वीकार करें, इसे आरंभ करना चाहिए।
इसके उपरांत साधक के द्वारा हे शिव! आपकी महिमा अनंत है। आपके संदर्भ में वेद भी अचंभित हैं और नेति नेति का प्रयोग करते हैं। आपकी महिमा और आपके स्वरूप को पूर्णतया जान पाना असंभव है, लेकिन जब आप साकार रूप में प्रकट होते हैं तो आपके भक्त आपके स्वरूप का वर्णन करते नहीं थकते आदि का वर्णन किया जाए।
वहीं, सधक के द्वारा कहा जाए कि हे देव! आप इस सृष्टि के सृजनहार, पालनहार और संहार करने वाले हैं। आपके ब्रम्हाा, विष्णु और महेश तीन स्वरूप हैं। तथा आप में सत्व, रज और तम तीन गुण भी हैं। वेदों में इनके बारे में वर्णन किया गया है फिर भी अज्ञानी लोग आपके बारे में अनर्गल प्रलाप करते रहते हैं।
साधक अपनी भक्ति के दौरान यह भी कहे कि हे महादेव! आपकी महिमा का वर्णन करना अत्यंत कठिन है। बड़े-बड़े विद्वान और योगीजन भी आपकी महिमा को पूर्णतया नहीं जान पाए हैं। फिर भी, मैं अपनी मति अनुसार आपकी स्तुति करने का प्रयास कर रहा हूँ। कृपया मेरे हृदय के भाव को देखें और मेरी स्तुति को स्वीकार करें। आपकी कृपा से ही यह सृष्टि चल रही है। आपकी कृपा से ही जीवों को जीवन मिलता है और आपकी कृपा से ही उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है। आपकी कृपा से ही भक्तों को सभी प्रकार के सुख और समृद्धि प्राप्त होती है। हे महादेव! आपका दिव्य स्वरूप अत्यंत मनोहर है। आपके त्रिनेत्र, गंगा, चंद्रमा और नाग आपके दिव्य स्वरूप को और भी मनोहर बनाते हैं। आपके भक्त आपके दिव्य स्वरूप का ध्यान करते हैं और आपकी कृपा प्राप्त करते हैं। हे महादेव! आपकी महिमा का वर्णन करना अत्यंत कठिन है। फिर भी, मैं अपनी मति अनुसार आपकी स्तुति करने का प्रयास कर रहा हूँ। कृपया मेरे हृदय के भाव को देखें और मेरी स्तुति को स्वीकार करें। आपकी कृपा से ही मुझे सभी प्रकार के सुख और समृद्धि प्राप्त हो।
इस माह में अगर आप देवाधिदेव महादेव ब्रम्हाण्ड के राजा भगवान शिव की अराधना करते हैं तो भोलेनाथ बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। अगर आप भोलेनाथ के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में हर हर महादेव लिखना न भूलिए।
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