ओम बिड़ला: ‘सदन के सितारे’ से सबसे बड़े सदन तक

 

 

 

 

(ब्यूरो कार्यालय)

कोटा (साई)। सत्रहवीं लोकसभा में नैशनल डेमोक्रैटिक अलायंस (एनडीए) ने लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए अपना कैंडिडेट तय कर लिया है। सूत्रों के मुताबिक राजस्थान के कोटा-बूंदी लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी सांसद ओम बिड़ला लोकसभा स्पीकर पद के उम्मीदवार होंगे।

लोकसभा सचिवालय के सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि इस पद के लिए बिड़ला की ओर से उनकी दावेदारी का नोटिस मिल गया है। राजस्थान में 13वीं विधानसभा के कार्यकाल के दौरान उन्होंने 500 सवाल पूछे थे। विधानसभा में बहस के दौरान सक्रिय रूप से हिस्सा लेने के लिए बिड़ला को सम्मान मिला और उनका नाम सदन के सितारेमें 6 बार शामिल किया गया। एक नजर ओम बिड़ला के अब तक के सफर पर:

3 बार विधायक, दूसरी बार सांसद

राजनेता होने के साथ-साथ ओम बिड़ला एक व्यवसाई भी हैं। केंद्र की राजनीति में आने से पहले बिड़ला राजस्थान की सियासत में सक्रिय रहे हैं। वह कोटा दक्षिण सीट से 3 बार विधायक निर्वाचित हुए। 2003 में जब वसुंधरा राजे की अगुआई में राज्य में बीजेपी की सरकार बनी तो उन्हें संसदीय सचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई। इसके बाद 2008 में वह एक बार फिर विधायक निर्वाचित हुए। 2013 में लगातार तीसरी बार ओम बिड़ला विधानसभा की चौखट पार करने में कामयाब रहे। इसके बाद अगले साल आम चुनाव में उन्हें बीजेपी ने कोटा-बूंदी संसदीय सीट से अपना उम्मीदवार बनाया और वह पहली बार सांसद बने।

56 साल के ओम बिड़ला ने लगातार दूसरी बार लोकसभा का चुनाव जीता है। 17वीं लोकसभा के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के कैंडिडेट रामनारायण मीणा को 2 लाख 79 हजार 677 वोटों से करारी शिकस्त दी। 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने राजपरिवार से आने वाले कांग्रेस के इज्यराज सिंह को 2 लाख से ज्यादा वोटों से हराया था। ओम बिड़ला की पत्नी अमिता बिड़ला का कहना है, ‘यह हमारे लिए बहुत गर्व और खुशी का मौका है। हम उन्हें इस पद के लिए चुने जाने पर कैबिनेट के प्रति आभारी हैं।

कुशल संगठनकर्ता की छवि

ओम बिड़ला राजस्थान के हाड़ौती इलाके (कोटा संभाग) से आते हैं, जिसे बीजेपी का गढ़ माना जाता है। इस इलाके में कोटा, बूंदी, बारां और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का गृहक्षेत्र झालावाड़ भी शामिल है। बिड़ला की छवि कुशल संगठनकर्ता की रही है। भारतीय जनता युवा मोर्चा (बीजेवाईएम) में काम करते हुए उनके पास संगठन का अच्छा अनुभव रहा है। वह कोटा भारतीय जनता युवा मोर्चा के 4 साल तक जिलाध्यक्ष रहे। इसके बाद उन्हें प्रमोट करते हुए राजस्थान भारतीय जनता युवा मोर्चा का अध्यक्ष बनाया गया। वह 6 साल तक इस पद पर रहे। इसके साथ ही बिड़ला लगातार 6 साल तक भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे। हाड़ौती इलाके में उनका बूथ मैनेजमेंट जबर्दस्त रहा है। 2018 के विधानसभा चुनाव में राजस्थान में सत्ता विरोधी लहर के बावजूद कोटा दक्षिण सीट पर बीजेपी जीत हासिल करने में कामयाब रही।

यूथ को साथ लेकर चलने की क्षमता

राजस्थान की राजनीति पर पैनी नजर रखने वाले एक विश्लेषक कहते हैं, ‘युवाओं को साथ लेकर चलना ओम बिड़ला की खासियत है। वह स्थानीय युवाओं में आसानी से घुल-मिल जाते हैं। इसके साथ ही खेलकूद जैसी गतिविधियों में भी उनकी काफी दिलचस्पी है।युवाओं के बीच पैठ होने की एक वजह उनके छात्र राजनीति वाले बैकग्राउंड को भी माना जाता है। कॉलेज लाइफ के दौरान उन्होंने राजस्थान कॉलेज ऑफ कॉमर्स कोटा के जॉइंट सेक्रटरी का चुनाव जीता था। यही नहीं 1979 में महज 17 वर्ष की उम्र में वह गवर्नमेंट सीनियर सेकंडरी स्कूल गुमानपुरा में स्टूडेंट्स असोसिएशन के प्रेजिडेंट भी बने।

समाज सेवा का मिशन

26 जनवरी 2001 को गुजरात में आए विनाशकारी भूकंप में बिड़ला ने प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने के लिए डॉक्टरों के साथ 100 सदस्यों की टीम की अगुआई की। इस दौरान लगातार 10 दिन तक लोगों को भोजन और दवाएं मुहैया कराई गईं। बारां जिले में सहरिया जनजाति के बच्चों में कुपोषण दूर करने के लिए उन्होंने मिशन चलाया। इसके अलावा कोटा में आईआईटी की स्थापना के लिए उन्होंने आंदोलन का नेतृत्व किया। बूंदी के लोगों को चंबल का पानी मुहैया कराने के लिए भी बिड़ला ने मुहिम छेड़ी थी।

पर्यावरण प्रेमी

अपने संसदीय क्षेत्र में बिड़ला की पहचान पर्यावरण संरक्षण उपायों के लिए भी है। उन्होंने ग्रीन कोटा मिशन के तहत पेड़ लगाने के लिए लोगों को काफी प्रेरित किया। शहर में प्रदूषण का प्रभाव कम करने और हरियाली लौटाने के लिए इस अभियान के दौरान 1 लाख पौधे लगाए गए। पर्यावरण जागरूकता के कार्यक्रमों में भी उनकी काफी दिलचस्पी है।