कब है इस साल मार्गशीर्ष माह की अमवस्या की तिथि और महूर्त, जानिए विस्तार से
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वैसे तो सनातन धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या का अपना महत्व होता है पर, मार्गशीर्ष अमावस्या का बहुत महत्व है। इस साल यह कब पड़ने वाली है इसे लेकर संशय बरकरार ही दिख रहा है। अमावस्या के दिन दिन पितरों की पूजा और भगवान शिव की उपासना का महत्व बताया है। किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृदोष है, तो इस दिन पितरों का तर्पणा करने से शुभ परिणाम मिलते हैं।
अगर आप भगवान विष्णु जी एवं भगवान श्री कृष्ण जी की अराधना करते हैं और अगर आप विष्णु जी एवं भगवान कृष्ण जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय विष्णु देवा, जय श्री कृष्ण, हरिओम तत सत, ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः लिखना न भूलिए।
धार्मिक मान्यता की मानें तो मार्गशीर्ष अमावस्या पर पितृगण अपने परिवार को सुख, समृद्धि और खुशहाली का आशीर्वाद देते हैं। इस दिन श्रद्धा के साथ भगवान शिव की उपासना करने से भक्तों को सुख समृद्धि प्राप्त होती है।
जानिए इस साल कब है मार्गशीर्ष अमावस्या,
इस बार मार्गशीर्ष अमावस्या रविवार, 1 दिसंबर को पड़ रही है। इससे पहले कृष्ण अमावस्या की शुरुआत 30 नवंबर की सुबह 10 बजकर 29 बजे से हो जाएगी, जिसका समापन 1 दिसंबर को सुबह 11 बजकर 50 मिनिट पर होगा।
मार्गशीर्ष अमावस्या का शुभ मुहूर्त जानिए,
मार्गशीर्ष अमावस्या पर बम्ह मुहूर्त सुबह 5 बजकर 8 मिनिट से 6 बजकर 2 मिनिट तक, प्रातः सन्ध्या सुबह 5 बजकर 35 मिनिट से लेकर सुबह 6 बजकर 57 मिनिट तक, अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 49 मिनिट से लेकर दोपहर 12 बजकर 31 बजे तक, विजय मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 55 मिनिट से लेकर दोपहर 2 बजकर 37 मिनिट तक, गोधूलि मुहूर्त शाम 5 बजकर 21 मिनिट से लेकर 5 बजकर 48 मिनिट तक, सन्ध्या शाम 5 बजकर 24 मिनिट से लेकर शाम 6 बजकर 45 मिनिट तक, मृत काल सुबह 6 बजकर 27 मिनिट से लेकर अगले दिन 2 दिसंबर की सुबह 8 बजकर 9 मिनिट तक, एवं निशिता मुहूर्त रात 11 बजकर 43 मिनिट से लेकर 2 दिसंबर की सुबह 12 बजकर 38 मिनिट तक रहेगा।
अब जानिए अमावस्या तिथि के महत्व के बारे में,
अमावस्या के दिन सूर्य और चंद्रमा एक साथ रहते हैं। जिससे इस दिन दोनों ग्रहों का शक्तियां संयुक्त रहती हैं। अमावस्या के दिन पितरों की उपासना की जाती है, क्योंकि इस तिथि के स्वामी पितर माने जाते हैं। इसलिए इस दिन पितरों के निमित्त तर्पण और श्राद्ध करने से पितर प्रसन्न होत हैं और सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। अमावस्या का दिन और रात भारतीय संस्कृति में बहुत महत्वपूर्ण है, खासकर हिंदुओं के बीच। अमावस्या तिथि कई त्योहारों और व्रतों से जुड़ी हुई है।
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भारत का सबसे लोकप्रिय और सबसे चमकीला त्यौहार दिवाली भारतीय कैलेंडर के कार्तिक महीने की अमावस्या को पड़ता है। अमावस्या तिथि ब्राम्हण को विधिपूर्वक भोजन कराएं और दान दक्षिणा दें। वहीं इस दिन पीपल के पेड़ की भी पूजा करनी चाहिए और शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं क्योंकि मान्यता है पीपल के पेड़ में पितरों का वास होता है। वहीं इस दिन ज्यादा से ज्यादा सात्विक और पवित्र रहने का प्रयत्न करना चाहिए। साथ ही मदिरा और तामसिक भोजन से दूर रहना चाहिए।
मार्गशीर्ष, जिसे अग्रहायण के नाम से भी जाना जाता है, एक हिंदू महीना है जिसका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है। यह महीना ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार नवंबर और दिसंबर के बीच आता है। यह धार्मिक महीना भगवान कृष्ण को समर्पित है और इसका नाम मृगशीर्ष नक्षत्र के नाम पर रखा गया है।
मार्गशीर्ष अमावस्या गहन भक्ति और आराधना का दिन है। इस दिन, भक्त भगवान कृष्ण की पूजा करने के अलावा अपने पूर्वजों का सम्मान करते हैं। माना जाता है कि मृत पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करने से सभी दोष दूर होते हैं और आप और आपके परिवार के लिए एक आनंदमय जीवन सुनिश्चित होता है। इस शुभ अमावस्या की रात को की जाने वाली हर धार्मिक गतिविधि महत्वपूर्ण होती है और भक्तों को कई आशीर्वाद प्रदान करती है।
