(ब्यूरो कार्यालय)
मुंबई (साई)। अनुपम खेर और ईशा गुप्ता स्टारर फिल्म ‘वन डे‘ के ट्रेलर को काफ़ी पसंद किया गया है और अब शुक्रवार को फिल्म रिलीज़ हो रही है। हाल ही में अनुपम खेर ने एक अखबर से बातचीत की और इस दौरान उन्होंने कई दिलचस्प बातें बताई।
इस फिल्म की स्क्रिप्ट में आपको बेस्ट लगा जो आपने ये फिल्म की?
ये बेहद अलग कहानी है। इसमें दिखाया गया है कि जज एक फ़ादर भी है, वो भाई भी है, वो पिता भी है। इसमें जज के सभी रूप दिखाए गए हैं। नॉर्मली जब ऐसे सब्जेक्ट पर फिल्म बनती है तो आप एक टुकड़ा बहुत ही सभ्य बनाते हैं और दूसरा उतना ही ख़तरनाक। लेकिन मैं नहीं चाहता था कि ऐसा हो और मैं चाहता कि सब कुछ मानने लायक हो। तो ये कहानी मुझे बहुत अच्छी लगी।
इस फिल्म में दिखाया गया है कि एक जज जस्टिस के लिए लड़ रहा है, जो कि हमारी बॉलीवुड फिल्म में देखने को नहीं मिलता है? क्या कहीं ये रियल लाइफ से प्रेरित है?
नहीं, ऐसा हमारे यहाँ हो नहीं सकता। ऐसा रियल लाइफ में नहीं हो सकता। मेरे पास ये स्क्रिप्ट आई तो पहले डायरेक्टर चाहते थे कि मैं थोड़ा सा डिफ्रेंट तरह से इस किरदार को निभाऊँ, लेकिन मैंने इसे थोड़े अलग तरह से काम करने को कहा। यहाँ तक की फिल्म का कहानी भी तब शुरू होती है जिस दिन जज रिटायर होता है और एक करेक्टर है फ़िल्म की वो जज को थप्पड़ मारती हैं और कहती हैं आप भी बिक गए। इसके बाद फिल्म की कहानी शुरू होती है।
आज भी कई ऐसे मामले हैं जिस पर जस्टिस मिलने में काफ़ी समय लगता है तो क्या ये फिल्म कहीं न कहीं इस पर निर्धारित है?
इस फिल्म में वो भी दिखाया गया है। लोगों के यहां 30-35 सालों तक केस चलते रहते हैं, लेकिन कुछ हो नहीं पाता। बहुत सारे ऐसे केस हैं जो ट्रायल पर नहीं आते। जज कम हैं कोर्ट कम हैं। हमारे यहाँ स्पीडी जस्टिस नहीं है।
आपको इतने साल इस इंडस्ट्री में हो गए हैं तो आप कैसे आज स्क्रिप्ट फ़ाइनल करते हैं?
मैं बस काम करना चाहता हूँ। कभी-कभी मैं स्क्रिप्ट देखकर फिल्म साइन करता हूं, कभी डायरेक्टर देखता हूं कि फिल्म कौन बना रहा है। कभी अपने दोस्तों के लिए फिल्म करता हूं और कभी पैसों के लिए भी। हां, बस मैं काम करना चाहता हूं।
अनुपम जी अपने अमेरिकन ड्रामा के बारे में बताइए?
मैं अपने आपको और एक्सप्लोर करना चाहता था। जब मुझे लास्ट 5-6 साल में लीजेंड वगैरह कहा जाने लगा तो मुझे लगा यार यहां से भागो। फिर मैंने अमेरिकन ड्रामा किया जो मेरे लिए अलग था। मैं कुछ नया करना था क्योंकि मैं इंग्लिश मैं नहीं सोचता, मैं हिन्दी में सोचता हूं। तो ये ड्रामा मेरे लिए बहुत ही अलग और बेहतरीन एक्सपीरियंस था।