मध्यावधि चुनाव की सुगबुगाहट छोड़ कई सवाल खड़े कर गए भाजपा नेता रामलाल

 

 

 

 

(ब्यूरो कार्यालय)

भोपाल (साई)। क्या मध्यप्रदेश में मध्यावधि चुनाव होंगे? प्रदेश की सियासत में ये सवाल आम हो गया है। दरअसल भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल ने एक तीर से दो निशाने लगाकर सियासत को गर्म कर दिया है।

रामलाल ने संगठन चुनाव की तैयारी के साथ कहा कि प्रदेश में कभी भी चुनाव हो सकते हैं इसलिए तैयारी रखो। बस उनके इस बयान ने भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के नेताओं की बेचैनी बढ़ा दी है। कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा प्रदेश में मध्यावधि चुनाव चाहती है। इधर, मध्यावधि चुनाव के बयान मात्र से कांग्रेस की भी भौहें तन गई हैं।

नेताओं की धड़कन बढ़ाई

संगठन चुनाव की बैठक लेने रविवार को भोपाल आए भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल ने मध्यावधि चुनाव की सुगबुगाहट छोड़ कई सवाल खड़े कर गए। रामलाल के बयान से उन पार्टी नेताओं की धड़कन बढ़ गई है, जो प्रदेश में भाजपा सरकार बनवाने के सपने देख रहे थे।

हुआ यूं कि रविवार को लंगड़ी लूली और विकलांग सरकार का हवाला देकर आए दिन बयानबाजी करने वाले नेताओं ने रामलाल की मौजूदगी में भी यही बातें दोहराई थी, जिसके बाद उन्होंने कहा हम सरकार गिराने के लिए कुछ नहीं करने वाले हैं लेकिन कार्यकर्ताओं को चुनाव के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। पार्टी के नेता इस बयान को हाईकमान की मंशा मान रहे हैं। वे सोच रहे हैं कि पार्टी प्रदेश में सरकार बनाने के बजाए मध्यावधि चुनाव का विकल्प चुनने का मन बना रही है। रामलाल ने यही बात कोरग्रुप की बैठक में भी कही।

कांग्रेस ने कहा, कुछ नहीं कर पाएगी भाजपा

मध्यावधि चुनाव की संभावनाओं को खारिज करते हुए कमलनाथ सरकार के मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि भाजपा सिर्फ लोगों का ध्यान भटकाने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि मप्र में मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व में रामराज स्थापित होगा। रामलाल और भाजपा के सभी नेता कुछ नहीं कर पाएंगे। सारे मंत्री और विधायक कमलनाथ के साथ हैं। शर्मा ने ये भी कहा कि ममता बनर्जी और कमलनाथ जैसे मजबूत मुख्यमंत्री को भाजपा अस्थिर करने का प्रयास करती रहती है।

अलग अर्थ न निकालें- राकेश सिंह

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह ने मध्यावधि चुनाव संबंधी बयान पर कहा कि संगठन महामंत्री ने कार्यकर्ताओं से आह्वान किया था कि वे चुनाव के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए, आगे स्थानीय निकाय के चुनाव भी हैं। उन्होंने कहा कि इसका अलग अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए।