भाद्रपद की मासिक शिवरात्रि 1 सितंबर को, जानिए पूजन विधि विस्तार से . . .
मासिक शिवरात्रि का हिंदू धर्म में अपना एक महत्व है, क्योंकि यह हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। इस शुभ दिन पर भक्त भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त इस दिन कठिन उपवास का पालन करते हैं, उन्हें शिव-शक्ति का पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त होता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, 1 सितंबर को मासिक शिवरात्रि है। इस दिन भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही मनचाहा वर पाने के लिए मासिक शिवरात्रि पर व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। इसके साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। अविवाहित जातक शीघ्र विवाह के लिए मासिक शिवरात्रि पर शिव-शक्ति की पूजा करते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो भाद्रपद माह की मासिक शिवरात्रि पर दुर्लभ शिव योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी।
वहीं, भाद्रपद माह की पहली मासिक शिवरात्रि कब मनाई जाएगी और इसकी पूजा विधि क्या है? आइए, सबसे पहले जानते हैं कि मासिक शिवरात्रि शुभ मुहूर्त क्या हैं!
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 1 सितंबर को देर रात 3 बजकर 40 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 2 सितंबर को सुबह 5 बजकर 21 मिनट पर होगा। मासिक शिवरात्रि पर निशा काल में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। इसके लिए 1 सितंबर को मासिक शिवरात्रि है। इसके अगले दिन सोमवती अमावस्या का पर्व है।
विद्वान ज्योतिषियों की मानें तो मासिक शिवरात्रि पर दुर्लभ शिव योग का संयोग बन रहा है। इस योग का निर्माण संध्याकाल से हो रहा है। शिव योग भारतीय समयानुसार शाम 5 बजकर 51 मिनट पर शुरू होगा, जो पूर्ण रात्रि तक है। इस योग का समापन 2 सितंबर को संध्याकाल 6 बजकर 20 मिनट पर होगा। शिव योग में देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी। इसके साथ ही भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होगा।
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर अभिजीत मुहूर्त दिन में 11 बजकर 55 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 46 मिनट तक है। वहीं, विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 28 मिनट से लेकर 3 बजकर 19 मिनट तक है। जबकि, गोधूलि मुहूर्त संध्याकाल 6 बजकर 42 मिनट से लेकर 7 बजकर 5 मिनट तक है।
अब जानिए भाद्रपद की मासिक शिवरात्रि का शुभ मुहूर्त और योग क्या है?
निशिता मुहूर्त रहेगा 1 सितंबर को दोपहर 11 बजकर 58 मिनट से रात 12 बजकर 44 मिनट तक।
शुभ योग मेंपरिघ योग प्रातःकाल से शाम 5 बजकर 50 मिनिट तक और उसके बाद शिव योग।
वहीं,अश्लेषा नक्षत्र प्रातःकाल से रात 9 बजकर 49 मिनिट तक और उसके बाद मघा नक्षत्र।
भाद्रपद की मासिक शिवरात्रि पर जलाभिषेक का समय जानिए,
ब्रम्हा मुहूर्त प्रातः 4 बजकर 29 मिनिट से 5 बजकर 14 मिनिट तक।
अभिजीत मुहूर्त रहेगा दोपहर 11 बजकर 55 मिनिट से 12 बजकर 46 मिनिट तक।
इस हिसाब से पूरे दिन जलाभिषेक किया जा सकता है।
राहुकाल शाम 5 बजकर 07 मिनिट से 6 बजकर 42 मिनिट बजे तक रहेगा।
मासिक शिवरात्रि के दिन भद्रा है। उस दिन भद्रा सुबह में 5 बजकर 59 मिनट से शाम 4 बजकर 28 मिनट तक है। भद्रा का वास स्थान धरती है।
अब जानिए मासिक शिवरात्रि की पूजा विधि के बारे में
