गुप्त नवरात्रि तांत्रिक साधनाओं के लिए होती है जबकि सामान्य नवरात्रि शक्ति की साधना के लिए. . .

नौ दिनों तक जगत जननी माता दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की क्यों होती है पूजा . . .
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वैसे तो साल में चार नवरात्रि होती है। चार में दो गुप्त नवरात्रि और दो सामान्य होती है। इनमें शारदेय जिसे छोटी नवरात्र और चैत्र या वासंतेय नवरात्र जिसे बड़ी नवरात्र कहा जाता है, का अपना विशेष महत्व है। इस अवसर पर नौ दिनों तक माता दुर्गा की पूजा की जाती है।
अगर आप जगत जननी माता दुर्गा की अराधना करते हैं और अगर आप माता दुर्गा जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय भवानी, जय दुर्गा अथवा जय काली माता लिखना न भूलिए।
नवरात्रि का प्रत्येक दिन माता दुर्गा के एक अलग रूप को समर्पित है, जो उनकी शक्ति और ऊर्जा के विभिन्न पहलुओं का प्रतीक माना जाता है। यह नौ दिनों का पर्व पूरे भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के अन्य हिस्सों में अत्यधिक भक्ति, आध्यात्मिक उत्साह और सांस्कृतिक महत्व के साथ मनाया जाता है। इस दौरान माता के सभी रूपों की पूजा अर्चना होने के साथ माता को प्रसन्न करने के उपाय भी आजमाए जाते हैं।
इन नौ दिनों में भक्तजन माता दुर्गा की भक्ति में पूरी तरह से डूबे रहते हैं और इन नौ रातों के पूजन के बाद शारदीय नवरात्र का समापन दशहरा के साथ होता है। एक सवाल यह भी उठता है कि माता दुर्गा की पूजा आखिर नौ दिनों तक ही क्यों की जाती है? अंक ज्योतिष की मानें तो इस 9 नंबर का विशेष महत्व है।
जानिए नवरात्र का क्या है अर्थ,
जानकार विद्वानों के अनुसार नव का शाब्दिक अर्थ है नौ और नया। शारदीय नवरात्रि से प्रकृति सर्दी की चादर के फैलते ही सिकुड़ती प्रतीत होने लगती है। ऋतु में परिवर्तन होने लगता है। यही वजह है कि नवरात्रि की अवधि में उपासक संतुलित और सात्विक भोजन कर अपना ध्यान चिंतन और मनन में लगाते हैं और स्वंय को भीतर से शक्तिशाली बनाते हैं। इससे ऋतु परिवर्तन का बुरा असर उसकी सेहत पर नहीं पड़ता। इसके साथ ही मां दुर्गा की पूजा पूर्ण शुद्धि के साथ संपन्न कर पाते हैं।
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जानिए शारदीय नवरात्रि में रात्रि पूजा का महत्व,
नवरात्रि की 9 रातें बहुत खास मानी जाती है। कहते हैं इसमें व्यक्ति व्रत, पूजा, मंत्र जाप, संयम, नियम, यज्ञ, तंत्र, त्राटक, योग कर नौ अलौकिक सिद्धियां प्राप्त कर सकता है। पुराणों के अनुसार रात्रि में कई तरह के अवरोध खत्म हो जाते हैं। रात्रि का समय शांत रहता है, इसमें ईश्वर से संपर्क साधना दिन की बजाय ज्यादा प्रभावशाली है। रात्रि के समय देवी दुर्गा की पूजा से शरीर, मन और आत्मा। भौतिक, मानसिक और आध्यात्मिक सुख प्राप्त होता है।
जानिए नौ दिनों तक क्यों की जाती है मां दुर्गा की पूजा,
संस्कृत में नवरात्रि का शाब्दिक अर्थ है नौ रातें, जहां नव का अर्थ नौ है, और रात्रि का अर्थ रातें हैं। पूजा के नौ दिन देवी दुर्गा की नौ अभिव्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो स्त्री शक्ति और दिव्य ऊर्जा का प्रतीक होते हैं। इन नौ अवतारों या रूपों को नवदुर्गा के रूप में जाना जाता है, प्रत्येक स्वरुप जीवन के एक अलग पहलू और देवी के एक अलग ऊर्जा रूप का प्रतिनिधित्व करता है। पूरे नौ दिनों तक माता के विभिन्न स्वरूपों की पूजा का विधान है और अलग तरीके से माता का आव्हान किया जाता है। ये नौ रातें बेहद ख़ास होती हैं और कुछ विशेष स्वरुप को खुद में समेटे हुए होती हैं।
जानकार विद्वान बताते हैं कि कथाओं के अनुसार माता पार्वती जब भगवान शंकर से प्रश्न करती हैं कि नवरात्र किसे कहते हैं! तब भगवान शंकर उन्हें प्रेमपूर्वक समझाते हैं नव शक्तिभिः संयुक्त नवरात्रं तदुच्यते, एकैक देव देवेशि! नवधा परितिष्ठता। अर्थात नवरात्र नवशक्तियों से संयुक्त है। इसकी प्रत्येक तिथि को एक एक शक्ति के पूजन का विधान है।
कहा जाता है कि गुप्त नवरात्रि तांत्रिक साधनाओं के लिए होती है जबकि सामान्य नवरात्रि शक्ति की साधना के लिए। नवरात्रि में साधनाओं के सफल होना का असर बढ़ जाता है। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि नवरात्रि में पूजा अर्चना के मात्र 9 दिन ही क्यों होते हैं? जब नवरात्रि में पूजा पाठ का इतना ही महत्व है तो 9 दिन से अधिक की नवरात्रि क्यों नहीं मनाते?
