जानिए वैशाख महीने की विभिन्न कथाओं एवं व्रत त्यौहारों के बारे में विस्तार से . . .
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हिन्दू धर्म में बारह महीनों का अत्यधिक धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। हर माह के अपने विशिष्ट व्रत, त्योहार, अनुष्ठान और पुण्यकारी कार्य होते हैं, जिनसे मनुष्य आध्यात्मिक उन्नति के पथ पर अग्रसर हो सकता है। इन बारह महीनों में वैशाख माह का अत्यंत विशिष्ट स्थान है। यह माह पुण्य का खजाना माना गया है और इसे दान का माह, धर्म का माह और मोक्षदायक माह भी कहा जाता है। वैशाख महीना को महीनों में श्रेष्ठ कहा गया है। पुराणों और शास्त्रों में इसका अत्यधिक महत्त्व बताया गया है।
अगर आप जगत को रोशन करने वाले भगवान भास्कर, भगवान विष्णु जी देवाधिदेव महादेव ब्रम्हाण्ड के राजा भगवान शिव एवं भगवान श्री कृष्ण जी की अराधना करते हैं और अगर आप विष्णु जी एवं भगवान कृष्ण जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय सूर्य देवा, जय विष्णु देवा, ओम नमः शिवाय, जय श्री कृष्ण, हरिओम तत सत, ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः लिखना न भूलिए।
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भारतीय पंचांग के अनुसार वर्ष को बारह महीनों में विभाजित किया गया है, जिनमें प्रत्येक महीना का अपना विशेष धार्मिक, सांस्कृतिक और ज्योतिषीय महत्व है। इन बारह महीनों में वैशाख महीना को विशेष रूप से पुण्यकारी एवं मोक्षदायक माना गया है। यह महीना चौत्र के बाद आता है और इसका स्थान वर्ष के दूसरे माह के रूप में होता है। यह समय वसंत ऋतु के उत्तरार्ध में आता है जब प्रकृति नवजीवन से भरपूर होती है। धार्मिक दृष्टिकोण से वैशाख महीना को अत्यंत शुभ, सात्त्विक और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए उत्तम माना गया है। यह महीना श्रीहरि विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त करने वाला समय होता है।
वैशाख महीना न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक और आध्यात्मिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह महीना हमें तप, संयम, सेवा, दान और श्रद्धा का संदेश देता है। यह वह अवसर है जब हम अपने जीवन के आध्यात्मिक पहलुओं को जाग्रत कर सकते हैं। प्राचीन ग्रंथों से लेकर वर्तमान समय तक, इस महीना का प्रभाव और महत्त्व अक्षय बना हुआ है। यही कारण है कि यह माह महीनाों का राजा कहा गया है।
वैशाख महीना से जुड़ी प्रमुख कथाएं जानिए,
सबसे पहले जानते हैं राजा अंबरीश की कथा के बारे में, एक कथा के अनुसार, राजा अंबरीश ने वैशाख महीना में कठोर तपस्या की थी और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त की थी।
अब जानिए नारद मुनि की कथा के बारे में, नारद मुनि ने राजा अम्बरीश को बताया था कि वैशाख महीना सभी महीनों में श्रेष्ठ है और इसमें स्नान, दान, और ध्यान करने से असीम फल प्राप्त होता है।
देवी लक्ष्मी की कथा भी इस महीने को लेकर है, उसके अनुसार कुछ मान्यताओं के अनुसार, वैशाख शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को देवी लक्ष्मी, माता सीता के रूप में पृथ्वी पर प्रकट हुई थीं।
पौराणिक ग्रंथों एवं पुराणों में वैशाख महीना की अनेक कथाएं वर्णित हैं। इनमें से एक प्रमुख कथा इस प्रकार है,
एक समय की बात है, अयोध्या में सुमित्र नामक एक ब्राम्हण रहते थे। वे अत्यंत निर्धन थे, परंतु धर्मपरायण, सत्यवादी और श्रद्धालु थे। उन्होंने जीवनभर कोई बड़ा पुण्यकर्म नहीं किया था। वृद्धावस्था में जब उनका शरीर जर्जर हो गया, तब उन्होंने सोचा कि जीवन का कुछ लाभ नहीं हुआ। तब वे वन में जाकर तपस्या करने लगे। एक दिन उन्हें आकाशवाणी हुई कि हे ब्राम्हण! तुम वैशाख महीना में प्रातःकाल उठकर स्नान करो और दान-पुण्य करो। इससे तुम्हें मोक्ष की प्राप्ति होगी।
सुमित्र ने वैसा ही किया। उन्होंने वैशाख महीना में गंगा स्नान किया, तुलसी और पीपल की पूजा की, ब्राम्हणों को अन्न-वस्त्र का दान किया। वैशाख पूर्णिमा के दिन उन्होंने अन्न, जल, दीपक और अन्य वस्तुओं का दान कर भगवान विष्णु की आराधना की। उस महीना के अंत में जब वे देहत्याग कर स्वर्गलोक गए, तो उन्हें दिव्य विमान से विष्णुलोक की प्राप्ति हुई।
इस कथा का संदेश यह है कि वैशाख महीना में किया गया थोड़ा-सा पुण्य भी अनंत गुणा फलदायक होता है। यह महीना जीवात्मा को भगवान की निकटता प्रदान करता है और जन्म-मरण के बंधन से मुक्त करता है।
