जानिए कब पड़ने वाली है अंग्रेजी साल 2024 की आखिरी व कौन सी एकादशी!

सफला एकादशी कब है, जानिए पूजन विधि, समय आदि सब कुछ विस्तार से . . .

इस साल की आखिरी एकादशी सफला एकादशी है, जो पौष माह के कृष्ण पक्ष की 11वीं तिथि को मनाई जाती है। ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करते हैं, उन्हें हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। साथ ही सभी कार्यों की बाधाएं दूर होती हैं और पापों से मुक्ति मिलती है।
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पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी व्रत किया जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी के पूजन का विधान है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है और मनोकामना पूर्ण होती है। सफला एकादशी दिसंबर महीने की दूसरी व साल की आखिरी एकादशी भी होगी।
जानिए कब है सफला एकादशी,
एकादशी तिथि 25 दिसंबर 2024 को रात 10 बजकर 29 मिनट पर प्रारंभ होगी और 27 दिसंबर 202 को सुबह 12 बजकर 43 मिनट पर समाप्त होगी। सफला एकादशी व्रत 26 दिसंबर 2024 को किया जाएगा।
सफला एकादशी व्रत पारण का समय जानिए,
सफला एकादशी व्रत का पारण 27 दिसंबर 2024 को किया जाएगा। एकादशी व्रत पारण का समय सुबह 7 बजकर 12 मिनट से सुबह 9 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय 28 दिसंबर 2024 को सुबह 2 बजकर 26 मिनट है।
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सफला एकादशी पूजन मुहूर्त जानिए,
शुभ अर्थात उत्तम है 7 बजकर 11 मिनिट सुबह से 8 बजकर 29 मिनिट तक,
लाभ अर्थात उन्नति है दोपहर 12 बजकर 21 मिनिट से 1 बजकर 39 मिनिट तक,
अमृत अर्थात सर्वाेत्तम है दोपहर 1 बजकर 39 मिनिट से 2 बजकर 56 मिनिट तक,
शुभ अर्थात उत्तम रहेगा दोपहर 4 बजकर 13 मिनिट से शाम 5 बजकर 31 मिनिट तक,
अमृत अर्थात सर्वाेत्तम रहेगा शाम 5 बजकर 31 मिनिट से 7 बजकर 13 मिनिट तक,
भगवान विष्णु को एकादशी अत्यंत प्रिय है, तो चलिए साल की अंतिम एकादशी को सफल बनाने के लिए उसमें क्या खाएं और क्या नहीं उसके बारे में जानते हैं।
जानिए एकादशी पर क्या खा सकते हैं?
सफला एकादशी उपवास के दिन व्रती को दूध, दही, फल, शरबत, साबुदाना, बादाम, नारियल, शकरकंद, आलू, मिर्च सेंधा नमक, राजगीर का आटा आदि चीजों का सेवन कर सकते हैं। हालांकि श्री हरि विष्णु की पूजा के बाद ही कुछ खाएं। साथ ही प्रसाद बनाते समय पवित्रता का खास ख्याल रखें। ताकि व्रत में किसी भी प्रकार का विघ्न न पड़े और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त हो।
सफला एकादशी पर जिन चीजों का सेवन नहीं करना है, उसके बारे में जानिए,
जो लोग सफला एकादशी पर व्रत कर रहे हैं, उन्हें अपने खानपान का पूरा ध्यान देना चाहिए, क्योंकि यह व्रत को सफल और असफल बनाने में अहम भूमिका निभाता है और इस दौरान की गई गलतियों से व्रत खंडित भी हो सकता है। आपको बता दें, व्रती को एकादशी के दिन अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा इस मौके पर तामसिक भोजन जैस- मांस-मदिरा प्याज, लहसुन आदि से भी दूरी बनाए रखनी चाहिए। इसके साथ ही इस व्रत पर चावल और नमक का सेवन भी करने से भी बचना चाहिए। ऐसे में अगर आप इस व्रत का पालन कर रहे हैं, तो इन चीजों का सेवन भूलकर भी न करें।
जानिए सफला एकादशी पर क्या करें दान,
सफला एकादशी के दिन गुड़ का दान करना शुभ माना जाता है। गुड़ का दान करने से व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। इस दिन गरीब लोगों को गर्म कपड़ों का दान करें। कहा जाता है कि ऐसा करने से साधक की मनचाही इच्छा पूरी होती है। एकादशी के अवसर पर अन्न का भी दान किया जाता है। सफला एकादशी के दिन अन्न का दान करने से जगत के पालनहार भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। इस दिन चावल और मक्का का भी दान किया जा सकता है। भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए सफला एकादशी पर पीले वस्त्र का दान करें। ऐसा करने से कुंडली में गुरु भी मजबूत होता है। सफला एकादशी व्रत के पारण के बाद ब्राम्हण को भोजन कराना बेहद लाभकारी होता है। साथ ही उन्हें श्रद्धा अनुसार दक्षिणा भी दें।
अब इस व्रत की पूजा विधि जानिए
हिन्दू पंचांग के अनुसार, एकादशी व्रत के लिए दशमी के दिन सिर्फ दिन के वक्त सात्विक आहार करना चाहिए। संध्याकाल में दातुन करके पवित्र होना चाहिए। रात्रि के समय भोजन नहीं करना चाहिए। भगवान के स्वरूप का स्मरण करते हुए सोना चाहिए। सफला एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहन लें। सबसे पहले श्री नारायण की पूजा के लिए ऋतु के अनुकूल फल, नारियल, नीबू, नैवेद्य आदि 16 वस्तुओं का संग्रह करें। इसके बाद भगवान विष्णु के समक्ष घी की दीपक जलाएं। उन्हें तुलसी दल भी अर्पित करने के बाद आरती करें। आप व्रत रख रहे हैं तो पूजा के दौरान इसका संकल्प ले लें।
भगवान विष्णु को चरणामृत का भोग लगाएं, इसमें तुलसी का एक पत्ता जरूर डालें। इस सामग्री से भगवान श्रीकृष्ण जी, विष्णु जी के साथ मां लक्ष्मी की भी पूजा जरूर करें। रात्रि के समय श्रीहरि के नाम से दीपदान करना चाहिए और आरती एवं भजन गाते हुए जागरण करें। आपको बता दें कि एकादशी के दिन चावल खाना माना होता है। इसलिए इस दिन अपने घर में न खुद चावल खाएं ना ही घर के किसी सदस्य को खाने दें। इस एकादशी के व्रत के समान यज्ञ, तीर्थ, दान, तप तथा और कोई दूसरा व्रत नहीं है। पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने से पहले पारण कर लें। हरि ओम,
अगर आप भगवान विष्णु जी एवं भगवान श्री कृष्ण जी की अराधना करते हैं और अगर आप विष्णु जी एवं भगवान कृष्ण जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय विष्णु देवा, जय श्री कृष्ण, हरिओम तत सत, ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः लिखना न भूलिए।
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