श्री न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज कथा एवं पूर्ण पूजन की विधि जानिए . . .
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यम द्वितीया पर कायस्थ समुदाय के लिए न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज का पूजन बहुत आवश्यक माना जाता है। न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज के वंशज कहलाते हैं कायस्थ समुदाय के लोग, एवं कायस्थ समाज के लोगों के लिए न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज सबसे बड़े अराध्य माने गए है। आज हम आपको न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज के पूजन अर्चन के बारे में बताने जा रहे हैं,
अगर आप भगवान श्री चित्रगुप्त महाराज जी की अराधना करते हैं और अगर आप भगवान श्री चित्रगुप्त महाराज जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय चित्रगुप्त देवा, जय श्री चित्रगुप्त महाराज लिखना न भूलिए।
सर्वप्रथम भगवान श्री न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज जी महाराज के पूजन से पहले पूजा स्थल पर कलश स्थापना (वरुण पूजन कर) वरुण देवता का आवाहन करे। पूजा स्थान को साफ़ कर एक चौकी पर कपड़ा बिछा कर श्री न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज जी का चित्र स्थापित करें यदि चित्र उपलब्ध न हो तो कलम दावत एवं कलश को न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज जी का प्रतीक मान कर श्री न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज जी का समरण कर स्थापित करें। फिर गणेश अम्बिका का पूजन कर उनका आवाहन करे। तत्पश्चात ईशान कोण में वेदी बनाकर नवग्रह की स्थापना कर आवाहन करे। इसके पश्चात् दवात, कलम, पत्र पूजन एवं तलवार की स्थापना कर नीचे दी गयी विधि से पूजन करें पूजन एवं हवन के लिए आवश्यक सामग्री धूप, दीप, चन्दन, लाल फूल, हल्दी, रोली, अक्षत, दही, दूब, गंगाजल, घी, कपूर, कलम (बिना चिरी हुई), दवात, कागज, पान, सुपारी, गुड़, पांच फल, पांच मिठाई, पांच मेवा, लाई, चूड़ा, धान का लावा, हवन सामग्री एवं हवन के लिए लकड़ी आदि रख ले।
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https://www.youtube.com/watch?v=T-Lt2oiC-l4
सामग्री पर पवित्र जल छिड़कते हुए प्रभु न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज का स्मरण करे। इसके लिए मंत्र जाप करें,
नमस्तेस्तु चित्रगुप्ते, यमपुरी सुरपूजिते।
लेखनी मसिपात्र, हस्ते, न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज नमोस्तुते।
अब स्वस्तिवाचन कीजिए
ओम गणना त्वां गणपति हवामहे, प्रियाणां त्वां प्रियेपत्र हवामहे निधीनां त्वां निधिपते हवामहे वसो मम आहमजानि गर्भधामा त्वमजासि गर्भधम।
ओम गणपत्यादि पंचदेवा नवग्रहाः इन्द्रादि दिग्पाला दुर्गादि महादेव्यः इहा गच्छत स्वकीयाम् पूजां ग्रहीत भगवतः न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज देवस्य पूजमं विघ्नरहित कुरूत।
अब ध्यान कीजिए,
तच्छरी रान्महाबाहुः श्याम कमल लोचनः कम्वु ग्रीवोगूढ शिरः पूर्ण चन्द्र निभाननः।
काल दण्डोस्तवोवसो हस्ते लेखनी पत्र संयुतः। निःमत्य दर्शनेतस्थौ ब्रम्हाणोत्वयक्त जन्मनः।
लेखनी खडगहस्ते च मसि भाजन पुस्तकः। कायस्थ कुल उत्पन्न न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज नमो नमः।
मसी भाजन संयुक्तश्चरोसि त्वं महीतले। लेखनी कठिन हस्ते न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज नमोस्तुते।
न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज नमस्तुभ्यं लेखकाक्षर दायक। कायस्थ जाति मासाद्य न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज मनोस्तुते।
