कलेक्टर ऑफिस की जमीन करा ली अपने नाम

 

 

 

 

बैंक से ले लिया लोन

(ब्‍यूरो कार्यालय)

नरसिंहपुर (साई)। अभी तक आपने दूसरे की जमीन को अपने नाम कराने के मामले बहुत देखे व सुने होंगे। लेकिन क्या कभी सुना है कि किसी कलेक्टर के कार्यालय की सरकारी जमीन को ही किसी ने अपने नाम करा लिया हो और उस पर बैंक से लोन ले लिया हो।

नहीं सुना ना, लेकिन ये सच है। मामला नरसिंहपुर कलेक्टर कार्यालय की जमीन का है। जहां सरकारी कर्मचारियों ने बेइमानी की सारी हदें पार कर दीं।

कलेक्टर कार्यालय सहित उसके परिसर में बने अन्य भवनों की शासकीय भूमि को पटवारी की मिलीभगत से अपने नाम कर उस पर बैंक से लोन लेने का प्रयास करने के बहुचर्चित मामले में पटवारी सहित दो आरोपियों को कोर्ट ने 7-7 साल की सजा सुनाई है। दोनों पर एक एक हजार रुपए का जुर्माना भी किया है।

ये है मामला-

वर्ष 1995 में आरोपी कंछेदी लाल विश्वकर्मा और प्रमोद विश्वकर्मा ने तत्कालीन पटवारी आरोपी मुन्ना लाल के साथ मिलकर नजूल की पटवारी हल्का नंबर 17 की सर्वे नंबर 176 की 5.2 हेक्टर भूमि तथा सर्वे नंबर 1 उनकी 7.84 भूमि पूर्वक अपने नाम से दर्ज करा ली । आरोपी पटवारी मुन्ना लाल ने किश्तबंदी खतौनी और 5 ***** में बेईमानी पूर्वक आरोपी का नाम दर्ज कर दिया । उल्लेखनीय तथ्य यह है कि उक्त भूमि पर शासकीय भवन बने हुए हैं और वर्तमान का जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय अर्थात नरसिंह भवन भी इसी भूमि पर बना हुआ है । जब आरोपियों ने इस भूमि पर लोन लेने का प्रयास किया तो मामला उजागर हो गया। जिसके बाद रिपोर्ट थाना कोतवाली में दर्ज कराई गई। आरोपी के विरुद्ध अपराध क्रमांक 259 पंजीबद्ध किया गया।

प्रकरण में अभियोजन की ओर से पैरवी करते हुए चित्रांशु विष्णु श्रीवास्तव और शरद कुमार शर्मा ने 8 साक्षियों का परीक्षण कराया और अपने तर्क प्रस्तुत किए। प्रकरण में आईं महत्वपूर्ण साक्ष्य और लोक अभियोजक गण के तर्कों से सहमत होकर तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश विवेक पटेल ने आरोपी प्रमोद कुमार आत्मज कंछेदीलाल विश्वकर्मा निवासी पटेल वार्ड कंदेली नरसिंहपुर तथा मुन्नालाल आत्मज सुंदर लाल श्रीवास्तव इतवारा बाजार कंदेली नरसिंहपुर को धारा 468 भारतीय दंड संहिता में 7 वर्ष कारावास , 1000 रुपये का जुर्माना, धारा 468 भारतीय दंड संहिता में 7 वर्ष कारावास , 1000 रुपए जुर्माना तथा धारा 420 भारतीय दंड संहिता के अपराध में 5 वर्ष सश्रम कारावास तथा 1000 रुपए के अर्थदंड से दंडित करने का आदेश पारित किया है।