पितृ पक्ष का तीसरा दिन, जानिए किस तरह करें पितरों का तर्पण . . .

पितृ पक्ष में ये काम बिल्कुल भी न करें, वरना पितर हो जाएंगे नाराज . . .
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सनातन धर्म में हर साल भाद्रपद पूर्णिमा तिथि से पितृपक्ष शुरू हो जाते हैं, एवं अमावस्या तक ये चलते हैं। इस साल पितृपक्ष बुधवार 18 सितंबर 2024 से पितृ पक्ष आरंभ हो गया है। यह दो अक्टूबर की अमावस्या तक चलेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृपक्ष में पितृ लोक से धरती लोक पर पितर आते हैं। इस दौरान श्राद्ध कर्म से पितर प्रसन्न होते हैं और परिवार के सदस्यों पर अपना आशीर्वाद बनाए रखते हैं। आइए जानते हैं पितृपक्ष के तीसरे दिन श्राद्ध कर्म के लिए शुभ मुहूर्त व श्राद्ध करने की आसान विधि के संबंध में . . .
विद्वान जानकारों के अनुसार तृतीया तिथि के दिन स्वर्गवासी माता, पिता या अन्य पूर्वजों का श्राद्ध एवं तर्पण मृत्यु तिथि के अनुसार पितृ पक्ष की तृतीया को किया जाता है। इस बार 20 सितंबर को श्राद्ध तर्पण का तीसरा दिन रहेगा। सभी दिवंगत व्यक्तियों की पुण्यतिथि के दिन ही उनका श्राद्ध करना चाहिए। मृत्युतिथि से तात्पर्य उस तिथि से है, जो तिथि अंतिम श्वास परित्याग के समय विद्यमान हो। उसी तिथि को श्राद्ध पक्ष में दोपहर के समय (दोपहर साढ़े बारह से एक बजे के बीच) श्राद्ध करना चाहिए। तृतीया के दिन जिन लोगों का देहांत अर्थात् तिथि अनुसार दोनों पक्षों (कृष्ण या शुक्ल) पक्ष की तृतीया तिथि हो हुआ है, उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है। अगर तिथि ज्ञात न हो तो सर्व पितृ अमावस्या को श्राद्ध करें।
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जानिए किस तरह किया जाए तर्पण, पितरों को तर्पण करने वाले जल में काले तिल, जौ, चंदन, अक्षत, आदि मिला लें। श्राद्ध कर्म में तिल कुशा सहित जल लेकर पितृ तीर्थ यानि अंगूठे की ओर से पिंड पर छोड़ने से पितरों को तृप्ति मिलती है। पितृपक्ष में पंचबलि देवताओं को भोग, गऊ ग्रास, कुत्ते कौंवे तथा चींटी को भोजन देना अत्यंत शुभ माना जाता है। वहीं, भोजन का प्रथम ग्रास गाय, द्वितीय पक्षी के और तृतीय कुत्ते के निमित्त ग्रास निकालना चाहिए। जिस दिन श्राद्ध हो उस दिन द्वार पर दोनों और शीतल जल छिड़कर पितरों के आगमन की तैयारी करनी चाहिए। किसी योग्य ब्राम्हण को भोजन करा कर वस्त्र आदि देकर विदा करना चाहिए। पितरों की आत्मा शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान के कार्य किए जाते हैं।
इन सामग्रियों का किया जाता है पूजा में प्रयोग करें, जानकार विद्वानों का मानना है कि गंगाजल, कच्चा दूध, जौ, तुलसी और शहद मिश्रित जल की जलांजलि देने के बाद गाय के घी का दीप जलाने का प्रावधान है। धूप देना चाहिए, गुलाब के फूल और चंदन पितरों को अति प्रिय माने जाते हैं। उसके बाद जितने भी पूर्वजों का नाम याद हो ध्यान करके स्वधा शब्द से जलार्पण करना चाहिए। श्राद्ध में कढ़ी, खीर, पूड़ी और सब्जी का भोग लगाया जाता है। तृतीय श्राद्ध में तीन ब्राम्हणों को भोज कराया जाता है। उन्हें चीनी,चावल के साथ ही यथाशक्ति दान देकर तृप्त किया जाता है।
इन दिनों में भूल के भी ना करें ये काम अन्यथा पितर हो सकते हैं रूष्ट!, हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व होता है। पितृपक्ष का समय पितरों यानी पूर्वजों के लिए समर्पित है। इसकी शुरुआत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से होती है, जो अश्विम मास की अमावस्या तिथि को समाप्त होती है। ऐसे में इस दौरान घर की रसाई में मांस, मछली, लहसून, प्याज, मसूर की दाल, भूलकर भी न बनाएं। ऐसा करने से पितृ देव नाराज होते हैं और पितृ दोष लगता है। इसके साथ ही इस दौरान जो लोग पितरों का तर्पण करते हैं उन्हें शरीर में साबुन और तेल का प्रयोग नहीं करना चाहिए। पितृ पक्ष के दौरान नए कपड़े, भूमि, भवन सहित सभी प्रकार के मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। इस दौरान कोई भी मांगलिक काम करने से परहेज करें।
