जिंदा बम के मुहाने पर शहर!

 

 

कबाड़ और माचिस के गोदाम बन सकते हैं परेशानी का सबब!

(सादिक खान)

सिवनी (साई)। शहर में घनी आबादी के बीच हो रहे कबाड़ के व्यवसाय से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। इसी तरह शहर के अंदर ही माचिस के गोदाम भी असुरिक्षत ही माने जा सकते हैं।

ज्ञातव्य है कि कुछ साल पहले जनता नगर के पास मण्डला बायपास स्थित कबाड़ के गोदाम में भड़की आग से प्रशासन ने कोई सबक नहीं लिया है। साहू कबाड़े का गोदाम शहर के बाहर आबादी क्षेत्र से दूर होने के कारण यहाँ आग लगने से कोई जनजानि नहीं हुई, लेकिन शहर के बीच चल रहे कबाड़े में आग भड़कती है तो इससे जान और माल की हानि से इंकार नहीं किया जा सकता है।

नगर पालिका के दमकल विभाग के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि शहर में जिस तरह से सड़कों की चौड़ाई दिनों दिन कम होती जा रही है उससे यही प्रतीत होने लगा है कि आपात स्थिति में इन संकरी सड़कों पर दमकलों का घुसना भी मुश्किल हो जायेगा।

बताया जाता है कि शहर में स्थान – स्थान पर कबाड़े का व्यवसाय हो रहा है। यहाँ बड़ी तादाद में कबाड़ एकत्रित कर रखा जा रहा है। प्लास्टिक की बॉटलें, फायवर, टायर, लकड़ी, प्लास्टिक की कैन, कागज और खड्डे की रद्दी का बड़ी मात्रा में स्टॉक कबाड़ व्यवसायी कर रहे हैं। कई ऐसे स्थानों पर कबाड़ का व्यवसाय हो रहा है जहाँ यदि आग भड़क जाये तो दमकल वाहन का घटनास्थल तक पहुँचना भी मुश्किल है।

इसके साथ ही बताया जाता है कि इन कबाड़ की दुकानों के आसपास लोग परिवार के साथ रह रहे हैं। आगजनी की घटना में उन्हें काफी नुकसान हो सकता है। शहर के बाहर स्थित साहू कबाड़े के गोदाम में कुछ साल पहले लगी आग को बुझाने में पाँच दमकलों से 40 बार पानी डाला गया था तब जाकर आग पर काबू पाया गया था। ऐसे में शहर की संकरी गली में चल रही कबाड़ की दुकानों में आग लगती है तो इस पर दमकल वाहन के बिना काबू पाना चुनौति भरा हो सकता है।

शहर में गुरुनानक वार्ड, मंगलीपेठ, भगत सिंह वार्ड, दुर्गा चौक से एलआईबी चौक के बीच, बुधवारी तालाब के पास, दलसागर तालाब के पास भैरोगंज रोड, कटंगी रोड, नागपुर रोड आदि क्षेत्रों में कबाड़ का व्यवसाय हो रहा है। इनमें से मंगली पेठ, गुरुनानक वार्ड, बुधवारी तालाब के पास स्थित कबाड़े की दुकान ऐसे स्थानों पर चल रहीं हैं जहाँ संकरी गलियों के कारण दमकल वाहन पहुँचना मुश्किल है। प्रशासन ने अब तक इन कबाड़ दुकानों को शहरी सीमा से बाहर आबादी से दूर करने के लिये कोई कदम नहीं उठाये हैं।

जानकारों का कहना है कि इतना ही नहीं शहर के अंदर ही दक्षिणी हिस्सों में माचिस के गोदाम भी हैं। इन गोदामों में अगर कभी आग लगने जैसी कोई घटना हुई तो इस आग को बुझाने में प्रशासन को काफी कठिनाई का सामना भी करना पड़ सकता है।