2024 में सितंबर मास की मासिक शिवरात्रि या किसी भी मासिक शिवरात्रि पर आप सरलता से घर पर ही भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं। पूजा विधि के संबंध में जानकार विद्वानों का कहना है कि सबसे पहले पूजा की तैयारी करें, मासिक शिवरात्रि के दिन प्रातःकाल उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। सुबह उठते ही उपवास का संकल्प शिव जी के समक्ष लें। एक वेदी पर शिव-पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें और विधि अनुसार उनकी पूजा करें। पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल से शुद्धीकरण करें। इसके बाद अपने पूजा स्थान पर भगवान शिव की प्रतिमा या शिवलिंग स्थापित करें। आप शिवलिंग पर थोड़ा सा चावल भी रख सकते हैं।
फिर भगवान शिव का ध्यान करते हुए उनका आवाहन करें। इसके बाद, शिवलिंग या प्रतिमा को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर का मिश्रण) से स्नान कराएं। पंचामृत के बाद, शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, बेल पत्र, धतूरा के फूल (सावधानी से प्रयोग करें, जहरीला होता है), भांग (यदि धार्मिक मान्यता अनुसार सेवन करते हैं), और इत्र चढ़ाएं। भगवान शिव को चंदन का तिलक लगाएं और उनके प्रिय वस्त्र, धतुरा, और भांग अर्पित करें। इसके बाद, धूप और दीप जलाकर उनकी आरती करें।
मंत्र जाप करते हुए आप ओम नमः शिवाय मंत्र का जप करें या शिव चालीसा, शिव रुद्राष्टकम, या शिव शाश्वत स्तोत्र का पाठ करें। आप अपनी श्रद्धा के अनुसार कोई भी शिव स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं। पूजा के उपरांत भगवान शिव को भोग लगाएं। आप उन्हें फल, मिठाई या पंचामृत का भोग लगा सकते हैं। शिव जी को बेलपत्र अवश्य चढ़ाएं। शिव तांडव स्तोत्र और शिव चालीसा का पाठ करें। अंत में, भगवान शिव की आरती करें और पूजा का समापन करें। पूजन में हुई गलतियों के लिए क्षमायाचना करें। व्रती अगले दिन अपने व्रत का पारण करें। आप चाहें तो रात भर जागरण कर सकते हैं और भगवान शिव के भजनों का श्रवण कर सकते हैं।
शिव जी नमस्कार मंत्र इस प्रकार है।
शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च।।
ईशानः सर्वविध्यानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रम्हाधिपतिमहिर्बम्हणोधपतिर्बम्हा शिवो मे अस्तु सदाशिवोम।।
मासिक शिवरात्रि के व्रत नियम जानिए। मासिक शिवरात्रि पर कई भक्त व्रत रखते हैं। व्रत रखने के कुछ नियम इस प्रकार हैंः
इस दिन सात्विक भोजन का ही सेवन करें। मांस, मदिरा, और लहसुन-प्याज का सेवन न करें। व्रत के दौरान ब्रम्हाचर्य का पालन करना चाहिए। आप पूरे दिन उपवास रख सकते हैं या केवल फल और जल का सेवन कर सकते हैं। अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार ही व्रत रखें। पूरे दिन शिव पूजा और मंत्र जप करने का यथासंभव प्रयास करें। आप चाहें तो ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप कर सकते हैं।
भाद्रपद की मासिक शिवरात्रि पर ज्योतिषिये उपाय जानिए।
चन्द्रमा दोष दूर करने का यह दिन बहुत शुभ दिन होता है। आपके जन्मकुंडली में चन्द्रमा दूषित है। आपके द्वारा किए गए कार्य में देर से सफलता मिलती है। आपकी मानसिक स्थिती ठीक नही हो मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव के पूजन से दोष दूर होते है।
इसके अलावा शनि के अशुभ प्रभाव से परेशान है शिवरात्रि के दिन आप भगवान शिव का पुजन करने तथा अभिषेक करने से शनि के अशुभ दृष्टि से बचा जा सकता है। मनोकामना का पूर्ति होती है।
मासिक शिवरात्रि का महत्व जानिए।
मासिक शिवरात्रि का हिंदू धर्म में अत्यंत महत्व है। इस दिन भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा करने से कई लाभ प्राप्त होते हैं, जिनमें शामिल हैंः
आध्यात्मिक विकास होता है। भगवान शिव सृष्टि के विनाशक और पुनर्निर्माणकर्ता हैं। उनकी आराधना से आध्यात्मिक विकास में सहायता मिलती है और आंतरिक अशांति दूर होती है।
पापों का नाश होता है। ऐसा माना जाता है कि मासिक शिवरात्रि पर भगवान शिव की भक्ति करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
मन की शांति होती है। भगवान शिव को शांति के देवता के रूप में जाना जाता है। उनकी पूजा करने से मन को शांति मिलती है और तनाव कम होता है।
