इस कूटनीतिक जीत के मायने

 

 

(अजित कुमार)

हिंदू धर्म में और भारत देश में प्रतीकों का खासा महत्व है। राजनीति भी इससे अछूती नहीं है, बल्कि ऐसे कह सकते हैं कि भारत में राजनीति प्रतीकों के सहारे ही होती है। प्रतीकात्मक कामों के नाम पर ही वोट मांगे जाते हैं। किसी ठोस उपलब्धियों की बजाय प्रतीकात्मक उपलब्धियों का ढिंढोरा पीटा जाता है। जैसे आतंकवाद खत्म करने का कोई ठोस प्रयास पिछले पांच साल में नहीं हुआ है पर एक सर्जिकल स्ट्राइक और एक बालाकोट एयर स्ट्राइक के नाम पर पूरे देश में वोट मांगा जा रहा है।

ऐसा बताया जा रहा है कि एक नेता विशेष के डर से आतंकवाद खत्म हो गया है। हालांकि जिस समय चुनावी सभा में यह बताया जा रहा था उसी समय महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में लाल आतंकवादियों यानी नक्सलियों ने सुरक्षा बलों के 16 जवानों को उड़ा दिया। पर इस घटना के बावजूद यह प्रचार जारी है कि आतंकी और नक्सली डर गए हैं। इसी बीच भारत को एक और प्रतीकात्मक सफलता हासिल हो गई है, जिसका प्रचार एक मई की शाम से ही शुरू हो गया है।

संयुक्त राष्ट्र संघ ने जैश ए मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया है। अमेरिका और यूरोपीय देशों के लाए प्रस्ताव पर चीन ने आपत्ति नहीं की, जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र संघ ने उसे वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया। भारत दस साल से इसका प्रयास कर रहा था। अब सफलता मिली तो पूरा श्रेय प्रधानमंत्री को देने की होड़ केंद्र सरकार के मंत्रियों, भाजपा के नेताओं और टेलीविजन चौनलों में मची है। पर इसका असल में क्या हासिल होगा और इस कूटनीतिक सफलता के पीछे भारत को क्या समझौता करना पड़ा है

सबसे पहले इस बात का विश्लेषण करना चाहिए कि मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी करार देने से क्या क्या चीजें बदलेंगी और आतंकवाद पर उनका क्या असर होगा? सरल शब्दों में कहा जाए तो इसका कोई असर आतंकवाद से लड़ाई पर नहीं पड़ेगा। इसका कारण यह है कि हाफिज सईद कोई पहला आतंकवादी नहीं है, जिसे संयुक्त राष्ट्र संघ ने वैश्विक आतंकवादी घोषित किया है। भारत के खिलाफ सबसे ज्यादा जहर उगलने वाला, मुंबई हमले की साजिश रचने वाला, लश्कर ए तैयबा का सरगना हाफिज सईद पहले से वैश्विक आतंकवादी घोषित है। पर उससे क्या फर्क पड़ता है।

पाकिस्तान की सरकार ने उसके कुछ बैंक खाते सील किए हैं और गाहेबगाहे उसे नजरबंद करने का नाटक किया जाता है। यहीं कुछ मसूद अजहर के साथ भी होगा। असलियत में उसका संगठन भी चलता रहेगा और पाकिस्तान की सरजमीं से उसकी भारत विरोधी कार्रवाई भी चलती रहेगी। पर चुनाव प्रचार के लिहाज से देखें तो इस प्रतीकात्मक उपलब्धि को भारत के पिछले पांच हजार साल के इतिहास की सबसे बड़ी उपलब्धि के तौर पर प्रचारित किया जाएगा और इसके नाम पर वोट मांगा जाएगा। बुनियादी रूप से यह जनता को बरगलाने के एक मौके से ज्यादा कुछ नहीं है।

मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित किए जाने का दूसरा पहलू यह है कि इसके पीछे क्या कूटनीतिक पहल हुई? ऐसा क्या हुआ, जिससे चीन ने अचानक अपनी जिद छोड़ दी और मसूद अजहर के खिलाफ लाया गया प्रस्ताव मंजूर होने दिया? क्या चीन यहीं सद्भाव भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह यानी एनएसजी का सदस्य बनने के मामले में दिखाएगा? जानकार सूत्रों का कहना है कि एनएसजी में भारत की एंट्री का चीन विरोध करता रहेगा। यह भी कहा जा रहा है कि ईरान पर पाबंदी को बिना कुछ बोले स्वीकार करने के बदले में भारत को यह तोहफा मिला है।

जानकार सूत्रों का कहना है कि अमेरिका ने इस मामले में मध्यस्थता की। उसने चीन को तैयार किया कि वह मसूद अजहर के खिलाफ लाए प्रस्ताव को वीटो न करे। ध्यान रहे ईरान पर अमेरिकी पाबंदी दो मई से पूरी तरह से लागू हो गई है और अब भारत या कोई भी देश उससे तेल नहीं खरीद सकेगा। अमेरिकी पाबंदी का सबसे ज्यादा असर भारत पर होना है क्योंकि ईरान से भारत रुपए में तेल खरीदता है और उसे दो महीने की उधारी भी मिलती है। अगर सचमुच ऐसा है कि ईरान के मसले पर सौदेबाजी से मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कराया गया है तो यह भारत के लिए बहुत महंगा सौदा है।

चाहे जिस वजह से मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया गया हो पर भारत के लिए इसका फायदा तभी होगा, जब इसी बहाने वह जैश ए मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठनों को खत्म कराने और उनको सरपरस्ती देने वाले देशों पर कार्रवाई का माहौल बनाए। मसूद अजहर पर हुई कार्रवाई का कोई फायदा तब तक नहीं होगा, जब तक वह पाकिस्तान में रहेगा और आराम से अपनी सारी गतिविधियां चलाता रहेगा। भारत को अगला कदम यह उठाना चाहिए कि हाफिज सईद और मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित किए जाने के हवाले से पाकिस्तान पर दबाव बनवाए कि वह इन पर सख्त कार्रवाई करे।

मुंबई हमले और पुलवामा हमले का मुकदमा चलाए और दोनों को जेल में डाले। पाकिस्तान बीच बीच में इनको नजरबंद करके दुनिया को दिखाता रहता है कि वह कार्रवाई कर रहा है। पर ऐसी प्रतीकात्मक कार्रवाई का भारत को विरोध करना चाहिए। अगर पाकिस्तान ठोस कार्रवाई नहीं करता है तो विश्व बिरादरी में पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई का दबाव बनाना चाहिए। चीन को भी तैयार करना चाहिए कि वह पाकिस्तान पर कार्रवाई करे। अगर भारत ऐसा कर पाए तभी कोई फायदा है नहीं तो आतंकवाद पर रत्ती भर असर नहीं होगा।

(साई फीचर्स)