मैं घास हूं, तुम्हारे हर किए-धरे पर उग आऊंगी

 

 

(प्रणव प्रियदर्शी)

सुबह उठकर अखबार हाथ में लिया ही था। खबरों से गुजरते हुए मन को खराब होता हुआ महसूस कर रहा था कि एक प्यारी-सी अत्यंत मीठी आवाज कान में पड़ी। नजरें उठीं तो बालकनी में एक छोटी- सी चिड़िया बैठी इधर-उधर ताक रही थी। मन खिल उठा। इतनी सुंदर चिड़िया के होते हुए दुनिया खराब कैसे हो सकती है! मैं हौले से उठा, मोबाइल से एक तस्वीर तो ले लूं इसकी पर मेरा हिलना भी उसे चौकस करने के लिए काफी था। फुर्र से पेड़ पर जा बैठी। पत्तियों के बीच ऐसी छुपी कि मोबाइल के कैमरों के लिए उसे पकड़ना मुश्किल था। मेरी आंखों को जरूर वह दिख रही थी। पूछा, क्यों उड़ गई यार, मैं तुम्हारा कुछ बिगाड़ने वाला थोड़े ही था। बोली, क्या भरोसा तुम लोगों का।

मैं देख रहा था कि पेड़, जो चल नहीं सकता, देख नहीं सकता, सोच नहीं सकता, आगे बढ़कर किसी मुसीबत से टकरा नहीं सकता, उस पर इस चिड़िया को पूरा भरोसा है। आगे बढ़कर किसी विपदा से टकराता नहीं तो किसी आपदा में मुझे छोड़कर भागता भी नहीं। वहीं पेड़ की ओट से चिड़िया मुझे जवाब दे रही थी। पेड़ को लेकर मेरा नजरिया उसे पसंद नहीं आया था। मेरा ध्यान पेड़ की ओर गया। वह तो घमंड से अकड़ रहा होगा! पर खिली पत्तियों के बीच उसके चेहरे पर मुस्कराहट थी, तुम भी क्या बच्चों की बात दिल पर ले बैठे। तुम इंसानों से मेरा क्या मुकाबला! तुम जो चाहो कर सकते हो, मैं कुछ कर नहीं सकता। मैं तो बस होता हूं।

बात तीर-सी चुभ गई। हम जो चाहे कर सकते हैं! लेकिन हमने अब तक क्या-क्या किया है, यह तो हवा, पानी, मिट्टी सब चीख-चीखकर कह रहे हैं। चिड़िया वहीं बैठी थी। बोली, पेड़ जैसों का होना ही तो मायने रखता है। इसके बाद वह उड़ी और पास की झाड़ियों पर जा बैठी। झाड़ियां यानी लंबी वाली घास। नन्ही चिड़िया का क्या वजन पर उस वजन को संभालने में भी घास की जैसे पूरी हस्ती खप गई। वह एकदम नीचे तक झुक गई, पर चिड़िया को अपनी पीठ पर संभाल ही लिया उसने। मैं समझ गया, चिड़िया क्या कहना चाह रही है। तुम तो पेड़ तक का तिरस्कार कर रहे थे। इस घास की अहमियत क्या समझो! याद आया, इन्हीं घासों की ओर से कवि पाश ने कहा है, मैं घास हूं, तुम्हारे हर किए-धरे पर उग आऊंगी। सचमुच दुनिया बचेगी तो उनसे नहीं, जो कुछ कर सकते हैं। बल्कि उनसे, जो बस होते हैं। जो कर सकते हैं वे तो समझौते कर लेंगे। लेकिन जो होते हैं वे सुंदरता और मासूमियत को बचाए रखेंगे। वे जब तक हैं तब तक दुनिया रहेगी।

(साई फीचर्स)