इन दिनों होता है प्रकृति में महत्वपूर्ण परिवर्तन,
जानकार विद्वान यह भी बताते हैं कि दरअसल इन नौ दिनों में प्रकृति में विशेष प्रकार का परिवर्तन होता है और ऐसे समय हमारी आंतरिक चेतना और शरीर में भी परिर्वत होता है। प्रकृति और शरीर में स्थित शक्ति को समझने से ही शक्ति की आराधना का भी महत्व समझ में आता है। असल में चैत्र और आश्विन के नवरात्रि का समय ऋतु परिवर्तन का समय है। ऋतु एवं प्रकृति का हमारे जीवन, चिंतन एवं धर्म में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रहा है। इसीलिए हमारे ऋषि मुनियों ने बहुत सोच विचार कर सर्दी और गर्मी की इन दोनों महत्वपूर्ण ऋतुओं के मिलन या संधिकाल को नवरात्रि का नाम दिया। यदि आप उक्त नौ दिनों अर्थात साल के 18 दिनों में अन्य का त्याग कर भक्ति करते हैं तो आपका शरीर और मन पूरे वर्ष स्वस्थ और निश्चिंत रहता है।
अब जानते हैं कि नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के किन नौ रूपों की पूजा होती है,
प्रथम दिन माता शैलपुत्री की पूजा होती है, जिन्हें पहाड़ों की बेटी माना जाता है एवं वे प्रकृति और विकास का प्रतिनिधित्व करती हैं।
दूसरा दिन माता ब्रम्हचारिणी का होता है, माता देवी जिसने गहन तपस्या की, जो भक्ति और आध्यात्मिकता का प्रतीक है।
तीसरा दिन माता चंद्रघंटा का है, इन्हें शांति और स्थिरता की देवी माना जाता है जो शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं।
चौथा दिन माता कुष्मांडा का है ये ऐसी देवी जिन्होंने ब्रम्हांड का निर्माण किया है और ये रचनात्मकता का प्रतीक हैं।
पांचवां दिन स्कंदमाता का है, स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय की माता हैं जो मातृत्व और पालन पोषण का प्रतिनिधित्व करती हैं।
छठवीं कात्यायनी माता कहलाती हैं, यह देवी जिन्होंने महिषासुर को हराया और जो बहादुरी का प्रतीक हैं।
सप्तमी कालरात्रि मानी गई हैं, इन्हें मृत्यु और बुरी शक्तियों के विनाश की देवी माना जाता है।
अष्टमी पर महागौरी का पूजन होता है, यह पवित्रता और ज्ञान की देवी जो आंतरिक शांति का प्रतिनिधित्व करती हैं।
नवमी सिद्धिदात्री देवी हैं, यह अलौकिक शक्तियों को प्रदान करने वाली, आत्मज्ञान का प्रतीक माता सिद्धिदात्री हैं।
अंक ज्योतिष में 9 संख्या का महत्व भी जानिए,
अंक ज्योतिष, संख्याओं और उनके रहस्यमय अर्थों का अध्ययन होता है। इसके अनुसार नौ नंबर बहुत महत्वपूर्ण होता है। अंक ज्योतिष में, प्रत्येक अंक की अपनी अनूठी ऊर्जा और महत्व है और अंक नौ अक्सर आध्यात्मिक जागृति, निस्वार्थ और सार्वभौमिक प्रेम से जुड़ा हुआ माना जाता है। यह एक अत्यधिक आध्यात्मिक संख्या है जो पूर्णता, ज्ञान और मानवतावाद का प्रतिनिधित्व करती है। आइए आपको बताएं 9 अंक के महत्व के बारे में,
9 नंबर माना जाता है पूर्णता वाली संख्या,
अंकज्योतिष में, अंक नौ एकल अंकों में से अंतिम अंक है, जो एक चक्र के अंत का प्रतीक है। इसे पूर्णता की संख्या माना जाता है, जहां सभी चीजें पूर्ण चक्र में आती हैं।
जिस तरह नौवां महीना बच्चे के जन्म का प्रतीक है, अंक ज्योतिष में नौ नंबर को आत्मा की यात्रा के समापन या विकास के एक महत्वपूर्ण चरण का प्रतीक माना जाता है।
