कार्तिक माह में क्या करें, क्या न करें, क्या खाएं, क्या न खाएं जानिए विस्तार से . . .

कार्तिक माह में खान, पान, रहन सहन के विशेष नियमों को जानिए और सुखी व निरोगी रहिए . . .
आप देख, सुन और पढ़ रहे हैं समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया की साई न्यूज के धर्म प्रभाग में विभिन्न जानकारियों के संबंद्ध में . . .
कार्तिक मास धार्मिक दृष्टि से बहुत खास माना जाता है और इस महीने में भगवान विष्णु की पूजा का सबसे ज्यादा महत्व होता है। कार्तिक मास में खानपान को लेकर शास्घ्त्रों में कुछ विशेष नियम बताए गए हैं। कार्तिक मास में जप, तप, व्रत और मौन आदि का विशेष महत्व होता है। इस महीने में भूमि पर शयन, ब्रम्हचर्य का पालन, दीपदान, तुलसी पूजन करने से मनुष्य को इसी जन्म में मोक्ष की प्राप्ति होती है। आज हम आपको बता रहे हैं कार्तिक मास में खान पान, रहन सहन के नियम विस्तार से,
अगर आप भगवान विष्णु जी एवं भगवान श्री कृष्ण जी की अराधना करते हैं और अगर आप विष्णु जी एवं भगवान कृष्ण जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय विष्णु देवा, जय श्री कृष्ण अथवा हरिओम तत सत लिखना न भूलिए।
जानिए कार्तिक माह में क्या खाना चाहिए क्या नहीं,
कार्तिक मास में गाजर, बैंगन, लौकी और बासा अन्न अर्थात सुबह बना हुआ शाम को और शाम को बना हुआ अगले दिन सुबह नहीं खाना चाहिए, जिन फलों में बहुत सारे बीज हों उनका भी त्याग करना चाहिए।
कार्तिक में बैंगन और करेला खाना वर्जित बताया गया है। कार्तिक में गुड़ का दान करने से मधुर भोजन की प्राप्ति होती है।
कार्तिक मास में उड़द, मूंग, मसूर, चना, मटर, राई खाने के लिए मना किया जाता है और इस महीने में दोपहर में सोने से भी मना किया जाता है।
कार्तिक मास में रोजाना गुड़ का सेवन करना चाहिए। गुड़ भोजन को पचाने में मदद करने के साथ ही रक्तचाप पर भी नियंत्रण करता है और गुड़ के सेवन से सर्दी जुकाम और खांसी की समस्या भी दूर रहती है।
कार्तिक मास के पवित्र महीने में भूलकर भी मांसाहार का सेवन नहीं करना चाहिए। इस तरह की मान्यता है कि ऐसा करने वाले को नरक में स्थान मिलता है।
इस आलेख को वीडियो को साई न्यूज चेनल में देखने के लिए क्लिक कीजिए . . .


कार्तिक मास से ठंडी के महीने की शुरुआत मानी जाती है। इसलिए हमें इस महीने से ठंडी वस्तुओं और ठंडी तासीर वाली वस्तुओं का सेवन एकदम बंद कर देना चाहिए।
इस महीने में शरीर में तेल लगाने को भी मना किया जाता है। कार्तिक के महीने में सिर्फ नरक नतुर्दशी के दिन शरीर पर तेल लगाने की बात का शास्त्रों में उल्लेख मिलता है।
कार्तिक मास में रोजाना तुलसी के पेड़ पर दीपक जलाना चाहिए और रात्रि में रोजाना भगवान विष्णु जी और माता लक्ष्मी जी का ध्यान जरूर करना चाहिए, ऐसा करने से आपके घर में धन समृद्धि बढ़ती है और माता लक्ष्मी प्रसन्न होकर आपके घर में आती हैं।
कार्तिक मास में तुलसी की सेवा करने का विशेष महत्व होता है। इस महीने में तुलसी के बीज जमीन में बिखेर दें, और तुलसी विवाह करने से आपके दांपत्य जीवन में खुशहाली बढ़ती है।
कार्तिक मास में जो सूर्याेदय के बाद स्नान करता है वह अपने पुण्य का क्षय करता है और जो सूर्याेदय के पहले स्नान करता है वह अपने रोग और पापों को नष्ट करने वाला हो जाता है। पूरे कार्तिक मास के स्नान से पापशमन होता है तथा प्रभु प्रीति और सुख की प्राप्ति होती है। दुःख दूर होते हैं और जीवन में अनुकूलता बढ़ती है।
कार्तिक मास में अगर कोई प्रातः स्नान न कर पाए तो उसे कार्तिक मास के अंतिम 3 दिन त्रयोदशी, चतुर्दशी और पूर्णिमा को ओम कार का जप करते हुए सुबह सूर्याेदय से पहले स्नान कर लेने से महीने भर के कार्तिक मास के स्नान के पुण्यों की प्राप्ति होती है।
अब जानिए कार्तिक मास में तुलसी माता की पूजा के पांच विशेष नियम
कार्तिक माह में नियमित सूर्यास्त के बाद आपको तुलसी जी में एक घी का दीपक जरूर अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से आपके घर में क्लेश शांत होता है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है।
कार्तिक माह में तुलसी जी को नए वस्त्र और सुहाग का सामान भी अर्पित करना चाहिए। तुलसी जी को हमेशा हरी चूड़ियां और हरी चुनरी ही अर्पित करनी चाहिए क्योंकि तुलसी जी बुध ग्रह का प्रतिनिधित्व करती हैं।
