महाकुंभ 2025: विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक संगम
(प्रीति भोसले)
महाकुंभ नगर (साई)। महाकुंभ हिंदू धर्म का एक विशाल धार्मिक और सांस्कृतिक मेला है। यह विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक समागम है जिसमें करोड़ों श्रद्धालु और साधु-संत भाग लेते हैं।
क्यों मनाया जाता है महाकुंभ?
महाकुंभ का आयोजन भारतीय ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि देवताओं और असुरों के बीच अमृत कलश के लिए हुए युद्ध के दौरान कुछ बूंदें चार स्थानों पर गिरी थीं – प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक। इन स्थानों को इसलिए पवित्र माना जाता है।
कब होता है महाकुंभ?
महाकुंभ हर 12 साल में एक बार इन चारों तीर्थस्थलों में आयोजित होता है।
महाकुंभ 2025 के शाही स्नान
महाकुंभ 2025 में तीन मुख्य शाही स्नान होंगे:
14 जनवरी, 2025 (मकर संक्रांति): साल का पहला शाही स्नान मकर संक्रांति के दिन होगा।
29 जनवरी, 2025 (मौनी अमावस्या): दूसरा शाही स्नान मौनी अमावस्या को होगा।
2 फरवरी, 2025 (बसंत पंचमी): आखिरी और तीसरा शाही स्नान बसंत पंचमी के दिन होगा।
शाही स्नान का महत्व
शाही स्नान को “राजयोग स्नान” भी कहा जाता है। यह महाकुंभ का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। इस दिन विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत शाही अंदाज में पवित्र नदी में डुबकी लगाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
क्यों है शाही स्नान इतना खास?
धार्मिक महत्व: शाही स्नान को अत्यंत शुभ माना जाता है।
सांस्कृतिक महत्व: यह भारतीय संस्कृति की समृद्धि को दर्शाता है।
आध्यात्मिक अनुभव: लाखों श्रद्धालुओं के साथ एक साथ स्नान करना एक अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव होता है।
महाकुंभ न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का प्रतीक भी है। यह लाखों लोगों को एक साथ लाता है और सामाजिक एकता का प्रतीक है।
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