मान्यता है कि सती माता के 51 शक्तिपीठों के दर्शन से मोक्ष की होती है प्राप्ति . . .

जानिए सती माता के अंग जिन 51 स्थानों पर गिरे थे, उन शक्ति पीठों के नाम और स्थान के बारे में . . .
आप देख, सुन और पढ़ रहे हैं समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया की साई न्यूज के धर्म प्रभाग में विभिन्न जानकारियों के संबंद्ध में . . .
देवाधिदेव महादेव ब्रम्हाण्ड के राजा भगवान शिव और सती माता की कहानी तो आपने पूर्व में सुनी ही होगी, जिसमें सती माता के पिता राजा दक्ष के द्वारा भगवान शिव का अपमान किए जाने पर सती माता ने खुद को समाप्त कर लिया था। इसके बाद भगवान शिव का तीसरा नेत्र खुला और वे माता के शरीर को लेकर जगह जगह गए। इसी बीच सती माता के शरीर के अंग 51 स्थानों पर गिरे जिससे वहां शक्ति पीठों की स्थापना हुई। आईए आज हम आपको बताते हैं कि माता के कौन कौन से अंग कहां कहां गिरे और वहां कौन कौन सा शक्ति पीठ है,
अगर आप जगत जननी माता दुर्गा की अराधना करते हैं और अगर आप माता दुर्गा जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय भवानी, जय दुर्गा अथवा जय काली माता लिखना न भूलिए।
देवी बाहुला एक प्रतीक माता सती का बायां हाथ अजेय नदी के पास पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले में गिरा था, जहां देवी बाहुला के रूप में पूजी जाती हैं।
मंगल चंद्रिका माता की दाईं कलाई पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले में उज्जनि में गिरी थी। माता का मंगल चंद्रिका रूप यहां है।
भ्रामरी देवी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता का बायां पैर पश्चिम बंगाल के जलपाइगुड़ी में गिरा था, जहां मां सती का भ्रामरी रूप पूजा जाता है।
जुगाड्या माता सती का दाएं पैर का अगूंठा पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले में गिरा था। माता सती यहां जुगाड़ी रूप में विराजमान है।
माता कालिका मां का बाएं पैर का अगूंठा पश्चिम बंगाल के कोलकाता के कालीघाट में गिर गया था। यहां माता को कालिका कहा जाता है।
महिषमर्दिनी मां सती का भ्रूण भी पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में गिरा था। इसलिए माता को यहां महिषमर्दिनी भी कहा जाता है।
इस आलेख को वीडियो में देखने के लिए क्लिक कीजिए . . .

https://www.youtube.com/watch?v=G2GnfP3sb3g
देवगर्भ पश्चिम बंगाल के बीरभुम जिले में माता सती की अस्थियां गिरी होती हैं। यहां देवी को देवगर्भ कहा जाता है।
देवी कपालिनी मां सती की बायीं एड़ी पश्चिम बंगाल के पूर्व मेदिनीपुर जिले में गिरी थी। यहां माता का कपालिनी रूप पूजा जाता है।
फुल्लरा पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में मां सती का ओष्ठ भी मिल गया है। इस जगह माता सती की पूजा फुल्लरा रूप में की जाती है।
अवंति मध्य प्रदेश के उज्जयिनी में क्षिप्रा नदी तट पर माता सती का ऊपरी होंठ गिरा। यहां वे अवंति कहलाती हैं।
नंदिनी बीरभूम, पश्चिम बंगाल में माता सती का नंदिनी रूप पूजा जाता है। यह भी कहा जाता है कि यहीं देवी सती के गले का हार गिरा था।
देवी कुमारी माता सती का दायां कंधा पश्चिम बंगाल में रत्नाकर नदी के पास गिरा था, जहां वे देवी कुमारी कहलातीहैं।
देवी उमा मां सती का बायां (कंधा) स्कंध भारत और नेपाल सीमा पर गिरा था। जहां माता उमा विराजमान हैं।
