दरअसल, कार्तिक माह में भगवान के द्वारा अनेक लीलाएं की हैं, इसलिए इस माह का महत्व बहुत ज्यादा है . . .

जानिए सनातन धर्म में कार्तिक या दामोदर माह का इतना अधिक महत्म्य क्यों है!
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कार्तिक माह को सनातन धर्म में बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। यह इतना महत्वपूर्ण क्यों है, यह बात हम आपको बताने जा रहे हैं। दरअसल, इस मास में भगवान ने बहुत सारी लीलाएँ की हैं इसलिए यह माह सभी को प्रिय माना जाता है।
शरद पूर्णिमा इस दिन भगवान कृष्ण ने राधारानी ओर गोपियों के साथ रास किया था। शरद पूर्णिमा की रात्रि से ही कार्तिक मास शुरू हुआ था। बहुलाष्टमी यह दिन राधाकुण्ड श्यामकुण्ड के आविर्भाव का स्मरणोत्सव मनाया जाता है। इसी दिन कृष्ण और राधारानी ने श्यामकुंड, राधाकुंड का निर्माण किया था।
अगर आप भगवान विष्णु जी एवं भगवान श्री कृष्ण जी की अराधना करते हैं और अगर आप विष्णु जी एवं भगवान कृष्ण जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय विष्णु देवा, जय श्री कृष्ण अथवा हरिओम तत सत लिखना न भूलिए।
वहीं, रमा एकादशी कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाए जाने वाली एकादशी रमा एकादशी कहा जाता है। भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मी का एक नाम रमा भी है इसलिए इस एकादशी को रमा एकादशी कहा जाता है। इस दिन विष्णु के पूर्णावतार केशव रूप की भी अर्चना की जाती है। इस व्रत को करने से जीवन में कभी भी धन का अभाव नहीं होता है।
धनतेरस इस दिन धन्वतंरी भगवान अमृत कलश के साथ ही साथ आयुर्वेद की समस्त औषधियों के साथ प्रकट हुए थे, जो व्याधियों के शमन हेतु काम आती हैं। नरक चतुर्दशी इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। दामोदर लीला भी इसी महीने में हुई थी। इसी मास में दीवाली के दिन यशोदा मैया ने भगवान कृष्ण को उखल से बांधा था जिससे उनका नाम दामोदर पड़ा अर्थात जिनका उदर (पेट) दाम (रस्सी) से बंध गया और इसलिए कार्तिक मास का नाम दामोदर मास पड़ा।
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दीवाली भगवान राम 14 वर्ष के वनवास से अयोध्या लौटे। सभी अयोध्या वासियों ने दियें जलाये जिसे दिवाली के रूप में आज भी हम मानते हैं। गोवर्धन पूजा भी इसी महीने में होती है। दीवाली के पश्चात गोवर्धन पूजा की जाती है। भगवान कृष्ण ने अपनी बाएं हाथ की कनिष्ठ उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाया थाद्य इस दिन भगवान को 56 प्रकार के भोग लगाये जाते हैं। गोपाष्टमी भगवान श्री कृष्ण ने गाय चराना शुरू किया। उत्थान एकादशी या देवउठनी एकादशी के दिन चार महीनों के शयन के उपरांत भगवान उठते हैं। इसलिए इस एकादशी को देवउठनी एकादशी कहते हैं। इसी माह में भगवान कृष्ण और तुलसी महारानी का विवाह होता हैं।
कार्तिक मास में संध्या समय श्री यमुना जी में दीपदान अर्पण करने का विशेष महत्व है। संध्या समय अपने घर पर श्री ठाकुर जी के आगे भी एक दीपक अवश्य जलाएं खासकर कार्तिक मास में इस विषय में पद्म पुराण में कहा गया है कि कार्तिक मास में मात्र एक दीपक अर्पित करने से भगवान श्री कृष्ण बहुत ही प्रसन्न होते हैं भगवान श्री कृष्ण ऐसे व्यक्ति का गुणगान भी करते हैं जो श्री यमुना जी में अपने नाम अथवा गोत्र के जरिए दीपदान करते हैं या करवाते हैं।
स्कंदपुराण के अनुसार
मासानां कार्तिकः श्रेष्ठो देवानां मधुसूदनः।
तीर्थ नारायणाख्यं हि त्रितयं दुर्लभं कलौ।
इसका अर्थ है भगवान विष्णु एवं विष्णुतीर्थ के सदृश ही कार्तिक मास को श्रेष्ठ और दुर्लभ कहा गया है।
जानकार विद्वानों के अनुसार अगर आप यमुना जी में दीपदान नहीं कर सकते हैं तो आप गंगा जी, नर्मदा जी, बैनगंगा जी या किसी अन्य नदी अथवा जल स्त्रोत में दीपदान कर सकते हैं।
कार्तिक मास का महत्व जानिए,
हिंदू धर्म में कार्तिक मास का बहुत विशेष महत्व है। इस मास में श्री विष्णु जी के साथ तुलसी की भी पूजा अर्चना की जाती है। इस मास में स्नान, दान, दीप करने से कष्टों से छुटकारा मिलता है। पूरे कार्तिक के महीने में सुबह जल्दी उठकर स्नान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