इच्छा पूर्ति में सहयोगी है यह व्रत। सच्चे मन से की गई प्रार्थनाओं को भगवान शिव अवश्य सुनते हैं। मासिक शिवरात्रि पर की गई विधिपूर्वक पूजा से मनोवांछित फल प्राप्ति की संभावना बढ़ जाती है।
ग्रहों के दोषों से मुक्ति के लिए भी यह व्रत लाभकारी है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शिवरात्रि पर भगवान शिव की आराधना करने से ग्रहों के प्रतिकूल प्रभावों को कम किया जा सकता है।
मासिक शिवरात्रि की कथाएं जानिए, मासिक शिवरात्रि से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से दो प्रमुख कथाएं इस प्रकार हैंः
समुद्र मंथन और हलाहल विष के संबंध में एक कथा है। पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान हलाहल विष निकला था। यह विष इतना विषैला था कि सारे देवी-देवता और सृष्टि का विनाश होने का भय था। तब भगवान शिव ने विष को अपने कंठ में धारण कर लिया। विष के प्रभाव से उनका गला नीला पड़ गया, इसलिए उन्हें नीलकंठ भी कहा जाता है।
दूसरी कथा देवाधिदेव महादेव भगवान शिव एवं माता पार्वती के विवाह की है। एक अन्य कथा के अनुसार, मासिक शिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। पार्वती जी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी और उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया था।
मासिक शिवरात्रि के पर्व पर आप निम्नलिखित गतिविधियों में भी भाग ले सकते हैंः
अपने आस-पास के शिव मंदिरों में जाकर दर्शन करें और विशेष पूजाओं में भाग लें। कई मंदिरों में इस दिन भव्य जलाभिषेक और आरती का आयोजन किया जाता है। आप कथा वाचकों द्वारा आयोजित शिव कथा वाचन कार्यक्रमों में शामिल हो सकते हैं और भगवान शिव के जीवन वृत्तांत और उनके कार्यों के बारे में ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। आप इस पुण्यदायक अवसर पर जरूरतमंदों की सहायता कर सकते हैं और दान पुण्य का कार्य कर सकते हैं।
सितंबर 2024 की मासिक शिवरात्रि के लिए विशेष तैयारी क्या हो सकती है। चूंकि सितंबर 2024 की मासिक शिवरात्रि शनिवार के दिन पड़ रही है, आप इस विशेष अवसर के लिए कुछ अतिरिक्त तैयारियां कर सकते हैं, जैसेः
पूजा सामग्री की तैयारी : पूजा से पहले ही सभी आवश्यक सामग्री, जैसे- बेल पत्र, धतूरा के फूल (सावधानी से प्रयोग करें), भांग (यदि धार्मिक मान्यता अनुसार सेवन करते हैं), शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए वस्त्र आदि, इकट्ठाा कर लें।
शिव मंदिर दर्शन की योजना : यदि आप किसी प्रसिद्ध शिव मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं, तो पहले से ही यात्रा की योजना बना लें। शनिवार के दिन मंदिरों में अधिक भीड़ होने की संभावना होती है।
शिव स्त्रोत्रों का अभ्यास : आप मासिक शिवरात्रि से पहले ही शिव चालीसा, शिव रुद्राष्टकम, या अन्य शिव स्त्रोत्रों का अभ्यास कर सकते हैं, ताकि आप पूजा के दौरान इन्हें आसानी से पाठ कर सकें।
परिवार और मित्रों के साथ जश्न : आप अपने परिवार और मित्रों के साथ मिलकर मासिक शिवरात्रि का जश्न मना सकते हैं। आप भजन-कीर्तन का आयोजन कर सकते हैं या शिव कथा का श्रवण कर सकते हैं।
शिवरात्रि के दिन क्या करें और क्या न करें।
शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा अवश्य करें। शिव मंत्रों का जाप करें। शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करें। शिव जी को प्रिय चीजें अर्पित करें। शिवरात्रि का व्रत रखें। शिवरात्रि के दिन झूठ बोलने से बचें। शिवरात्रि के दिन किसी का अपमान न करें। शिवरात्रि के दिन मांसाहार और मदिरा का सेवन न करें।
अगर आप देवाधिदेव महादेव ब्रम्हाण्ड के राजा भगवान शिव की अराधना करते हैं और अगर आप भगवान शिव के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में ओम नमः शिवाय न भूलिए।
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