देवाधिदेव महादेव भगवान शिव के भक्तों के लिए विशेष दिन है सोमवती अमावस्या का

सोमवती अमावस्या पर शुभ महूर्त, पूजन विधि, कथा आदि सब कुछ जानिए विस्तार से . . .

सोमवती अमावस्या हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व रखने वाला दिन है। यह दिन चंद्रमा के अमावस्या तिथि के सोमवार के दिन पड़ने पर मनाया जाता है। यह दिन भगवान शिव को समर्पित होता है और इस दिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। वर्ष 2024 में भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष अमावस्या इस बार सोमवार को पड़ रही है। इसलिए इसे सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाएगा। सोमवती अमावस्या के दिन दो शुभ योग बन रहे है, इनमें पहला सोमवार का और दूसरा अमावस्या का।

भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को भाद्रपद अमावस्या कहा जाता है। भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है, क्योंकि यह तिथि पितरों के श्राद्ध और तर्पण के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। भाद्रपद अमावस्या को कुशग्रहणी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन विशेष रूप से पवित्र कुशा घास को संग्रहित करने की परंपरा है। इस अमावस्या के दिन वर्ष भर पूजा, अनुष्ठान या श्राद्ध कराने के लिए नदी, तालाब, मैदानों आदि जगहों से कुशा नामक घास उखाड़ कर घर लाई जाती है। यही कारण है कि इसे कुशग्रहणी अमावस्या भी कहा जाता है।

आईए जानिए भाद्रपद सोमवती अमावस्या 2024 तिथि के बारे में विस्तार से

भाद्रपद मास की सोमवती अमावस्या का शुभ मुहूर्त रविवार 1 सितंबर 2024 की एवं 02 सितंबर की मध्य रात्रि 12 बजकर 44 मिनट से शुरू हो रहा है जो अगले दिन सोमवार 2 सितंबर 2024 को रात 2 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। हिन्दू धर्म में उदयातिथि का महत्व है इसलिए उदयातिथि के हिसाब से यह अमावस्या सोमवार 2 सितंबर को मनाई जाएगी। इस बार की भाद्रपद अमावस्या सोमवार को पड़ रही है इसलिए इसे सोमवती अमावस्या कहा जा रहा है।

भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष अमावस्या इस बार सोमवार को पड़ रही है। इसलिए इसे सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाएगा। सोमवती अमावस्या के दिन दो शुभ योग बन रहे है, इनमें पहला सोमवार का और दूसरा अमावस्या का। इस दिन की जाने वाली पूजा का विशेष फल साधकों को प्राप्त होता है। इस वर्ष 2 सितंबर 2024 को सोमवती अमावस्या व्रत रखा जाएगा।

आईए जानते हैं कि आखिर क्यों है खास होती है सोमवती अमावस्या?

अव्वल तो यह देवाधिदेव महादेव भगवान शिव का दिन है। सोमवार भगवान शिव को समर्पित दिन है। सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। अमावस्या के दिन भगवान शिव की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है।

इस दिन पितृ दोष निवारण के लिए विशेष उपाय किए जाते हैं, जैसे पिंडदान और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। इस दिन पितृ दोष निवारण के लिए विशेष उपाय किए जाते हैं। मान्यता है कि इस दिन पितृदोष से मुक्ति मिलती है और परिवार में सुख-शांति आती है। इस दिन दान का विशेष महत्व होता है। सोमवती अमावस्या के दिन दान करना बहुत शुभ माना जाता है। दान करने से पुण्य प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

दान के महत्व का उल्लेख करते हुए कूर्मपुराण में कहा गया है-

स्वर्गायुर्भूतिकामेन तथा पापोपशान्तये।

मुमुक्षुणा च दातव्यं ब्राम्हाणेभ्यस्तथाअवहम।।

इसका अर्थ है कि स्वर्ग, दीर्घायु तथा ऐश्वर्य के अभिलाषी और पाप की शांति तथा मोक्ष की प्राप्ति के इच्छुक व्यक्ति को ब्राम्हाणों और पात्र व्यक्तियों को भरपूर दान करना चाहिए।

