जीवन की सत्यता का बोध होता है सत्संग से

 

(ब्यूरो कार्यालय)

छपारा (साई)। हम सभी सद्गुरु कबीर साहेब के अनुयायी हैं। उनके बताये हुए मार्ग पर चलकर जीवन को सफल बनाने के लिये हम सभी इस पावन दरबार में उपस्थित हुए हैं। केवल सत्संग में आकर बैठना ही काफी नहीं है। यदि सत्संग हमारे हृदय पटल पर बैठ जाये तो जीवन का उद्धार हो जाये।

उक्ताशय के उद्गार सदगुरु कबीर प्रकाट्य महोत्सव एवं सत्संग समारोह के पहले दिन आचार्य रामजीवन शास्त्री साहेब ने व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि सत्संग ज्ञान का अथाह समुद्र है जिसमंे गोता लगाकर हम अपने जीवन और जगत के रहस्य को समझ सकते हैं। सत्संग से ही जीवन की सत्यता का बोध होता है कि मैं कौन हूँ, कहाँ से आया हूँ, मेरे जीवन का लक्ष्य क्या होना चाहिये। सत्संग वह पाठशाला है जहाँ मानव को मानवता एवं भाईचारे का पाठ पढ़ाया जाता है।

बिना सत्संग कुछ नहीं : सत्संग के महत्व को समझाते हुए आचार्यश्री ने कहा कि सत्संग के बिना मानव जीवन मे आध्यात्म की प्राप्ति संभव नहीं है। प्रत्येक मनुष्य को जीवन मे एक सच्चे गुरु की परम आवश्यकता होती है। पूरे गुरु की प्राप्ति भक्ति से भक्ति का जागरण शुभ संस्कार से और शुभ संस्कार का जागरण इस प्रकार के पावन सत्संग में आने से होता है। सत्संग से विवेक जागृति होती है। सत्संग से संशयों की निवृत्ति होती है और संशय के अंत होने से ही हमारे अंदर सद्गुरु का ज्ञान प्रकाशित हो सकता है। ज्ञान प्रकाश होने से हम सत्य और असत्य को विचार कर सार को ग्रहण कर असार को त्याग कर मोक्ष के रास्ते को प्राप्त कर सकते हैं।

भजनों ने भी मनमोहा : छपारा में चल रहे त्रिदिवसीय समारोह के प्रथम दिवस पर कार्यक्रम के मुख्य सभापति जिनके सानिध्य में प्रति वर्ष यह आयोजन संपन्न होता है। आचार्यश्री ने दीप प्रज्ज्वलित कर सद्गुरु कबीर साहेब के स्वरूप पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। आयोजन समिति के सदस्यों ने आशीर्वाद लिया। बालिका सेवार्थी संघ द्वारा स्वागत भजन प्रस्तुत किया गया। इसके साथ ही भजन गायक कलाकार डॉ.एस.डी. साहू द्वारा मनमोहक कबीर भजन प्रस्तुत किये।