अब जानिए धर्मराज और ब्राम्हण की कथा के बारे में,
पुराणों में वर्णित एक कथा के अनुसार, एक बार धर्मराज ने एक ब्राम्हण को कहा कि वह जीवन में अनेक पापों से ग्रस्त है और उसे नरक प्राप्त होगा। ब्राम्हण ने प्रायश्चित का उपाय पूछा। तब धर्मराज ने कहा, यदि तू वैशाख महीना में प्रतिदिन सूर्याेदय से पूर्व गंगाजल में स्नान करेगा और भगवान मधुसूदन की पूजा करेगा, साथ ही जल दान करेगा, तो तेरे सारे पाप नष्ट हो जाएंगे। ब्राम्हण ने वैसा ही किया और अंत में मोक्ष प्राप्त किया। इससे यह स्पष्ट होता है कि वैशाख महीना में किया गया पुण्यकर्म मोक्षदायक होता है।
वहीं एक कथा बालक धु्रव की भी है। इस कथा के अनुसार बालक ध्रुव, जो एक छोटे बालक थे, उन्होंने कठोर तपस्या कर भगवान विष्णु को प्रसन्न किया था। यह तपस्या वैशाख महीना में की गई थी, जिससे वे अटल ध्रुव लोक को प्राप्त हुए। इस कथा से यह प्रतीत होता है कि वैशाख महीना में की गई उपासना और तपस्या अत्यंत फलदायी होती है।
एक गंगावतरण की कथा का प्रसंग भी मिलता है, कुछ परंपराओं में ऐसा माना जाता है कि गंगा नदी का अवतरण भी वैशाख महीना में हुआ था। अतः इस माह में गंगा स्नान और गंगा पूजन का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि गंगा का पृथ्वी पर अवतरण वैशाख महीना में हुआ था। इस कारण गंगा स्नान इस महीना में विशेष महत्व रखता है।
इसी महीने में बुद्ध पूर्णिमा और भगवान बुद्ध का जन्म की कथा भी है, वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति और निर्वाण हुआ था। इसलिए इस दिन बौद्ध धर्मावलंबी विशेष पूजा और ध्यान करते हैं। यह वैशाख पूर्णिमा को मनाई जाती है। यह दिन भगवान बुद्ध के जीवन के तीन महत्वपूर्ण घटनाओं से जुड़ा है दृ जन्म, ज्ञान और निर्वाण।
वैशाख महीना के प्रमुख पर्व और व्रत जानिए
इस महीने मनाया जाता है अक्षय तृतीया का पर्व, यह पर्व वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। इसे अक्षय फल देने वाली तिथि कहा जाता है। इस दिन किया गया दान, जप, तप, हवन आदि कार्य अक्षय (अविनाशी) फल प्रदान करते हैं। यह विवाह आदि शुभ कार्यों के लिए भी अत्यन्त उत्तम माना गया है। यह वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को आती है और अत्यंत पुण्यदायक मानी जाती है। इस दिन किया गया दान, जप, तप, स्नान, हवन और पूजा अक्षय फल देने वाला होता है, अर्थात इसका फल कभी नष्ट नहीं होता।
इस महीने भगवान परशुराम की जयंती मनाई जाती है। शुक्ल पक्ष की तृतिया का दिन भगवान परशुराम का जन्मदिवस माना जाता है, जो वैशाख शुक्ल तृतीया को आता है। परशुराम विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं। भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी का जन्म वैशाख शुक्ल तृतीया को हुआ था। उन्हें ब्रम्हास्त्रधारी, शिवभक्त और क्षत्रियों के संहारक के रूप में पूजा जाता है।
इस माह मनाई जाती है देवर्षि नारद जयंती, वैशाख शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को देवर्षि नारद की जयंती मनाई जाती है। नारद मुनि को ब्रम्हा के मानस पुत्रों में से एक माना जाता है, और वे ज्ञान और भक्ति के अग्रदूत हैं। नारद मुनि, जो देवों और ऋषियों के बीच संवाद सेतु माने जाते हैं, की जयंती भी इसी महीना में आती है। वे भागवत धर्म के प्रचारक थे।
इस माह मोक्षदा एकादशी मनाई जाती है। वैशाख महीना में आने वाली शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। इस दिन उपवास, भजन, पूजन और श्रीहरि का ध्यान करने से जीव को मोक्ष की प्राप्ति होती है। हरि ओम,
अगर आप जगत को रोशन करने वाले भगवान भास्कर, भगवान विष्णु जी देवाधिदेव महादेव ब्रम्हाण्ड के राजा भगवान शिव एवं भगवान श्री कृष्ण जी की अराधना करते हैं और अगर आप विष्णु जी एवं भगवान कृष्ण जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय सूर्य देवा, जय विष्णु देवा, ओम नमः शिवाय, जय श्री कृष्ण, हरिओम तत सत, ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः लिखना न भूलिए।
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(साई फीचर्स)

लगभग 18 वर्षों से पत्रकारिता क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं। दैनिक हिन्द गजट के संपादक हैं, एवं समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के लिए लेखन का कार्य करते हैं . . .
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