कार्तिक का महीना पूजा पाठ, धर्म कर्म, ध्यान और मांगलिक कार्यों के लिए विशेष होता है। कार्तिक का महीना चातुर्मास का आखिरी महीना होता है। इस माह में भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं। भगवान हरि जिस दिन योगनिद्रा से जागते हैं उस दिन को देवोत्थान एकादशी या देवउठनी के नाम जाना जाता है। कार्तिक माह में भगवान विष्णु और तुलसी माता की पूजा, गंगा स्नान और दीपदान का विशेष महत्व होता है। इस माह में स्नान और दान करने से शुभ फलों में कई गुने की बढ़ोतरी हो जाती है। वहीं ज्योतिषीय द्दष्टि से इस माह में सभी को प्रकाश देने वाले सूर्यदेव अपनी नीच राशि तुला में रहते हैं जिसके कारण वातावरण में प्रकाश का क्षय होता है और नकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है, जिस कारण से इस माह में दीपक जलाने से नकारात्मक ऊर्जा में कमी आती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। पुराणों के अनुसार इस माह में भगवान विष्णु नारायण रूप में जल में निवास करते हैं। इसलिए कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक नियमित सूर्याेदय से पहले नदी या तालाब में स्नान से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।शास्त्रों के अनुसार जो मनुष्य कार्तिक मास में प्रतिदिन गीता का पाठ करता है उसे अनंत पुण्यों की प्राप्ति होती है।
कार्तिक मास के नियम जानिए
कार्तिक के महीने में तुलसी पूजन, रोपण और सेवन करने का विशेष महत्व बताया गया है। कार्तिक मास में तुलसी पूजा का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। कहा जाता है कि इस माह में तुलसी की पूजा करने से विवाह संबंधी परेशानियां दूर होती हैं।
शास्त्रों में कार्तिक मास में सबसे प्रमुख काम दीपदान करना बताया गया है। इस महीने में नदी, पोखर, तालाब और घर के एक कोने में दीपक जलाया जाता है।इस महीने दीपदान और दान करने से अक्षय शुभ फल की प्राप्ति होती है।
कार्तिक मास भूमि पर सोना भी एक प्रमुख नियम माना गया है। भूमि पर सोने से मन में सात्विकता का भाव आता है तथा अन्य विकार भी समाप्त हो जाते हैं।
कार्तिक महीने में शरीर पर तेल लगाने की भी मनाही होती है। कार्तिक महीने में केवल एक बार नरक चतुर्दशी के दिन ही शरीर पर तेल लगाना चाहिए।
कार्तिक महीने में द्विदलन यानी उड़द, मूंग, मसूर, चना, मटर, राई खाने पर भी मनाही होती है। इसके अलावा इस महीने में दोपहर में सोने को भी मना किया जाता है।
जानिए कार्तिक मास का धन से क्या संबंध है,
कार्तिक महीना श्री हरि यानी भगवान विष्णु का अत्यंत प्रिय महीना है इसीलिए माता लक्ष्मी को भी ये अत्यंत प्रिय है। इसी महीने में भगवान विष्णु योग निद्रा से भी जग जाते हैं जिससे सृष्टि में आनंद और कृपा की वर्षा होती है। साथ ही शुभ और मंगल कार्य शुरू हो जाते हैं। कार्तिक के महीने में मां लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करती हैं और भक्तों को अपार धन देती हैं। मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए ही इस महीने धन त्रयोदशी यानि धनतेरस, दीपावली और गोपाष्टमी मनाई जाती है। कार्तिक महीने में विशेष पूजा करके और विशेष प्रयोग करके आप आने वाले समय के लिए अपार धन पा सकते हैं और पूजा उपासना करके कर्ज से और घाटे से मुक्त हो सकते हैं।
जानिए कार्तिक महीने का तुलसी माता से क्या संबंध है?
तुलसी का पौधा एक विशेष पौधा है और इसमें औषधि के साथ साथ दवाई के गुण के साथ ही साथ दैवीय गुण भी होते हैं। पुराणों में तुलसी माता को भगवान विष्णु की पत्नी कहा गया है। भगवान विष्णु ने छल से इनका वरण किया था इसीलिए उनको पत्थर हो जाने का श्राप मिला और तभी से भगवान विष्णु, शालीग्राम जी के रूप में पूजे जाते हैं। इसीलिए, कार्तिक के महीने में तुलसी से भगवान विष्णु की पूजा करना मंगलकारी होता है।
कार्तिक महीने में नियमित रूप से तुलसी के नीचे घी का दीपक जलाना चाहिए। अगर आप कार्तिक महीने में तुलसी के पौधे के नीचे नियमित रूप से घी का दीपक जलाए तो अविवाहित बालिकाओं का शीघ्र विवाह होता है और अगर वैवाहिक जीवन में कोई दिक्कत आ रही है तो वो परेशानियां दूर हो जाती है। हरि ओम,
अगर आप भगवान विष्णु जी एवं भगवान श्री कृष्ण जी की अराधना करते हैं और अगर आप विष्णु जी एवं भगवान कृष्ण जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय विष्णु देवा, जय श्री कृष्ण अथवा हरिओम तत सत लिखना न भूलिए।
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(साई फीचर्स)