अब जानिए सोमवती अमावस्या व्रत व पूजा विधि

अमावस्या के दिन महिलाएं सूर्याेदय से पहले उठकर स्नान करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लेवें और प्रथम पूज्य भगवान गणपति जी को प्रणाम करें। अब भगवान का पंचामृत सहित गंगाजल से अभिषेक करें। इसके पश्चात भगवान को चंदन, अक्षत और पुष्प अर्पित करें। घर के मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें। पूजा में फल, फूल और मिठाई का भोग चढ़ाएं। इसके पश्चात महिला साधकों को व्रत कथा सुननी और सुनानी चाहिए। अंत में आरती करें और भूल के लिए क्षमा याचना करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सोमवती अमावस्या का व्रत रखने से साधक महिला के पति की आयु लंबी होती है। साथ ही परिवार में खुशहाली आती है।

अब जानते हैं सोमवती अमावस्या पूजा का शुभ मुहूर्त

ब्रम्हा मुहूर्त, सुबह 4 बजकर 29 मिनिट से सुबह 5 बजकर 14 मिनिट तक रहेगा।

प्रातः संध्या: सुबह 4 बजकर 51 मिनिट से सुबह 5 बजकर 59 मिनिट तक।

अभिजित मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 56 मिनिट से दोपहर 12 बजकर 47 मिनिट तक।

विजय मुहूर्त: दोपहर 2 बजकर 29 मिनिट से दोपहर 3 बजकर 19 मिनिट तक।

गोधूलि मुहूर्त: शाम 6 बजकर 43 मिनिट से शाम 7 बजकर 6 मिनिट तक।

सायाह्न सन्ध्या: शाम 6 बजकर 43 मिनिट से शाम 7 बजकर 51 मिनिट तक।

अमृत काल: दोपहर 12 बजकर 48 मिनिट से दोपहर 2 बजकर 31 मिनिट तक।

निशिता मुहूर्त: रात्रि 11 बजकर 59 मिनिट से अगले दिन सुबह 12 बजकर 44 मिनिट तक।

सोमवती अमावस्या व्रत का महत्व

ज्योतिष के अनुसार सोमवती अमावस्या के दिन महिलाओं को पीपल वृक्ष की पूजा करनी चाहिए। महिलायें अपने पति की दीर्घायु की मंगल कामना कर ही पीपल वृक्ष की पूजा करें। इसके पश्चात वृक्ष के चारों तरफ परिक्रमा करें। हिंदू धर्म में पीपल के वृक्ष में भगवान श्री हरि का वास होता है। इसलिए पीपल के वृक्ष के चारों ओर 108 बार परिक्रमा लगाकर उसकी पूजा करने और कच्चे सूत का धागा वृक्ष के चारों ओर लपेटने से सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

सोमवती अमावस्या पर व्रत का विशेष महत्व होता है। इस दिन कई लोग व्रत रखते हैं। व्रत रखने से मन को शांत किया जा सकता है और आध्यात्मिक उन्नति होती है।

आईए जानते हैं कि सोमवती अमावस्या के अवसर पर किन चीजों का दान किया जाना चाहिए। सोमवती अमावस्या पर दान का बड़ा महत्व माना जाता है। कहा जाता है कि इस शुभ दिन पर अन्न और भोजन का दान सर्वाेत्तम है। भाद्रपद मास की सोमवती अमावस्या के पुण्यकारी अवसर पर दीन-हीन, निर्धन, दिव्यांग बच्चों को भोजन दान करने के प्रकल्प में सहयोग करके पुण्य के भागी बनें।

अमावस्या तिथि को श्राद्ध कर्म करने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। वहीं भाद्रपद मास की अमावस्या पितृ पक्ष के ठीक पहले पड़ती है। इस अमावस्या के कुछ दिन बाद ही पितृ पक्ष की शुरुआत हो जाती है। इसलिए इस अमावस्या का महत्व और भी बढ़ जाता है। कहा जाता है कि भाद्रपद अमावस्या के पुण्यकारी अवसर पर  भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से शुभ फलों की प्रप्ति होती है। इस पूजा से प्रसन्न होकर भगवान के साथ-साथ पितर भी साधक को अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

सोमवती अमावस्या व्रत कथा या कहानी जानिए . . .

