जीवन के पहले और मृत्यु के बाद का गूढ़ रहस्य भी छिपा है गरूण पुराण में . . .

स्वर्ग, नरक, पाप, पुण्य के अलावा ज्ञान, विज्ञान, नीति, अनीति आदि का रहस्य भी छिपा है गरूण पुराण में . . .
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गरूण पुराण का नाम तो बहुत लोगों ने सुना ही होगा, अनेक लोगों ने गरूण पुराण का श्रवण भी किया होगा। गरुड़ पुराण में स्वर्ग, नरक, पाप, पुण्य के अलावा भी बहुत कुछ छिपा हुआ है। इसमें ज्ञान, विज्ञान, नीति, नियम और धर्म की बातें भी हैं। गरुड़ पुराण में एक ओर जहां मृत्यु का रहस्य है जो दूसरी ओर जीवन का रहस्य भी छिपा हुआ है।
गरुड़ पुराण से हमे कई तरह की शिक्षाएं मिलती है। गरुण पुराण में, मृत्यु के पहले और बाद की स्थिति के बारे में बताया गया है। यह पुराण भगवान विष्णु की भक्ति और उनके ज्ञान पर आधारित है। प्रत्येक व्यक्ति को यह पुराण पढ़ना चाहिए, या इसका श्रवण भी करना चाहिए। गरुड़ पुराण हिन्दू धर्म के प्रसिद्ध धार्मिक ग्रंथों में से एक है। 18 पुराणों में से इसे एक माना जाता है। गरुड़ पुराण में हमारें जीवन को लेकर कई गूढ बातें बताई गई है। जिनके बारें में व्यक्ति को जरूर जनना चाहिए।
पितृ पक्ष में अगर आप भगवान विष्णु जी की अराधना करते हैं और अगर आप विष्णु जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय विष्णु देवा अथवा हरिओम तत सत लिखना न भूलिए।
जानकार विद्वानों के अनुसार गरूण पुराण के अध्ययन से पता चलता है कि जिंदगी है तो मित्र भी हैं और शत्रु भी। कहते हैं कि जिसका कोई शत्रु नहीं वह अपनी जिंदगी में कुछ नहीं कर रहा है। ऐसे में उसका कोई मित्र भी नहीं होता। इसका यह मतलब नहीं कि हम जानबूझकर लोगों को शत्रु बनाएं। यदि हम अपने तरीके से जी रहे हैं तो निश्चित ही शत्रु बनना स्वाभाविक है। शत्रु या दुश्मन में से कुछ सामान्य होते हैं और कुछ खतरनाक। अर्थात ऐसा शत्रु जो बतों कोे दिल पर ले लेता है, वह जिंदगी को हल्के फुल्के में नहीं लेते हैं। अब ऐसे शत्रुओं से चतुराई से शत्रु बचना होता है अन्यथा वह कब, कहां और कैसे आपको चोट देने इसका कोई भरोसा नहीं।
इसके अलावा यदि आप अमीर, धनवान या सौभाग्यशाली बनना चाहते हैं तो जरूरी है कि आप साफ सुथरे, सुंदर और सुगंधित कपड़े पहने। गरुण पुराण के अनुसार उन लोगों का सौभाग्य नष्ट हो जाता है जो गंदे वस्त्र पहनते हैं। जिस घर में ऐसे लोग होते हैं जो गंदे वस्त्र पहनते हैं उस घर में कभी भी लक्ष्मी नहीं आती है। जिसके कारण उस घर से सौभाग्य भी चला जाता है और दरिद्रता का निवास हो जाता है। वहीं, कितना ही कठिन से कठिन सवाल हो, ज्ञान हो, विद्या हो या याद रखने की कोई बात हो वह अभ्यास से ही संरक्षित रखी जा सकती है। अभ्यास करते रहने से व्यक्ति उक्त ज्ञान में पारंगत तो होता ही है साथ ही वह उसे कभी नहीं भूलता है।
