पीएम मोदी ने की ‘मन की बात’

 

 

 

 

कहा- जलशक्ति के लिए जुटे जनशक्ति, प्रेमचंद की कहानियों पर भी की चर्चा

(ब्यूरो कार्यालय)

नई दिल्‍ली (साई)। पीएम नरेंद्र मोदी ने दूसरे कार्यकाल के अपने पहले मन की बातकार्यक्रम में जल संरक्षण पर खास जोर दिया। पीएम मोदी ने कहा कि देश में एक बड़ा हिस्सा हर साल जल संकट से गुजरता है, इससे बचने के लिए जल संरक्षण की जरूरत है। पीएम मोदी ने कहा, ‘हमें विश्वास है कि हम जनशक्ति और सहयोग से इस संकट का समाधान कर लेंगे। नया जलशक्ति मंत्रालय बनाया गया है। इससे किसी भी संकट के लिए तत्काल फैसले लिए जा सकेंगे। इस महीने की 22 तारीख को हजारों पंचायतों में तमाम लोगों ने जल संरक्षण का संकल्प लिया।

इस दौरान पीएम मोदी ने झारखंड के हजारी बाग के एक सरपंच का संदेश भी सुनाया। सरपंच ने कहा कि मुझे विश्वास नहीं हुआ था कि पानी के संरक्षण के लिए पीएम ने मुझे खत लिखा। पीएम मोदी ने कहा कि बिरसा मुंडा की धरती, जहां प्रकृति से तालमेल बिठाना संस्कृति का हिस्सा है, वहां अब जागरूकता शुरू हुई है। मेरी तरफ से सभी सरपंचों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। पीएम मोदी ने कहा कि स्वच्छता आंदोलन की तरह ही लोग अब गांवों में जलमंदिर बनाने की होड़ में जुट गए हैं। इस दौरान पीएम मोदी ने पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना, तमिलनाडु और उत्तराखंड में जल संरक्षण के उपायों की भी चर्चा की।

इस दौरान पीएम मोदी ने जल संरक्षण को लेकर नागरिकों से तीन अनुरोध भी किए। पहला, स्वच्छता की तरह ही जल संरक्षण को भी जनांदोलन का रूप दें। दूसरा, ऐसे प्रयोगों का अध्ययन करें, जहां जलसंरक्षण का प्रयास करें। तीसरा, जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देने वालों की जानकारियों को साझा करें। पीएम मोदी ने जनशक्ति फॉर जलशक्ति हैशटैग चलाने की भी अपील की।

प्रेमचंद की कहानियों का जिक्र, पीएम ने पढ़ी, पूस की रात पीएम मोदी ने कहा कि आपने मुझे कई बार यह कहते सुना होगा कि बुके नहीं बुक। तब से कई जगह लोग पुस्तकें देने लगे हैं। हाल ही में किसी ने मुझे प्रेमचंद की कहानियां पुस्तक भेंट की। कुछ कहानियां फिर पढ़ने का मौका मिला। उनकी कहानियां मेरे मन को भी छू गईं। उनकी कहानियों में समूचे भारत की भावनाएं समाहित हैं। उनकी नशा नाम की कहानी पढ़ी। इससे पता चला कि कैसे आप सावधान नहीं हैं तो बुरी संगति आपको प्रभावित कर सकती है। दूसरी कहानी ईदगाह है। जब छोटा बच्चा हामिद चिमटा लेकर पहुंचता है तो मानवीय संवेदना चरम पर पहुंच जाती है।ऐसी ही एक मार्मिक कहानी है, पूस की रात। ये कहानियां करीब सदी भर पहले की हैं, लेकिन आज भी प्रासंगिक लगती हैं।

आपातकाल में हर किसी को लगा, कुछ छीन लिया गया मन की बातकार्यक्रम में आपातकाल का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि लोकतंत्र हमारी विरासत है, इसे सुरक्षित रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में जब आपातकाल लगाया गया तो उसका विरोध राजनीतिक दायरे तक ही सीमित नहीं था। जन-जन के दिल में एक आक्रोश था। आपातकाल में हर नागरिक को लगने लगा था कि उसका कुछ छीन लिया गया है। हम लोकतंत्र की विरासत के साथ पले-बढ़े लोग हैं, इसलिए लोग आपातकाल में कमी महसूस कर रहे थे। भारत के हर व्यक्ति ने अपनी सभी समस्याओं को किनारे रख लोकतंत्र के लिए मतदान किया था। कोई चीज जब हमारे पास होती है तो हम उसे कमतर आंक लेते हैं, लेकिन हमें यह मानना चाहिए कि लोकतंत्र कितना अहम है।