माना जाता है कि इस तरह श्राद्ध कर्म करने से पितरों को मिलता है बैकुंठ में निवास, जानकार ज्योतिषों के अनुसार जिस तिथि को माता पिता, दादा दादी आदि परिजनों की मृत्यु होती है, उस तिथि पर इन सोलह दिनों में उनका श्राद्ध करना उत्तम रहता है। जब पितरों के पुत्र या पौत्र द्वारा श्राद्ध किया जाता है तो पितृ लोक में भ्रमण करने से मुक्ति मिलकर पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त हो जाता है।
जानकार विद्वानों के अनुसार मोक्ष नगरी गयाजी में तीसरे दिन पिंडदानी फल्गु स्नान करके उत्तर मानस जाते हैं। वहां स्नान, तर्पण, पिंडदान, उत्तरारक दर्शन किया जाता है। वहां से मौन होकर सूरजकुंड आकर उसके उदीची कनखल और दक्षिण मानस तीर्थों में स्नान तर्पण पिंडदान और दक्षिणारक का दर्शन करना चाहिए। फिर पूजन करके फल्गु किनारे जाकर तर्पण करें और भगवान गदाधर जी का दर्शन एवं पूजन करें।
श्राद्ध करने की आसान विधि जानिए,
जिस तिथि में पितरों का श्राद्ध करना हो, उस दिन सुबह जल्दी उठें। स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े धारण करें। पितृस्थान को गाय के गोबर से लीप कर और गंगाजल से पवित्र करें। महिलाएं स्नान करने के बाद पितरों के लिए सात्विक भोजन तैयार करें। श्राद्ध भोज के लिए ब्राम्हणों को पहले से ही निमंत्रण दें। ब्राम्हणों के आगमन के बाद उनसे पितरों की पूजा और तर्पण कराएं। पितरों का नाम लेकर श्राद्ध करने का संकल्प लें। जल में काला तिल मिलाकर पितरों को तर्पण दें। पितरों के निमित्त अग्नि में गाय का दूध, घी, खीर और दही अर्पित करें। चावल के पिंड बनाकर पितरों को अर्पित करें। ब्राम्हण को पूरे सम्मान के साथ भोजन कराएं। अपनी क्षमतानुसार दान दक्षिणा दें। इसके बाद आशीर्वाद लेकर उन्हें विदा करें। श्राद्ध में पितरों के अलावा कौए, देव, गाय, और चींटी को भोजन खिलाने का प्रावधान है।
इस दिन श्राद्ध अभिजित, कुतुप या रोहिणी मुहूर्त में किया जाता हैं। तृतीया श्राद्ध को विधिवत रूप से करने पर सद्बुद्धि, स्वास्थ और समृद्धि प्राप्त होती है। गंगा जल, कच्चा दूध, जौ, तुलसी और शहद मिश्रित जल की जलांजलि देने के बाद गाय के घी का दीप जलाकर, धूप देकर, गुलाब के पुष्प और चंदन अर्पित किया जाता है। तत्पश्चात पिता से प्रारंभ करके पूर्वजों के जहां तक नाम याद हों वहां तक के पितरों के नामोच्चारण करके स्वधा शब्द से अन्न और जल अर्पित करना चाहिए तथा इस दिन भगवान विष्णु और यम की पूजा करने के बाद तर्पण कर्म करना चाहिए। पितृ के निमित्त लक्ष्मीपति का ध्यान करके गीता का तीसरा अध्याय का पाठ करें। पितृ श्राद्ध में कढ़ी, भात, खीर, पुरी और सब्जी का भोग लगाते हैं। पितरों के लिए बनाया गया भोजन रखें और अंगूठे से जल अर्पित करें। इसके बाद भोजन को गाय, कौवे और फिर कुत्ते और चीटियों को खिलाएं। तृतीय श्राद्ध में तीन ब्राम्हणों को भोजन कराया जाता है। उन्हें शकर, वस्त्र, चावल और यथाशक्ति दक्षिणा देकर तृप्त करें।
इस दिन गृह कलह न करें। मांसाहार, बैंगन, प्याज, लहसुन, बासी भोजन, सफेद तिल, मूली, लौकी, काला नमक, सत्तू, जीरा, मसूर की दाल, सरसो का साग, चना आदि खाना वर्जित माना गया है। यदि कोई इनका उपयोग करता है तो पितर नाराज हो जाते हैं। इस दिन शराब पीना, मांस खाना, श्राद्ध के दौरान चरखा चलाना, मांगलिक कार्य करना, झूठ बोलना और ब्याज का धंधा करने से भी पितृ नाराज हो जाते हैं।
पितृ पक्ष में अगर आप भगवान विष्णु जी की अराधना करते हैं और अगर आप विष्णु जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय विष्णु देवा लिखना न भूलिए।
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(साई फीचर्स)