जानिए पुलत्स्य महर्षि ने क्या कहा न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज के बारे में गंगेय जी से

न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज की पूजन कथा के बारे में जानिए विस्तार से . . .
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महर्षि पुलस्त्य ने भीष्म पितामह से कहा कि अब आपको उस दुष्ट राजा का कर्म फल सुनाता हूँ हे भीष्म कार्तिक शुक्ल पक्ष की उत्तम तिथि द्वितीय को पवित्र होकर सभी कायस्थ न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज का पूजन करते थे। वे भक्ति भाव से परिपूर्ण होकर धूप दीपादि कर रहे थे देव योग से राजा सौदस भी घूमता हुआ वहां पंहुचा और पूजन देखकर पूछने लगा यह किसका पूजन कर रहे हो तब वे लोग बोले की राजन हम लोग न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज की शुभ पूजा कर रहे हैं।
अगर आप भगवान श्री चित्रगुप्त महाराज जी की अराधना करते हैं और अगर आप भगवान श्री चित्रगुप्त महाराज जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय चित्रगुप्त देवा, जय श्री चित्रगुप्त महाराज लिखना न भूलिए।
यह सुनकर राजा सौदस ने कहा की में भी न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज की पूजा करूँगा, यह कहकर सौदस ने विधि पूर्वक स्नानादि कर मन से न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज की पूजा की, इस भक्तियुक्त पूजा करने से उसी क्षण राजा सौदस पाप रहित होकर स्वर्ग चला गया। इस प्रकार न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज का प्रभावशाली इतिहास मैंने आपसे कहा। अब हे तृप श्रेष्ठ और क्या सुनने की आपकी इक्षा है। यह सुनकर भीष्म पितामह ने महर्षि पुलस्त्य मुनि से कहा हे विपेन्द्र किस विधि से वहां उस राजा सौदस ने न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज का पूजन किया जिसके प्रभाव से हे मुनि राजा सौदस स्वर्ग लोक को चला गया।
श्री पुलस्त्य मुनि जी बोले हे भीष्म न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज के पूजन कि संपूर्ण विधि में आप से कह रहा हूँ घृत से बने निवेध, ऋतुफल, चन्दन, पुष्प, रीप तथा अनेक प्रकार के निवेध, रेशमी और विचित्र वस्त्र से मेरी, शंख मृदंग, डिमडिम अनेक बाजे का भक्ति भाव से पतिपूर्ण होकर पूजन करें। हे विद्वान नवीन कलश लाकर जल से पतिपूर्ण करें उस पर शक्कर भरा कटोरा रखें और यतनपूर्वक पूजन कर ब्राम्हण को दान देवें।
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पूजन का मंत्र भी इस प्रकार पढ़े दवात कलम और हाथ में खल्ली लेकर पृथ्वी में घूमने वाले हे न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज आपको नमस्कार हे न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज आप कायस्थ जाती में उत्पन्न होकर लेखकों को अक्षर प्रदान करते हैं। जिसको आपने लिखने की जीविका दी है। आप उनका पालन करते हैं। इसलिये मुझे भी शांति दीजिए। हे राजेन्द्र कुरूवंश को बढाने वाले हे भीष्म इन मंत्रो के संकल्प पूर्वक न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज का पूजन करना चाहिये। इस प्रकार राजा सौदस ने भक्ति भाव से पूजन कर निज राज्य का शासन करता हुआ कुछ ही समय में मृत्यु को प्राप्त हुआ हे भारत यमदूत राजा सौदस को भयानक यमलोक में ले गये। न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज ने यमराज से पूछा की यह दुराचारी पाप कर्मरत सौदस राजा है। जिसने अपनी प्रजा से पापकर्म करवाया है। इस प्रकार धर्मराज से पूछे गये धर्माधर्म को जानने वाले महामुनि न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज जी हंसकर उस राजा के लिये धर्म विपाक युक्त शुभ वचन बोले हे धर्मराज यह राजा यद्यपि पाप कर्म करने वाला पृथ्वी में प्रसिद्ध है। और में आपकी प्रसन्नता से पृथ्वी में पूज्य हूँ हे स्वामिन आपने ही मुझे वह वर दिया है। आपका सदेव कल्याण हो आपको नमस्कार है। हे देव आप भली भाँती जानते है और मेरी भी मति है की यह राजा पापी है तब भी इस राजा ने भक्ति भाव से मेरी पूजा की है इससे में इससे प्रसन्न हूँ। हे इष्टदेव इस कारण यह राजा बैकुंठ लोक को जाए।
न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज का यह वचन सुनकर यमराज ने राजा सौदस का बैकुंठ जाने की आज्ञा दी और राजा सौदस बैकुंठ लोक को चले गए श्री पुल्सत्य मुनि जी ने कहा हे भीष्म जो कोई सामान्य पुरुष या कायस्थ न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज जी की पूजा करेगा वह भी पाप से छूटकर परमगति को प्राप्त करेगा। हे गंगेय आप भी सर्व विधि से न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज की पूजा करिये। जिसकी पूजा करने से हे राजेन्द्र आप भी दुर्लभ लोक को प्राप्त करेंगे। पुलस्त्य मुनि के वचन सुनकर भीष्म जी ने भक्ति मन से न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज जी की पूजा की। न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज की दिव्य कथा को जो श्रेष्ठ मनुष्य भक्ति मन से सुनेगे वे मनुष्य समस्त व्याधियों से छूटकर दीर्घायु होंगे और मरने पर जहाँ तपस्वी लोग जाते है, ऐसे विष्णु लोक को जायेंगे।
इस कथा का वाचन करने के बाद सभी उपस्थित बंधू श्री न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज जी की आरती स्तुति गाएं। इसके पश्चात् ख़ुशी पूर्वक श्री न्याय के देवता धर्मराज भगवान चित्रगुप्त महाराज जी महराज और श्री गणेश जी महाराज से अपने और अपने लोगों के लिए मंगल आशीर्वाद प्राप्त करते हुए शीष झुकाएं एवं प्रसाद का वितरण करें। हरि ओम,
अगर आप भगवान श्री चित्रगुप्त महाराज जी की अराधना करते हैं और अगर आप भगवान श्री चित्रगुप्त महाराज जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय चित्रगुप्त देवा, जय श्री चित्रगुप्त महाराज लिखना न भूलिए।
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(साई फीचर्स)