कालिका देवी पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में माता सती के पैर की हड्डी गिरी थी। यहां उन्हें कालिका देवी के नाम से पूजा जाता है।
विमला जी बांग्लादेश के मुर्शिदाबाद जिले में माता सती की पूजा विमला नाम से की जाती है, जहां उनके माथे का मुकुट गिरा था।
मां भवानी मां की दायीं भुजा बांग्लादेश के चिट्टागौंग जिले में चंद्रनाथ पर्वत के शिखर पर गिरी थी। यहां मां सती को भवानी कहते हैं।
सुनंदा माना जाता है कि माता सती की नाक बांग्लादेश के बरिसल में गिरी थी। यहां माता का सुनहरा रूप है।
देवोत्सव मां सती की बायीं जांघ बांग्लादेश के जयंतिया परगना में गिरी थी, जिसे देवी जयंती कहा जाता है।
महालक्ष्मी देवी बांग्लादेश के जैनपुर गांव में मां सती के पार्थिव शरीर को शिव जी उठाकर ले जा रहे थे, तब माता सती का गला यहां गिरा था। यहां देवी की पूजा महालक्ष्मी के रूप में की जाती है।
योगेश्वरी माना जाता है कि मां सती के हाथ और पैर बांग्लादेश के खुलना जिले में गिरे थे। यहां उन्हें यशोरेश्वरी कहा जाता है।
अर्पण माता सती की बाएं पैर की पायल बांग्लादेश के भवानीपुर गांव में गिरी थी। जहां उनकी अर्पण रूप में पूजा होती है।
इन्द्रक्षी श्रीलंका में माता के इंद्रक्षी रूप की पूजा की जाती है क्योंकि इस स्थान पर माता के दाएं पैर की पायल गिरी है।
मां ललिता उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में मां सती की हाथ की अंगुली प्रयाग संगम में गिरी थी। यहां माता सती को ललिता रूप में पूजा जाता है।
मणकर्णी उत्तर प्रदेश के वाराणसी में मां को विशालाक्षी या मणकर्णी नाम से पूजा जाता है क्योंकि वहां उनकी कान की मणि गिरी थी।
देवी शिवानी एक पौराणिक कहानी कहती है कि उत्तर प्रदेश के चित्रकूट रामगिरी में मां सती का दायां वक्ष गिर गया था। यहां देवी शिवानी का नाम है।
चूड़ामणि एक खनिज उत्तर प्रदेश के वृंदावन में मां सती के केश की चूड़ामणि मिली। जहां माता सती को उमा कहा जाता है।
श्रावणि तमिलनाडु के भद्रकाली मंदिर में मां सती की पीठ गिरी। यहां उन्हें श्रावणी कहा जाता है।
सावित्री एक देवी हरियाणा के कुरुक्षेत्र में मां सती की एड़ी गिरी। इस जगह माता का सावित्री रूप विराजमान है।
देवी गायत्री राजस्थान के अजमेर में मां सती को गायत्री पर्वत पर पूजा जाता है, जहां उनकी कलाई गिरी थी।
मां काली मध्य प्रदेश के अमरकंटक में मां सती का बायां नितंब गिरा था। यहां काली पूजा जाती है।
देवीनर्मदा मध्य प्रदेश के अमरकंटक में मां सती का दायां नितंब नर्मदा नदी तट पर गिरा था। यहां देवी को नर्मदा कहा जाता है।
देवी नारायणी पौराणिक कथाओं के अनुसार, तमिलनाडु के कन्याकुमारी एवं तिरुवंतपुरम मार्ग पर मां सती की ऊपरी दाड़ गिरी थी। यह देवी का नारायणी रूप है।
वाराही उत्तर प्रदेश के गोंडा में स्थित इस मंदिर में माता सती की निचली दाढ़ गिरी थी। यहां देवी की वाराही रूप में पूजा जाता है।
श्री सुंदरी आंध्र प्रदेश के कुरनूल श्रीशैलम में मां सती का दाएं पैर की पायल गिरी होती है। जहां वे श्री सुंदरी नाम से पूजी जाती हैं।
चंद्रभागा भगवान शिव ने माता सती का पार्थिव शरीर उठाते समय सोमनाथ मंदिर के पास गुजरात के जूनागढ़ जिले में मां का अमाशय गिरा था। यहां देवी को चंद्रभागा कहा जाता है।
भ्रामरी देवी एक पौराणिक कथा के अनुसार, मां सती की ठोड़ी गोदावरी घाटी में महाराष्ट्र के नासिक में गिरी थी। माता यहां भ्रामरी कहलाती हैं।
राकिनी देवी आंध्र प्रदेश के कोटिलिंग्शेवर मंदिर में मां सती का गाल गिरा था। जहां राकिनी माता की पूजा की जाती है