इस महीने में गंगा स्नान करना उतना ही पवित्र माना जाता है जितना कि कार्तिक, माघ और वैशाख जैसे अन्य महीनों में माना गया है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। मार्गशीर्ष पूर्।िामा के दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करनी चाहिए क्योंकि वे सभी समस्याओं और पापों को दूर करते हैं। सत्यनारायण कथा का पाठ करने से सुखद परिणाम मिलते हैं।
पूजा अनुष्ठान कैसे किया जाए जानिए,
मार्गशीर्ष अमावस्या पर अमावस्या पूजा करने और इस दिन व्रत रखने से आपके पूर्वजों को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। हिंदू ग्रंथों और शास्त्रों के अनुसार, अमावस्या व्रत न केवल आपके मृत पूर्वजों को प्रसन्न करता है, बल्कि आपको भगवान रुद्र, इंद्र, ब्रह्मा, सूर्य और अग्नि आदि से आशीर्वाद प्राप्त करने में भी मदद करता है।
मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व यह है कि किसी भी पवित्र नदी में डुबकी लगाने से आपको अपने सभी पापों से मुक्ति पाने में मदद मिलेगी। इस दिन मनाया जाने वाला एक और महत्वपूर्ण अनुष्ठान दान है, जो पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता और उच्चतम स्तर के पुण्य प्राप्त करने का प्रतीक है।
मार्गशीर्ष मास की शुरुआत भगवान कृष्ण जी की भक्ति से होती है। इस महीने की शुरुआत मृगशिरा नक्षत्र से होती है। जानकारों के अनुसार इस महीने की पूर्णिमा तिथि मृगशिरा नक्षत्र से शुरू होती है। इसलिए इस महीने को मार्गशीर्ष मास के नाम से जाना जाता है। मगसर, अगहन और अग्रहायण सभी इस महीने के नाम हैं। इस महीने में दान, स्नान और अन्य गतिविधियों का विशेष महत्व है। भगवान कृष्ण ने गोपियों को इस महीने का महत्व समझाते हुए कहा था कि इस महीने में यमुना नदी में स्नान करने से व्यक्ति उनके करीब आता है। इसलिए इस महीने में नदी में स्नान करना बेहद पवित्र माना जाता है।
आइए जानते हैं इस खास दिन पर शिवलिंग पर कौन सी चीजें चढ़ाने से क्या लाभ मिलता है,
मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन शिवलिंग पर शहद चढ़ाने से भगवान शिव खुश होते हैं। ऐसे में आपको मनचाहा फल प्राप्त होता है। शहद अर्पित करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। व्यक्ति को सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह उपाय विशेष रूप से पारिवारिक जीवन को सुखमय बनाने के लिए किया जाता है।
इसके अलावा हल्दी का महत्व हिंदू धर्म में बहुत है। आपने जीवन में विफल हैं, तो शिवलिंग पर हल्दी चढ़ाएं। आपके सारे बिगड़े काम बनने लगेंगे। यह आपको ग्रह दोषों से मुक्ति देगा। यह उपाय उन लोगों को करना चाहिए, जो ग्रह की विपरीत स्थिति की वजह से परेशान हैं।
मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए शिवलिंग पर दूध चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से चंद्रमा की स्थिति मजबूत हो जाती है, जिससे मानसिक परेशानियां व चिंताएं दूर हो जाती हैं। इस उपाय को करते वक्त ष्घ् नमः शिवायष् मंत्र का जाप अवश्य करें।
धन व समृद्धि की प्राप्ति के लिए शिवलिंग पर दही जरूर चढ़ाना चाहिए। इसको दांपत्य जीवन में सुख व संतान प्राप्ति के लिए भी कर सकते हैं। दही चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होत हैं, जिससे जीवन में खुशियां और सुख शांति आती है।
शिवलिंग पर गन्ने का रस चढ़ाने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं। वैवाहिक जीवन में आने वाली समस्याएं दूर होती हैं, जिससे सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती हैं। घर में खुशियां आती हैं।
अगर आप भगवान विष्णु जी एवं भगवान श्री कृष्ण जी की अराधना करते हैं और अगर आप विष्णु जी एवं भगवान कृष्ण जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय विष्णु देवा, जय श्री कृष्ण, हरिओम तत सत, ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः लिखना न भूलिए।
यहां बताए गए उपाय, लाभ, सलाह और कथन आदि सिर्फ मान्यता और जानकारियों पर आधारित हैं। यहां यह बताना जरूरी है कि किसी भी मान्यता या जानकारी की समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के द्वारा पुष्टि नहीं की जाती है। यहां दी गई जानकारी में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, मान्यताओं, धर्मग्रंथों, दंत कथाओं, किंव दंतियों आदि से संग्रहित की गई हैं। आपसे अनुरोध है कि इस वीडियो या आलेख को अंतिम सत्य अथवा दावा ना मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया पूरी तरह से अंधविश्वास के खिलाफ है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।
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