सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के प्रतिकूल आरईएस कार्यालय में बना दिया देवालय!
(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)। जिला मुख्यालय में एक सरकारी कार्यालय में बनाए गए देवालय को आम जनता को धूमधाम से समर्पित किया जाएगा। यह कार्यक्रम चैत्र शुक्ल प्रतिपदा अर्थात 30 मार्च को सिवनी के बींझावाड़ा ग्राम में संपन्न होगा। इसे नर्मदेश्वर प्राण प्रतिष्ठा का नाम दिया गया है।
जिलाधिकारी कार्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि बींझावाड़ा स्थित ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के कार्यपालन यंत्री कार्यालय परिसर में एक देवालय का निर्माण कराया गया है, जिसमें अनेक देवी देवताओं की प्रतिमाएं विराजित की गई हैं।
इधर, आरईएस के ईई कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि आरईएस के नुमाईंदों के द्वारा बनाए गए इस देवालय का नाम ग्रामोदय तीर्थ रखा गया है। इसे सिवनी जनपद पंचायत की बींझावाड़ा ग्राम पंचायत के बींझावाड़ा ग्राम में जनता को समर्पित किया जाएगा।
इस हेतु वितरित किए गए कथित आमंत्रण पत्र में इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रदेश सरकार के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल एवं अध्यक्षता सिवनी विधायक दिनेश राय के द्वारा की जाएगी। इसमें प्रमुख अतिथियों में बालाघाट सांसद श्रीमति भारती पारधी, मण्डला सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते एवं विशिष्ठ अतिथियों की फेहरिसत में बरघाट विधायक कमल मर्सकोले, केवलारी विधायक रजनीश सिंह, लखनादौन विधायक योगेंद्र सिंह, कटंगी विधायक गौरव सिंह पारधी, लॉजी विधायक राजकुमार करार्हे के नामों का उल्लेख है।
इसके अलावा जिला पंचायत अध्यक्ष मालती डेहरिया, उपाध्यक्ष राकेश सनोडिया, जनपद पंचायत सिवनी अध्यक्ष किरण भलावी, उपाध्यक्ष देवी सिंह चंद्रवंशी, जिला पंचायत सदस्य रीना बरकड़े, माया बघेल, बींझावाड़ा के सरपंच योगेश बरकड़े के नामों का भी समावेश है।
इस तरह के मामलों में क्या हैं अदालत के निर्देश!
यहां यह उल्लेखनीय होगा कि लगभग बीस साल पहले देश की शीर्ष अदालत के द्वारा स्पष्ट रूप से आदेश दिए थे कि सार्वजनिक स्थानों, विशेष रूप से कार्यालयों और सार्वजनिक सड़कों पर धार्मिक स्थलों का निर्माण नहीं किया जा सकता है। इसके तहत देश भर की राज्य सरकारों के सभी मुख्य सचिवों को निर्देशित किया गया था कि कलेक्टर्स के माध्यम से इस आदेश का पालन सुनिश्चित करें।
वरिष्ठ अधिवक्ता वीरेंद्र सोनकेशरिया से जब चर्चा की गई तो उन्होंने ‘समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया‘ को बताया कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में 2005 में लगाई गई रिट पिटीशन नंबर 2214 एवं 2024 में लगाई गई रिट पिटीशन नंबर 32891 में भी कमोबेश इसी तरह के निर्देश दिए गए हैं। इसके बावजूद भी अगर सरकारी परिसर में किसी तरह का निर्माण किया गया है तो वह अनुचित है।
आमंत्रण पत्र से संगठन का सफाया!
इधर, भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारी ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि संगठन से ही सत्ता है, और अगर अधिकारी इस कदर बेलगाम हो जाएंगे कि वे संगठन को ही दरकिनार करने लगें तो यह कहां तक सही माना जा सकता है।
उनका मानना था कि जिला मुख्यालय में अगर कोई कार्यक्रम हो रहा है और उसमें सिवनी से इतर सिर्फ बालाघाट जिले के दो विधायकों को ही आमंत्रित किया गया है तो कम से कम आमंत्रण पत्र में भारतीय जनता पार्टी की जिलाध्यक्ष के नाम को स्थान तो दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हो सकता है इस खबर के प्रसारण के बाद दबाव में नए आमंत्रण पत्र भी छपवाए जा सकते हैं।
उक्त पदाधिकारी ने यह भी कहा कि जिले में पदस्थ अधिकारी इतने निरंकुश हो चुके हैं कि वे सांसद, विधायक, मंत्री के अलावा किसी की परवाह तक नहीं करते हैं। जिस तरह एक सरकारी कार्यालय में मंदिर बनाकर उसे ग्रामोदय तीर्थ का नाम दिया जाकर विभागीय मंत्री से उसका लोकार्पण कराया जा रहा है वह उचित नहीं है, इसके साथ ही संगठन को दरकिनार करना भी उचित नहीं माना जा सकता है।
कार्यक्रम स्थल का नाम आमंत्रण पत्र से है गायब!
सबसे मजे की बात तो यह है कि ग्रामोदय सेवा परिवार की ओर से छपवाए गए इन आमंत्रण पत्रों में कार्यक्रम स्थल कौन सा है यह पूरी तरह गोपनीय ही रखा गया है। आमंत्रण पत्र में किस जगह यह तीर्थ बनाया गया है, जिसको आम जनता को समर्पित किया जाना है, किस स्थान को कार्यक्रम स्थल रखा गया है, जिस स्थान पर पंडाल आदि गाड़े जा रहे हैं उस भूमि का स्वामित्व किसके पास है! क्या इसके लिए भूमि स्वामी के द्वारा अपनी भूमि पर कार्यक्रम करने की अनुमति प्रदान की है आदि, जैसे प्रश्नों के उत्तर आज भी अनुत्तरित ही हैं। सूत्रों का कहना है कि इस बात की तह में अगर पहुंचा जाए तो बहुत सारे राज पर से पर्दा उठ सकता है!
विपक्ष है पूरी तरह मौन!
यह एक ऐसा मामला है जो विपक्ष के लिए बड़ा मुद्दा साबित हो सकता है किन्तु प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के मामलों में गाल बजाने वाले विपक्ष सदा की तरह ही स्थानीय मामलों में इस बार भी मौन ही नजर आ रहा है।

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