वाराणसी हत्याकांड में आया नया मोड़ जिसे सभी समझ रहे थे कातिल

वाराणसी हत्याकांड में आया नया मोड़ जिसे सभी समझ रहे थे कातिल, उसे भी किसी और ने मार डाला पांच कत्ल करने वाला फिर कौन!

(ब्यूरो कार्यालय)

वाराणसी (साई)। वाराणसी शहर में एक ही परिवार के पांच सदस्यों की गोली मार कर हत्या कर दी गई। अस्सी भदैनी इलाके में एक बहुमंजिला मकान के अलग-अलग तल से मंगलवार को एक महिला, उसके दो बेटों और एक बेटी का शव मिला। पांचों की कनपटी और सीने में गोली मारी गई है।

घटनास्थल से लगभग 14 किलोमीटर दूर मीरापुर रामपुर स्थित निर्माणाधीन मकान में महिला के पति का अर्धनग्न शव बेड पर मिला है। उसे भी गोली मारी गई थी। जब तक उसका शव नहीं मिला था तब तक उसे ही कातिल समझा जा रहा था। पहले चार लोगों की हत्या के बाद पति के फरार होने और उसके आत्महत्या करने की आशंका जताई जा रही थी। उसका भी शव मिलने के बाद कहानी ने नया मोड़ ले लिया है। दोनों ही घटनास्थल से मिले खोखा के आधार पर पुलिस दावा कर रही है कि पांचों लोगों की हत्या में .32 बोर की पिस्टल का इस्तेमाल किया गया है। पुलिस पुराने विवाद और घटनाओं को ध्यान में रखकर जांच कर रही है। मृत राजेंद्र पर अपने पिता, छोटे भाई और उसकी पत्नी के साथ ही एक चौकीदार की हत्या का आरोप था। घटनास्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली जा रही है।

भदैनी पावर हाउस के सामने की गली में राजेंद्र गुप्ता (56) का पांच मंजिला (भूतल और चार मंजिला) मकान है। मकान के अगले हिस्से में प्रथम, द्वितीय और तृतीय तल पर राजेंद्र का एक-एक फ्लैट है। जबकि, अन्य फ्लैट और उससे सटे टिनशेड में 40 किरायेदार रहते हैं। राजेंद्र के साथ घर में मां शारदा देवी के अलावा उसकी दूसरी पत्नी नीतू (45), बेटे नवेंद्र (24) व सुबेंद्र (15) और बेटी गौरांगी (17) रहते थे। सुबह 11 बजे घर की सफाई करने के लिए रीता देवी प्रथम तल स्थित फ्लैट पर पहुंची। दरवाजा खटखटाया, लेकिन अंदर से कोई आवाज नहीं आई। इस बीच रीता ने धक्का दिया तो दरवाजा खुल गया।

अंदर जाने पर रीता ने देखा कि नीतू फर्श पर खून से लथपथ निढाल पड़ी थी। वह भाग कर दूसरे तल पर स्थित फ्लैट में गई तो वहां एक कमरे में नवेंद्र फर्श पर खून से लथपथ पड़ा था और गौरांगी एक कोने में मृत पड़ी थी। वहीं, सुबेंद्र का शव बाथरूम में मिला। सूचना पाकर पुलिस पहुंची तो राजेंद्र घर पर नहीं था। राजेंद्र के मोबाइल नंबर को पुलिस ने सर्विलांस की मदद से ट्रैक करना शुरू किया तो उसकी लोकेशन मीरापुर रामपुर गांव में मिली। पुलिस वहां पहुंची तो निर्माणाधीन मकान के एक कमरे में मच्छरदानी लगे बिस्तर पर राजेंद्र निढाल पड़ा था। सूचना मिलने के बाद पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल, डीएम एस राजलिंगम, ज्वाइंट सीपी डॉ के एजिलरसन, एडिशनल सीपी डॉ एस चनप्पा और डीसीपी काशी जोन गौरव बंसवाल भी मौके पर पहुंचे।

