. . . मतलब नरेंद्र मोदी के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में दंत विभाग के सहायक को पदोन्नति देकर बना दिया चिकित्सक!

स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त संचालक के हस्ताक्षरों से जारी आदेश में दो दंत चिकित्सकों के बजाए लगा दी सहायक की ड्यूटी
(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)। सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक कार्यालय द्वारा जारी एक आदेश दो दिनों से स्वास्थ्य विभाग में चर्चा का विषय बना हुआ है। दरअसल, इस आदेश में दंत चिकित्सा विभाग के एक सहायक को दंत चिकित्सक की उपाधि से नवाजा गया है। 20 सितंबर को जारी आदेश में 21 सितंबर की रात तक कोई संशोधन जारी नहीं किया गया है।
जिला चिकित्सालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि संयुक्त संचालक एवं अधीक्षक (अस्पताल), सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक सिवनी के हस्ताक्षरों से जारी आदेश स्टूवर्ड / 2023 / 5749 दिनांक 20 सितंबर 2024 की इबारत भी बहुत ही रोचक है, क्योकि इसमें सरकारी अधिकारी के द्वारा जारी आदेश में जिस भाषा में व्यक्ति विशेष की तारीफ में कशीदे गढ़े गए हैं वह अपने आप में गजब ही माना जा सकता है।
सूत्रों ने बताया कि इस आदेश में लिखा गया है कि भारतीय जनता पार्टी सिवनी के आवेदन के अुनसार देश के यशस्वी प्रधानमंत्री जी माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी के जन्म दिवस के अवसर पर भारतीय जनता पार्टी अखिल भारतीय स्तर पर सेवा पवाड़ा दिनांक 23 सितंबर 2024 को मनाने जा रही है एवं उक्त अवधि में स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इस आदेश में दो बार एक बार पदनाम के बाद एक बार नाम के उपरांत जी का संबोधन और यशस्वी शब्द का उपयोग शायद ही कभी सरकारी आदेशों में देखने को मिला हो।
सूत्रों के अनुसार इस आदेश में विभिन्न विशेषज्ञों को पाबंद किया गया है। इस आदेश में बीसवें नंबर पर श्रवण वाडिवा के नाम का उल्लेख है और इनके पदनाम के आगे दंत चिकित्सक लिखा गया है। सूत्रों की मानें तो ये दंत चिकित्सा विभाग में सहायक के पद पर पदस्थ हैं।
जैसे ही यह आदेश जारी हुआ और संबंधितों को इस आदेश की प्रति प्राप्त हुई उसके बाद जिला मुख्यालय के स्वास्थ्य विभाग में इस बात की चर्चा जारों पर चल पड़ी है कि किस तरह जिम्मेदारों के द्वारा भाट चारण की सीमाओं को पार किया जाकर अपनी अपनी कुर्सी बचाने का प्रयास किया जा रहा है।
एक अधिकारी ने तो पहचान उजागर न करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि हो सकता है कि जिले में स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ अधिकारियों के द्वारा ‘यशस्वी‘ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्म दिवस पर दंत चिकित्सा विभाग में पदस्थ एक सहायक को बिना किसी दंत चिकित्सा महाविद्यालय से उपाधि (डिग्री) लिए ही दंत चिकित्सक के पद पर पदोन्नति देकर आयुक्त स्वास्थ्य सेवाओं का अनुमोदन भी अगर मांग लिया हो तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
मजे की बात तो यह है कि दंत चिकित्सा विभाग में डॉ. एस.के. शर्मा, डॉ. पणिका सिंह सहित एक संविदा दंत चिकित्सक होने के बाद भी उनकी ड्यूटी नहीं लगाया जाना अपने आप में बहुत सारे प्रश्नों को जन्म देने के लिए पर्याप्त माना जा सकता है।
यहां यह उल्लेखनीय होगा कि जब भी नया कोई जिलाधिकारी आता है वह जिला चिकित्सालय की मश्कें कसने की कवायद करते तो दिखते हैं पर एक दो माह में ही उनकी इस तरह की कवायद के कस बल स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों के द्वारा निकाल दिए जाते हैं।
यहां यह उल्लेखनीय होगा कि कोविड काल से अब तक करोड़ों रूपए के आकण्ठ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जाने, चिकित्सकों के समय पर नहीं आने, अस्पताल के सीसीटीवी खराब होने, चिकित्सकों की बायोमीट्रिक अटेंडस न लगाए जाने, अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में पदस्थ कर्मचारियों के संलग्नीकरण और उन्हें मलाईदार विभाग देने आदि के मामले में जिला चिकित्सालय सदैव ही चर्चित रहा है और जिलाधिकारी सहित सांसद या विधायक अथवा भाजपा या विपक्ष में बैठी कांग्रेस के जिला अध्यक्ष भी इस मामले में मौन ही अख्तियार किए नजर आते हैं . . .