पार्किंग बिना चल रहे बैंक

 

 

(शरद खरे)

सिवनी जिले में महज़ एक नगर पालिका और दो नगर पंचायतें अस्तित्व में हैं। इनमें से नगर पंचायतों पर निर्दलीय तो नगर पालिका पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है। नगरीय निकायों में जनता के द्वारा प्रतिनिधियों को इस लिये चुना गया है ताकि इन निकायों के कार्यक्षेत्र में लोगों को परेशानी की बजाय सुविधाएं मिल सकें।

विडंबना ही कही जायेगी कि नगरीय निकायों के द्वारा जनता के द्वारा दिये गये जनादेश का सम्मान न करते हुए मनमानियां की जा रही हैं। जनता बुरी तरह कराहते हुए त्राहिमाम त्राहिमाम कर रही है पर किसी को भी जनता की सुध नहीं है। कमोबेश हर स्थान पर ही प्रतिनिधियों के खिलाफ माहौल दिखायी दे रहा है।

जिला मुखयालय में भारतीय जनता पार्टी शासित नगर पालिका परिषद की बेढंगी चाल सुधरने का नाम नहीं ले रही है। मॉडल रोड आज भी आधी अधूरी है तो नवीन जलावर्धन योजना का काम तीन साल देरी से ही चल रहा है। तीन गर्मियों में लोग पानी को तरसे पर किसी भी पार्षद के द्वारा इसका प्रतिकार नहीं किया गया। रस्म अदायगी के लिये पार्षदों ने पत्र लिखे हों तो नहीं कहा जा सकता है।

जिला मुख्यालय में राष्ट्रीयकृत और निजि बैंक कार्यरत हैं। इनमें से अधिकांश निजि भवनों में ही संचालित हो रहे हैं। नगर पालिका के द्वारा शायद ही कभी इन भवनों के स्वामियों को इसके लिये तलब किया गया हो कि बिना पर्याप्त पार्किंग का स्थान छोड़े हुए इन भवनों में बैंक संचालन की अनुमति या करार कैसे कर लिया गया!

यह इक्कीसवीं सदी का दूसरा दशक चल रहा है। अस्सी के दशक की बात नहीं कि उस समय लोगों के पास इतने वाहन नहीं हुआ करते थे। आज शहर में शहर की आबादी के लगभग बराबर ही वाहन हों तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिये। इन परिस्थितियों में शहर के बैंक्स में आने वाले उपभोक्ताओं के सामने सबसे बड़ा संकट वाहन पार्किंग का ही प्रतीत होता है।

पिछले साल अनुविभागीय अधिकारी राजस्व हर्ष सिंह के द्वारा सिवनी शहर में बारापत्थर क्षेत्र में यातायात सुव्यवस्थित करने के लिये मुहिम का आगाज़ किया गया था पर एक दो दिन बाद यह मुहीम भी ठण्डे बस्ते के हवाले ही कर दी गयी। एसडीओ रेवेन्यू का ध्यान शायद बैंक्स की ओर नहीं गया वरना वे इस ओर भी ध्यान देकर व्यवस्थाओं को दुरूस्त करवाने की मुहीम अवश्य छेड़ते।

बैंक के प्रबंधकों को भी अपनी जवाबदेही का शायद अहसास नहीं है। उनके द्वारा भवन स्वामियों को भवन के एवज़ में भारी भरकम किराया अदा किया ही जा रहा होगा, फिर क्या कारण है कि बैंक प्रबंधन के द्वारा भवन स्वामियों से बैंक के लिये पार्किंग के लिये स्थान उपलब्ध कराने पर जोर नहीं दिया जा रहा है।

कुल मिलाकर जिला मुख्यालय में सब कुछ घालमेल ही दिख रहा है। इस बारे में सांसद, विधायक ने भी अब तक अपना मौन नहीं तोड़ा है। संवेदनशील जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह से जनापेक्षा है कि वे ही स्व संज्ञान से विकराल होती इस समस्या के निदान के मार्ग प्रशस्त कर अवरूद्ध होते यातायात के कारण नागरिकों को होने वाली असुविधा से लोगों को निज़ात दिलवाने की पहल करें।