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इसके अलावा अभ्यास के बगैर विद्या नष्ट हो जाती है। यदि ज्ञान या विद्या का समय समय पर अभ्यास नहीं करेंगे तो वह भूल जाएंगे। गरुड़ पुराण के अनुसार माना जाता है कि जो भी हम पढ़े उसका हमें हमेशा एक बार अभ्यास करना चाहिए। जिससे की वह ज्ञान हमारे मस्तिष्क में अच्छे से जम जाए। वहीं, संतुलित भोजन करने से ही निरोगी काया प्राप्त होती है। भोजन से ही व्यक्ति सेहत प्राप्त करता है और भोजन से ही वह रोगी हो जाता है। भोजन ही हमारे शरीर का मुख्य स्रोत है। हमें हमेशा आधी से ज्यादा बीमारी इस वजह से होती है कि हम असंतुलित खान पान लेते हैं। जिसके कारण हमारा पाचन तंत्र ठीक से काम नहीं करता है। इसलिए हमें सदैव सुपाच्य भोजन ही ग्रहण करना चाहिए। ऐसे भोजन से पाचन तंत्र ठीक से काम करता है और भोजन से पूर्ण ऊर्जा शरीर को प्राप्त होती है। पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है और इस वजह से हम रोगों से बचे रहते हैं।
एकादशी व्रत को ग्रंथों और पुराणों में श्रेष्ठ बताया गया है। गरुड़ में तो इसका महिमा का खूब बखान किया गया है। जो व्यक्ति एकादशी का व्रत रखता वह सभी कष्टों से बचा रहता है। उसे उस व्रत का निश्चित ही लाभ मिलता है। एकादशी व्रत रखने के कुछ नियम होते हैं। इस व्रत को नियम अनुसार ही रखना चाहिए। इस दिन सिर्फ फलाहार ही लेना चाहिए। किसी भी प्रकार का व्यसन नहीं करना चाहिए तभी यह व्रत फल देते है। ज्योतिषियों अनुसार इसे रखने से चंद्र का कैसा भी बुरा असर हो वह खत्म हो जाता है।
इसमें तुलसी का महत्व समझाया गया है। हालांकि तुलसी का महत्व गरुड़ पुराण के अलाव अन्य कई पुराणों में भी बताया गया है। तुलसी को घर में रखने से सभी तरह के रोगों से मुक्ति मिलती है। इसका प्रतिदिन सेवन करने से किसी भी प्रकार से व्यक्ति को कोई रोग हो नहीं सकता। तुलसी को अपने घर में स्थान देने तथा जल देने से अवरुद्ध रास्ते खुल जाते हैं। इन्हें भगवान के प्रसाद में सेवन करने से सारे शारीरिक और मानसिक विकार दूर होते हैं। विष्णुजी की पूजा के पश्चात इनकी पुजा करने से बहुत फल मिलता है।
किसी भी देवी, देवता या धर्म का अपमान करने वाले को एक दिन जिंदगी में पछताना होता है और वह नरर्क में जाता है। गुरुड़ पुराण अनुसार ऐसे लोगों के बारे में बहुत कुछ लिखा हुआ है। गुरुड़ पुराणानुसार पवित्र (मंदिर आदि जगहों पर) स्थानों पर गंदे काम करने वाले, अच्छे लोगों को धोखा देने वाले, किसी के अहसान के बदले उन्हें गाली और उनका दुरुपयोग करने वाले, धर्म, वेद, पुराण और शास्त्रों के अस्तित्व पर सवाल उठाने वालों को नर्क से कोई नहीं बचा सकता है।
हिंदू धर्मानुसार जब किसी के घर में किसी का निधन हो जाता है, तब 13 दिन तक गरूड़ पुराण का पाठ रखा जाता है। शास्त्रों अनुसार कोई आत्मा तत्काल ही दूसरा जन्म धारण कर लेती है। किसी को तीन दिन लगते हैं, किसी को 10 से 13 दिन लगते हैं और किसी को सवा माह लगते हैं। लेकिन जिसकी स्मृति पक्की, मोह गहरा या अकाल मृत्यु मरा है तो उसे दूसरा जन्म लेने के लिए कम से कम एक वर्ष लगता है। तीसरे वर्ष उसका अंतिम तर्पण किया जाता है। फिर भी कई ऐसी आत्माएं होती हैं जिन्हें मार्ग नजर नहीं आता है और वे भटकती रहती हैं। गरुड़ पुराण में बताया गया है, कि आत्मा लगभग 13 दिनों तक उसी घर में निवास करती है। ऐसी स्थिति में यदि घर में गरुड़ पुराण का नियमित पाठ किया जाता है तो इसके श्रवण मात्र से ही आत्मा को शांति तथा मोक्ष की प्राप्ति संभव हो जाती है। इसके अलावा इसमें जीवन से जुड़े सात ऐसे महत्वपूर्ण नियम बताए गए हैं, जिनका पालन प्रत्येक व्यक्ति को बड़ी ही सहजता के साथ करना चाहिए।
आईए जानते हैं कि आखिर गरुड़ पुराण क्या है?