तुलसी जी में सिंदूर या कुमकुम चढ़ाने की जगह आपको हल्दी अर्पित करनी चाहिए, क्योंकि पीला रंग श्री हरी विष्णु को अतिप्रिय माना गया है।
तुलसी माता की परिक्रमा का भी कार्तिक मास में अलग ही महत्व है। वैसे तो आपको नियमित ही तुलसी जी की परिक्रमा करनी चाहिए, मगर यदि आप रोज नहीं कर पाते हैं तो कार्तिक मास में नियमित तुलसी के पौधे की तीन बार परिक्रमा जरूर करें।
तुलसी जी को नियमित काले तिल डालकर जल अर्पित करें। पहले आपको सूर्य को जल अर्पित करना है और उसके बाद तुलसी जी को जल अर्पित करें।
इस माह में भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी, यमदेव और पीपल देव के समक्ष दीप जलाने से सभी तरह के संकटों से मुक्ति मिलती है। साथ ही घर में सुख शांति बनी रहती है। इसके अलावा जो लोग नदी में दीप प्रवाहित करते हैं तो उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इसके साथ ही सूर्याेदय के पहले स्नान करें नदी और तालाब के पास रहते हैं तो वहां जाकर करें अगर वहां नहीं जा सकते हैं तो घर में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इस में स्नान करना दूध के सामान स्नान करने के बराबर है।
कार्तिक महीने में लक्ष्मी स्त्रोत, कनकधारा स्रोत अथवा विष्णु स्त्रोत का पाठ करना विशेष फलदायी माना गया है। ऐसा करने से देह त्याग के बाद उत्तम लोक में स्थान मिलता है और जब तक धरती पर रहते हैं समृद्धि और सुख प्राप्त होता है। कार्तिक नियमों का पालन करने वालें पुनर्जन्म लेते हैं तो उन्हें उत्तम कुल परिवार में स्थान मिलता है और सुख में जीवन जीते हैं।
कार्तिक मास में सुबह शाम तुलसी जी की जड़ में जल में दूध मिलाकर देना चाहिए और उसके आसपास सफाई करनी चाहिए। सुबह शाम घी का दीपक जलाएं। भगवान विष्णु जी को जो भी भोग लगाएं उसमें तुलसी जी का पत्ता जरूर रखें। इसके बिना भगवान विष्णु जी भोग स्वीकार नहीं करते हैं। साथ ही कार्तिक मास में देवप्रबोधनी एकादशी पर तुलसी विवाह करना भी बहुत उत्तम फलकारी रहता है।
कार्तिक मास में नियमित रूप से भगवान विष्णु जी को तिल अर्पित करने चाहिए। वैसे तो साल भर तिल अर्पित करते हैं अच्छा है लेकिन, अगर ऐसा नहीं कर पाता है तो कार्तिक मास और माघ मास में ऐसे करना उत्तम रहता है। ऐसा करने से जाने अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है और सद्गति प्राप्त होती है।
कार्तिक मास में नियमित रूप से जब भी तुलसी जी में जल देते हैं या उनकी पूजा करते हैं तो तुलसी की मिट्टी लेकर उसका तिलक करने से मनुष्य के सभी पाप शय हो जाते हैं और विवेक और बुद्धि का विकास होता है।
कार्तिक मास में अन्न और वस्त्र का दान करना अति उत्तम माना जाता है। अगर आप कुछ नहीं कर पाते हैं तो अन्न और वस्त्र का दान जरूर करें ऐसा करने से वह अगले जन्म में गरीब पैदा नहीं होता है और उसे परलोक में भी अन्न और जल की कमी भी नहीं रहती है।
अगर आप भगवान विष्णु जी एवं भगवान श्री कृष्ण जी की अराधना करते हैं और अगर आप विष्णु जी एवं भगवान कृष्ण जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय विष्णु देवा, जय श्री कृष्ण अथवा हरिओम तत सत लिखना न भूलिए।
यहां बताए गए उपाय, लाभ, सलाह और कथन आदि सिर्फ मान्यता और जानकारियों पर आधारित हैं। यहां यह बताना जरूरी है कि किसी भी मान्यता या जानकारी की समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के द्वारा पुष्टि नहीं की जाती है। यहां दी गई जानकारी में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, मान्यताओं, धर्मग्रंथों, दंतकथाओं, किंवदंतियों आदि से संग्रहित की गई हैं। आपसे अनुरोध है कि इस वीडियो या आलेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया पूरी तरह से अंधविश्वास के खिलाफ है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।
अगर आपको समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया में खबरें आदि पसंद आ रही हो तो आप इसे लाईक, शेयर व सब्सक्राईब अवश्य करें। हम नई जानकारी लेकर फिर हाजिर होंगे तब तक के लिए इजाजत दीजिए, जय हिंद, . . .
(साई फीचर्स)