नवरात्रि के दौरान, भक्त नौ दिनों के लिए आध्यात्मिक यात्रा पर निकलते हैं, जिससे अंततः आंतरिक संतुष्टि और नवीनीकरण की भावना पैदा होती है। इसी वजह से नवरात्रि के नौ दिनों को बहुत ख़ास माना जाता है।
सार्वभौमिक ऊर्जा और आध्यात्मिकता का प्रतीक है नौ नंबर,
अंकज्योतिष में नौ अंक सार्वभौमिक प्रेम, ज्ञान और सहानुभूति की गहरी भावना से जुड़ा होता है। इसे सबसे अधिक आध्यात्मिक रूप से विकसित संख्या माना जाता है, जो उच्च चेतना और मानवता की सामूहिक भलाई के साथ संबंध का प्रतीक होती है।
नौ दिनों तक देवी दुर्गा की पूजा करना इस ऊर्जा के अनुरूप है, क्योंकि यह त्योहार लोगों को आध्यात्मिक विकास, आत्म चिंतन और व्यक्तिगत और बाहरी बुराइयों पर काबू पाने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित करता है। नवरात्रि आंतरिक शुद्धि और ऊर्जा के दिव्य स्रोत से जुड़ने का समय है।
नौ नंबर से जुड़ी है रचनात्मक ऊर्जा और परिवर्तन भी,
नौ नंबर में परिवर्तन की ऊर्जा, रचनात्मकता और परिवर्तन को प्रेरित करने की क्षमता होती है। अंकशास्त्र में, इसे एक संख्या के रूप में देखा जाता है जो व्यक्तियों को सीमाओं से मुक्त होने और विकसित होने में मदद करता है।
देवी दुर्गा, अपने विभिन्न रूपों में, इस परिवर्तनकारी शक्ति का प्रतीक हैं और नौ दिनों तक उनकी पूजा करके, भक्त अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए इस ऊर्जा का आव्हान करते हैं। बाधाओं पर काबू पाना हो, रचनात्मकता को बढ़ावा देना हो या एक नई आध्यात्मिक यात्रा शुरू करना हो, नौ नंबर व्यक्तिगत विकास को सुविधाजनक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
अब जानिए, हिंदू संस्कृति में नौ नंबर का महत्व,
नौ अंक का महत्व केवल अंकज्योतिष या नवरात्रि तक ही सीमित नहीं है। यह नंबर हिंदू संस्कृति के विभिन्न पहलुओं में गहरा महत्व रखता है। यह संख्या कई महत्वपूर्ण चीजों से जुड़ी होती है।
नवग्रह ऐसा माना जाता है कि वैदिक ज्योतिष में नौ ग्रह मानव जीवन के हर पहलू को नियंत्रित करते हैं। नवरात्रि के दौरान नौ दिनों तक देवी दुर्गा की पूजा करने से इन ग्रहों की ऊर्जा शांत होती है और व्यक्ति के जीवन में संतुलन बना रहता है।
नवरत्न मान्यता है कि नौ रत्न पहनने की प्राचीन परंपरा सकारात्मक ऊर्जा लाती है और नौ ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को दूर करती है।
नवरस भारतीय शास्त्रीय नृत्य और कला में, नौ प्राथमिक भावनाएं या रस हैं, जिनका उपयोग मानवीय अनुभवों की पूरी श्रृंखला को व्यक्त करने के लिए किया जाता है। ये भावनाएं देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों के साथ संरेखित होती हैं, जो उनकी दिव्य ऊर्जा की विविधता को दर्शाती हैं।
भक्ति के नौ रूप हिंदू धर्म में, नौ प्रकार की भक्ति हैं, प्रत्येक भक्ति परमात्मा से जुड़ने के कारण एक अलग तरीके का प्रतिनिधित्व करती है। इस तरह अंक नौ का हिन्दू धर्म शास्त्रों के साथ ज्योतिष और विज्ञान से भी गहरा संबंध है।
अगर आप जगत जननी माता दुर्गा की अराधना करते हैं और अगर आप माता दुर्गा जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय भवानी, जय दुर्गा अथवा जय काली माता लिखना न भूलिए।
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(साई फीचर्स)