एक बार गरुड़ देव ने भगवान विष्णु से, प्राणियों की मृत्यु, यमलोक यात्रा, नरक योनियों तथा सद्गति के बारे में अनेक गूढ़ और रहस्ययुक्त प्रश्न पूछे। उन्हीं प्रश्नों का भगवान विष्णु ने सविस्तार उत्तर दिया। यह प्रश्न और उत्तर की श्रृंखला ही गरुड़ पुराण है। गरुड़ पुराण में स्वर्ग, नरक, पाप, पुण्य के अलावा भी बहुत कुछ है। उसमें ज्ञान, विज्ञान, नीति, नियम और धर्म की बाते हैं। गरुड़ पुराण में एक ओर जहां मौत का रहस्य है जो दूसरी ओर जीवन का रहस्य छिपा हुआ है। गरुड़ पुराण से हमे कई तरह की शिक्षाएं मिलती है। गरुण पुराण में, मृत्यु के पहले और बाद की स्थिति के बारे में बताया गया है। यह पुराण भगवान विष्णु की भक्ति और उनके ज्ञान पर आधारित है। प्रत्येक व्यक्ति को यह पुराण पढ़ना चाहिए। गरुड़ पुराण हिन्दू धर्म के प्रसिद्ध धार्मिक ग्रंथों में से एक है। 18 पुराणों में से इसे एक माना जाता है। गरुड़ पुराण में हमारे जीवन को लेकर कई गूढ़ बातें बताई गई है। जिनके बारें में व्यक्ति को जरूर जनना चाहिए।
आईए अब जानते हैं कि आखिर मृत्यु के उपरांत गरूण पुराण सुनने का विधान क्यों है? गरुण पुराण में मृत्यु के पहले और बाद की स्थिति के बारे में बताया गया है। इसीलिए यह पुराण मृतक को सुनाया जाता है। 13 दिनों तक मृतक अपनों के बीच ही रहता है। इस दौरान गरुढ़ पुराण का पाठ रखने से वह स्वर्ग नरक, गति, सद्गति, अधोगति, दुर्गति आदि तरह की गतियों के बारे में जान लेता है। निधन के उपरांत आगे की यात्रा में उसे किन किन बातों का सामना करना पड़ेगा, कौन से लोक में उसका गमन हो सकता है यह सभी वह गरुड़ पुराण सुनकर जान लेता है। जब मृत्यु के उपरांत घर में गरुड़ पुराण का पाठ होता है तो इस बहाने मृतक के परिजन यह जान लेते हैं कि बुराई क्या है और सद्गति किस तरह के कर्मों से मिलती है ताकि मृतक और उसके परिजन दोनों ही यह भलि भांति जान लें कि उच्च लोक की यात्रा करने के लिए कौन से कर्म करना चाहिए।
गरुड़ पुराण हमें सत्कर्मों के लिए प्रेरित करता है। सत्कर्म और सुमति से ही सद्गति और मुक्ति मिलती है। गरुड़ पुराण में व्यक्ति के कर्मों के आधार पर दंड स्वरुप मिलने वाले विभिन्न नरकों के बारे में बताया गया है। गरुड़ पुराण के अनुसार कौनसी चीजें व्यक्ति को सद्गति की ओर ले जाती हैं इस बात का उत्तर भगवान विष्णु ने दिया है। गरुड़ पुराण में हमारे जीवन को लेकर कई गूढ बातें बताई गई है। जिनके बारे में व्यक्ति को जरूर जनना चाहिए। आत्मज्ञान का विवेचन ही गरुड़ पुराण का मुख्य विषय है। गरूड़ पुराण के उन्नीस हजार श्लोक में से बचे सात हजार श्लोक में गरूड़ पुराण में ज्ञान, धर्म, नीति, रहस्य, व्यावहारिक जीवन, आत्म, स्वर्ग, नर्क और अन्य लोकों का वर्णन मिलता है।
इसमें भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, सदाचार, निष्काम कर्म की महिमा के साथ यज्ञ, दान, तप तीर्थ आदि शुभ कर्मों में सर्व साधारण को प्रवृत्त करने के लिए अनेक लौकिक और पारलौकिक फलों का वर्णन किया गया है। यह सभी बातें मृतक और उसके परिजन जानकर अपने जीवन को सुंदर बना सकते हैं। इसके अतिरिक्त इसमें आयुर्वेद, नीतिसार आदि विषयों के वर्णन के साथ मृत जीव के अन्तिम समय में किए जाने वाले कृत्यों का विस्तार से निरूपण किया गया है। कहते हैं कि गरुढ़ पुराण का पाठ सुनने से ही मृतक आत्मा को शांति प्राप्त होती है और उसे मुक्ति का मार्ग पता चल जाता है। वह अपने सारे संताप को भूलकर प्रभु मार्ग पर चलकर सद्गति प्राप्त कर या तो पितरलोक में चला जाता है या पुनः मनुष्य योनी में जन्म ले लेता है। उसे प्रेत बनकर भटकना नहीं पड़ता है।
पितृ पक्ष में अगर आप भगवान विष्णु जी की अराधना करते हैं और अगर आप विष्णु जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय विष्णु देवा अथवा हरिओम तत सत लिखना न भूलिए।
यहां बताए गए उपाय, लाभ, सलाह और कथन आदि सिर्फ मान्यता और जानकारियों पर आधारित हैं। यहां यह बताना जरूरी है कि किसी भी मान्यता या जानकारी की समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के द्वारा पुष्टि नहीं की जाती है। यहां दी गई जानकारी में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, मान्यताओं, धर्मग्रंथों, दंतकथाओं, किंवदंतियों आदि से संग्रहित की गई हैं। आपसे अनुरोध है कि इस वीडियो या आलेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया पूरी तरह से अंधविश्वास के खिलाफ है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।
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(साई फीचर्स)