योषात्वया लेखनस्य जीविकायेन निर्मित। तेषा च पालको यस्भात्रतः शान्ति प्रयच्छ मे।
अब देवता का आवाहन कीजिए,
हे!न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज जी मैं आपका आवाहन करता हूँ।
ओम आगच्छ भगवन्देव स्थाने चात्र स्थिरौ भव। यावत्पूजं करिष्यामि तावत्वं सान्निधौ भव।
ओम भगवन्तं श्री न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज आवाहयामि स्थापयामि।
भगवान के आसन हेतु,
ओम इदमासनं समर्पयामि।
भगवते न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज देवाय नमः।
पाद्य हेतु,
ओम पादयोः पाद्यं समर्पयामि।
भगवते न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज देवाय नमः।
आचमन हेतु,
ओम मुखे आचमनीयं समर्पयामि।
भगवते चित्रगुप्ताय नमः।
अब स्नान हेतु,
ओम स्नानार्तः जलं समर्पयामि।
भगवते श्री चित्रगुप्ताय नमः।
वस्त्र
ओम पवित्रों वस्त्रं समर्पयामि।
भगवते श्री न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज देवाय नमः।
पुष्प चढ़ाएं,
ओम पुष्पमालां च समर्पयामि।
भगवते श्री न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराजदेवाय नमः।
धूप दिखाएं,
ओम धूपं माधापयामी।
भगवते श्री न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराजदेवाय नमः।
दीप दिखाएं,
ओम दीपं दर्शयामि।
भगवते श्री न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज देवाय नमः प्प्
नैवेद्य अर्पित करें,
ओम नैवेद्यं समर्पयामि।
भगवते श्री न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज देवाय नमः।
ताम्बूल दक्षिणा हेतु,
ओम ताम्बूलं समर्पयामि
ओम दक्षिणा समर्पयामि
भगवते श्री न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज देवाय नमः।
दवात लेखनी मंत्र बोलिए,
लेखनी निर्मितां पूर्व ब्रह्यणा परमेष्ठिना।
लोकानां च हितार्थाय तस्माताम पूजयाम्ह्यम।
पुस्तके चर्चिता देवी, सर्व विद्यान्न्दा भवः।
मदगृहे धन धान्यादि समृद्धि कुरु सदा।
लेखयै ते नमस्तेस्तु, लाभकत्रर्ये नमो नमः।
सर्व विद्या प्रकाशिन्ये, शुभदायै नमो नमः।
अब परिवार के यजमान एक सफ़ेद कागज पर चावल का आंटा, हल्दी, घी, पानी व रोली से स्वस्तिक बनाये। उसके नीचे पांच देवी देवतावों के नाम लिखें, जैसे श्री गणेश जी सहाय नमः, श्री न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज जी सहाय नमः, श्री सर्वदेवता सहाय नमः, श्री लक्ष्मी माताय सहाय नमः आदि।
इसके नीचे एक तरफ अपना नाम पता व दिनांक लिखें और दूसरी तरफ अपनी आय व्यय का विवरण दें, इसके साथ ही अगले साल के लिए आवश्यक धन हेतु निवेदन करे। फिर अपने हस्ताक्षर करे।
इस कागज और अपनी कलम को हल्दी रोली अक्षत और मिठाई अर्पित कर पूजन करे।
अब श्री न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज जी का ध्यान करते हुए निम्न लिखित मंत्र का कम से कम 11 बार उच्चारण करें,
मसीभाजन संयुक्तश्चरसि त्वम! महीतले।
लेखनी कटिनीहस्त न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज नमोस्तुते।
न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज! मस्तुभ्यं लेखकाक्षर दायक।
कायस्थ जाति मासाद्य न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज! नामोअस्तुते। हरि ओम
अगर आप भगवान श्री चित्रगुप्त महाराज जी की अराधना करते हैं और अगर आप भगवान श्री चित्रगुप्त महाराज जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय चित्रगुप्त देवा, जय श्री चित्रगुप्त महाराज लिखना न भूलिए।
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(साई फीचर्स)