जानकार विद्वानों का मत है कि सोमवती अमावस्या से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं। इन कथाओं में भगवान शिव और पार्वती की लीलाओं का वर्णन किया गया है। इन कथाओं को सुनने और पढ़ने से मन को शांति मिलती है और आस्था बढ़ती है।

एक साधु था जो नियमित रूप से एक साहूकार के घर रुकता था। साहूकार के सभी सात बेटे विवाहित थे, लेकिन उसकी बेटी नहीं थी। साधु उनसे भिक्षा लेता था और बदले में, वह सभी बहुओं को एक अच्छे वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद देता था। लेकिन उन्होंने कभी भी बेटी को विवाह बंधन में बंधने का आशीर्वाद नहीं दिया और इससे लड़की और उसकी माँ दुखी हो गई। चिंतित माँ ने एक पंडित को बुलाया जो लड़की की कुंडली देख सकता था। पंडित ने दुर्भाग्यपूर्ण दोष के बारे में बताया जिसमें लड़की विधवा हो सकती है।

इस परेशानी को दूर करने के लिए, बेटी को सिंघल नामक द्वीप पर जाने के लिए कहा गया जहाँ एक धोबिन रहती थी। लड़की को उस महिला से सिंदूर लाने के लिए कहा गया, जिसे उसके माथे पर लगाना था। इसके अलावा, उसकी कुंडली से प्रतिकूल योग को खत्म करने के लिए सोमवती अमावस्या का व्रत रखना भी आवश्यक था। सबसे छोटा बेटा उसके साथ द्वीप पर गया, और वे समुद्र तट पर पहुँच गए।

लेकिन आगे एक समुद्र पार करना था। समुद्र को पार करने का तरीका सोचते हुए, वे एक पेड़ के नीचे आराम करते हैं जहाँ एक गिद्ध अपनी मादा गिद्ध और उनके बच्चों के साथ रहता था। एक दिन, जब नर और मादा दोनों गिद्ध भोजन की तलाश में बाहर गए थे, तो एक साँप बच्चों के पास आ गया। लड़की और उसके भाई ने बच्चों को उस साँप से बचाया, जिसके बाद गिद्ध जोड़े ने मदद की। उन्होंने उसे धोबिन के घर पहुँचने का रास्ता बताया। लड़की ने महीनों तक उस महिला की सेवा की। महिला प्रसन्न हुई और बदले में उसने लड़की के माथे पर सिंदूर लगाया। लड़की बिना पानी पिए वहाँ से चली गई और वापस आते समय उसने सोमवती अमावस्या का व्रत भी रखा। इस तरह उसका दुर्भाग्य दूर हो गया।

अब आपको बताते हैं कि सोमवती अमावस्या पर क्या करें, इस दिन भगवान शिव की पूजा के लिए बेलपत्र, धतूरा, भांग, जल आदि चढ़ाए जाते हैं। इस दिन पितृदोष निवारण के लिए पिंडदान, श्राद्ध आदि किए जाते हैं। इस दिन अन्न, वस्त्र, धन आदि दान करना चाहिए। इस दिन व्रत रखने से मन को शांत किया जा सकता है और आध्यात्मिक उन्नति होती है। इस दिन ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करना बहुत लाभदायक होता है।

अब जानिए कि सोमवती अमावस्या पर क्या नहीं करना चाहिए। इस दिन अशुभ कार्य नहीं करने चाहिए। इस दिन किसी से वाद विवाद या झगड़ा नहीं करना चाहिए। इस दिन नकारात्मक विचार मन में नहीं लाने चाहिए।

सोमवती अमावस्या हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से मन को शांति मिलती है और आध्यात्मिक उन्नति होती है। पितृदोष निवारण के लिए किए जाने वाले उपायों से परिवार में सुख-शांति आती है। दान करने से पुण्य प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

इस माह में अगर आप सोमवती अमावस्या पर व्रत कर रहे हैं, और आप देवाधिदेव महादेव, ब्रम्हाण्ड के राजा भगवान शिव के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में ओम नमः शिवाय लिखना न भूलिए।

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(साई फीचर्स)

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