देवी अंबि, मां सती के बायें पैर की उंगली राजस्थान के भरतपुर में गिरी थी। यहां पर माता सती को अंबि नाम से पूजा जाता है।
महाशिरा दृ ऐसा माना जाता है कि नेपाल में पशुपतिनाथ मंदिर के पास गुजयेश्वरी मंदिर में मां सती के दोनों घुटनें गिरे हैं। इस स्थान पर मां का महाशिरा रूप की पूजा की जाती है।
गण्डकी चंडी मुक्तिनाथ मंदिर नेपाल के पोखरा में गण्डकी नदी के तट पर है। माना जाता है कि मां सती का मस्तक इस जगह गिरा था। यहां मां को गंडकी चंडी की तरह पूजा जाता है।
जयदुर्गा कर्नाटक में स्थित इस मंदिर में मां सती के दोनों कान गिरे थे। यह स्थान जयदुर्गा कहलाता है।
हिंगलाज माता का शक्तिपीठ लारी तहलीस, बलूचिस्तान, पाकिस्तान में है। माना जाता है कि इस जगह मां सती का सिर गिरा था। यहां मां को हिंगुल देवी कहते हैं।
महिष मर्दिनी माता सती का नैना देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में है। इस स्थान पर माना जाता है कि यहां माता सती के नयन गिरे थे। इस जगह पर माता की महिष मर्दिनी के रूप में पूजा की जाती है।
देवी अंबिका हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में मां सती की जीभ गिरी थी। यहां माता सती का अंबिका रूप पूजा जाता है।
देवी महामाया मां सती का गला कश्मीर के पहलगाम स्थित अमरनाथ में गिरा था। यहां देवी को महामाया कहा जाता है।
त्रिपुरमालिनी माता सती का दायां वक्ष पंजाब के जालंधर में गिरा था। यहां देवी को त्रिपुरमालिनी के रूप में पूजा जाता है।
माता अंबाजी देवी सती का ह्रदय गुजरात के अंबाजी मंदिर में गिरा था। इस स्थान पर माता को अंबाजी कहते हैं।
मां दाक्षायनी तिब्बत के पास कैलाश पर्वत पर माता सती का दायां हाथ गिरा था। यहां माता सती को दाक्षायनी के रूप में पूजा जाता है।
देवी विमला माता सती की नाभि उड़ीसा में भुवनेश्वर में गिरी थी। आज मां सती को विमला रूप में पूजा जाता है।
त्रिपुर सुंदरी एक महिला मान्यता है कि माता सती का दायां पैर त्रिपुरा के माताबढ़ी शिखर उदयपुर में गिरा था। यहीं माता को त्रिपुर सुंदरी का नाम मिलता है।
कामाख्या देवी असम के गुवाहाटी के कामगिरी में माता सती की योनि मण्डल गिरा था। यहां कामाख्या देवी की पूजा करने के लिए कामाख्या मंदिर बनाया गया है।
अगर आप जगत जननी माता दुर्गा की अराधना करते हैं और अगर आप माता दुर्गा जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय भवानी, जय दुर्गा अथवा जय काली माता लिखना न भूलिए।
यहां बताए गए उपाय, लाभ, सलाह और कथन आदि सिर्फ मान्यता और जानकारियों पर आधारित हैं। यहां यह बताना जरूरी है कि किसी भी मान्यता या जानकारी की समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के द्वारा पुष्टि नहीं की जाती है। यहां दी गई जानकारी में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, मान्यताओं, धर्मग्रंथों, दंतकथाओं, किंवदंतियों आदि से संग्रहित की गई हैं। आपसे अनुरोध है कि इस वीडियो या आलेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया पूरी तरह से अंधविश्वास के खिलाफ है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।
अगर आपको समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया में खबरें आदि पसंद आ रही हो तो आप इसे लाईक, शेयर व सब्सक्राईब अवश्य करें। हम नई जानकारी लेकर फिर हाजिर होंगे तब तक के लिए इजाजत दीजिए, जय हिंद, . . .
(साई फीचर्स)