(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। एक्सपायरी डेट निकलने के बाद गैस सिलेण्डर को इस्तेमाल करना बम की तरह खरतनाक हो सकता है। आमतौर पर गैस सिलेण्डर की रिफील लेते समय उपभोक्ताओं का ध्यान इसके वजन और सील पर ही होता है। उन्हें सिलेण्डर की एक्सपायरी डेट की जानकारी ही नहीं होती।
इसी का फायदा एलपीजी की आपूर्ति करने वाली कंपनियां उठाती हैं और धड़ल्ले से एक्पायरी डेट वाले सिलेण्डर रिफील कर हमारे घरों तक पहुँचाती हैं। यहीं कारण है कि गैस सिलेण्डरों से हादसे होते हैं।
कैसे पता करें एक्सपायरी डेट : सिलेण्डर के ऊपरी भाग पर उसे पकड़ने के लिये गोल रिंग होती है और इसके नीचे तीन पट्टियों में से एक पर काले रंग से सिलेण्डर की एक्सपायरी डेट अंकित होती है। इसके तहत अँग्रेजी में ए, बी, सी तथा डी अक्षर अंकित होते है तथा साथ में दो अंक लिखे होते हैं।
ए अक्षर साल की पहली तिमाही (जनवरी से मार्च), बी अक्षर साल की दूसरी तिमाही (अप्रेल से जून), सी अक्षर साल की तीसरी तिमाही (जुलाई से सितम्बर) एवं डी अक्षर साल की चौथी तिमाही अर्थात अक्टूबर से दिसंबर को दशार्ते हैं। इसके बाद लिखे हुए दो अंक एक्सपायरी वर्ष को संकेत करते हैं।
जानकारों का कहना है कि उदाहरण के लिये यदि सिलेण्डर पर ए 18 लिखा हुआ हो तो सिलेण्डर की एक्सपायरी मार्च 2018 है। इस सिलेण्डर का मार्च 2018 के बाद उपयोग करना खतरनाक होता है। इस प्रकार के सिलेण्डर बम की तरह कभी भी फट सकते हैं। ऐसी स्थिति में उपभोक्ताओं को चाहिये कि वे इस प्रकार के एक्सपायर सिलेण्डरों को लेने से मना कर दें तथा आपूर्तिकर्त्ता एजेंसी को इस बारे में सूचित करें।

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