डॉग स्क्वॉड और फोरेंसिक टीम की मदद से छानबीन की गई। घटनास्थल से खून, बाल सहित तमाम साक्ष्यों के नमूने जुटाए गए। फिंगर प्रिंट सहित अन्य साक्ष्यों की बारीकी से जांच की गई। मां और उसके तीन बच्चों को मारी गई एक से ज्यादा गोली वारदात को अंजाम देने वाले बदमाश यह ठान कर आए थे कि पूरे परिवार का सफाया करके ही जाना है, इसलिए नीतू और उनके तीन बच्चों के सिर पर एक से ज्यादा गोली मारी गई थी। राजेंद्र की दाईं कनपटी और सीने पर गोली मारी गई थी। सुबेंद्र के सिर पर बैट से भी वार किए जाने की बात सामने आई। हालांकि किसे कितनी गोली कहां मारी गई, यह पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही स्पष्ट हो सकेगा। पुलिस के अनुसार, राजेंद्र पर उसके पिता व एक चौकीदार के साथ ही छोटे भाई व छोटे भाई की पत्नी की हत्या का आरोप था। ये घटनाएं वर्ष 1997 की हैं। इसी आरोप में राजेंद्र जेल भी गया था। पुलिस के मुताबिक, राजेंद्र ने दो शादी की थी।

हाल के दिनों में एक अन्य महिला से भी उसकी करीबी बढ़ी थी। राजेंद्र की पहली पत्नी अपने बेटे के साथ कई साल से पश्चिम बंगाल के आसनसोल रहती है। इन्हीं सभी बिंदुओं को वारदात की वजह मान कर सीसी कैमरों की फुटेज, सर्विलांस और मुखबिरों की मदद से पुलिस की 10 टीमें जांच कर रही हैं। बाबा और पिता के बूते ही राजेंद्र का भदैनी में आलीशान मकान और जमीन है। शिवाला में उसकी जमीन पर ही देसी शराब का ठेका है। किरायेदार भी रहते हैं। मीरापुर रामपुर गांव में वह मकान बनवा रहा था। इसके अलावा छित्तूपुर सहित कुछ जगहों जमीन खरीदी थी। राजेंद्र के करीबियों ने बताया कि भदैनी व शिवाला के किरायेदारों और शराब ठेका संचालक से प्रति माह राजेंद्र को 10 लाख रुपये से ज्यादा किराया मिलता था एसओजी के साथ भेलूपुर और रोहनिया थाने की पुलिस घटना के खुलासे के लिए लगाई गई हैं।

राजेंद्र के पड़ोसियों ने बताया कि संपत्ति के लालच में राजेंद्र ने 28 साल पहले वर्ष 1996 में अपने छोटे भाई कृष्णा और उसकी पत्नी मंजू की हत्या भाड़े के शूटरों से कराई थी। वर्ष 1997 में राजेंद्र पर उसके पिता लक्ष्मी नारायण गुप्ता और उनके एक चौकीदार की हत्या के आरोप में मुकदमा दर्ज हुआ था। हालांकि, राजेंद्र की मां शारदा देवी ही मामले में वादी थी। इस कारण मां को अपने पक्ष में करके वह जेल से बाहर आ गया था। वहीं, कृष्णा और मंजू की हत्या का मामला रफा-दफा हो गया।

जेल से बाहर आने के बाद वर्ष 1999 में उसने भदैनी में अपने किरायेदार एक ब्राह्मण परिवार की नीतू से प्रेम विवाह किया था। नीतू से प्रेम विवाह के बाद ही परिजन ने उससे नाता तोड़ लिया था। राजेंद्र गुप्ता के बाबा पन्ना साव अपने दौर के संपन्न लोगों में शुमार थे। भदैनी इलाके के लोगों ने बताया कि पन्ना साव किराये पर 150 रिक्शा चलवा कर बड़े पैमाने पर चल-अचल संपत्ति के मालिक बन गए।

पूरी उम्मीद है कि जल्द ही किसी ठोस नतीजे पर पहुंचेंगे। जो भी तथ्स सामने आएंगे, उसे आधार बनाकर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

-मोहित अग्रवाल, पुलिस आयुक्त.