(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। सूरत में हुए अग्निकाण्ड के बाद जिले में कोचिंग संस्थाओं की जाँच का काम अभी तक आरंभ नहीं हो सका है। इसी तरह शालाओं में अवकाश चल रहा है पर शालाओं में प्राचार्य और लिपिकीय स्टॉफ के अवकाश नहीं होने से शालाएं खुली मानी जा सकती हैं। इनका भी निरीक्षण अब तक आरंभ नहीं हो पाया है।
शहर में छोटे मिशन स्कूल का शाला परिसर ऐसा भी है जहाँ एक नहीं बल्कि तीन – तीन शैक्षणिक संस्थानों का संचालन किया जा रहा है। शालाओं और कोचिंग संस्थानों में विद्यार्थियों की सुरक्षा के क्या इंतजामात हैं इस बारे में अब तक जाँच की फुर्सत जिला शिक्षा अधिकारी को नहीं मिल पायी है।
पालकों का कहना है कि पैसा कमाने की अंधी दौड़ के कारण शालाओं और कोचिंग संस्थाओं को मजाक बनाकर रख दिया गया है। कोचिंग संस्थानों में प्रवेश और निकासी के लिये महज एक ही द्वार है। इसके अलावा आग लगने या अन्य आपात स्थित से कैसे निपटा जाये, इस बारे में न तो विद्यार्थी जानते हैं और न ही कोचिंग संस्थानों के संचालकों को ही इसकी परवाह है।
जानकार बताते हैं कि नियमानुसार कोचिंग संस्थान और शालाओं में प्रवेश और निकासी के लिये पृथक – पृथक द्वार होना आवश्यक है। इतना ही नहीं अनेक स्थानों पर खिड़कियों का अभाव है। सर्दी में ठिठुरते हुए तो गर्मी में पसीने में तरबतर विद्यार्थी किस तरह अध्ययन कर रहे होंगे, इस बात को समझा जा सकता है।
बताया जाता है कि कोचिंग संस्थानों में फायर सेफ्टी के लिये किसी तरह के मुकम्मल इंतजामात नहीं किये गये हैं। इसके अलावा पहली मंजिल पर लग रहीं कक्षाओं में आने – जाने के लिये महज एक ही सीढ़ी का प्रयोग किया जा रहा है और वह भी बहुत ही तंग स्थान पर!
मजे की बात तो यह है कि नगर पालिका परिषद को भी इस बात की फुर्सत नहीं है कि उसके द्वारा कोचिंग संस्थानों की नियमित जाँच करायी जाये। किस भवन की अनुज्ञा रिहाईशी के रूप में ली गयी है किसकी व्यवसायिक और वहाँ क्या काम संचालित हो रहे हैं, यह देखने सुनने की फुर्सत भी पालिका को नहीं है।
राज्य शासन के द्वारा कोचिंग संस्थानों के संबंध में निर्देश जारी कर दिये गये हैं। जानकार सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि इसके तहत जिन बिंदुओं पर प्रतिवेदन तैयार होना है उसमें संस्थान में बिल्डिंग सेफ्टी एवं फायर सेफ्टी की व्यवस्था, आपदा से निपटने के लिये इंतजाम, इमरजेंसी गेट की व्यवस्था देखना आनिवार्य है।
सूत्रों का कहना है कि इसके अलावा मुख्य गेट पर बैरियर की व्यवस्था। संस्थान में लिफ्ट की स्थिति। छात्रावास में आने – जाने का समय। पीने के पानी एवं शौचालय की स्थिति। संस्थानों में पार्किंग व्यवस्था की स्थिति। पंखा, ट्यूब लाईट, कूलर, बिजली, जनरेटर जैसी व्यवस्था। सुरक्षा गार्ड की व्यवस्था। संचालकों द्वारा मानक अनुमतियां (परमिशन) की जाँच की जानी है।
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